गुर्दे की पथरी का होमियोपैथिक इलाज

8,320

पथरी होने का कोई स्पष्ट कारण तो ज्ञात नहीं हो सका है, फिर भी शरीर में अतिरिक्त उष्णता बढ़ने, गर्म जलवायु के प्रभाव से, पानी कम मात्रा में पीने आदि कारणों से शरीर में जलीय-अंश की कमी यानी डिहाइड्रेशन होने की स्थिति में मूत्र में कमी और सघनता होती है, जिससे कैल्शियम आक्सलेट मूत्र में ही पाया जाता है या फॉस्फेट, अमोनियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट आदि तत्त्व किडनी की तली में जमने लगते हैं और धीरे-धीरे पथरी का आकार ले लेते हैं।

पाचन प्रणाली की खराबी भी इसमें एक कारण होता है। मूत्राशय यानी ब्लैडर की पथरी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होती है और इसका पता पेशाब करने में होने वाले कष्ट से चलता है। मूत्राशय की पथरी अविकसित देशों के गरीब लोगों में अधिकतर पाई जाती है और इसका कारण उनके आहार में फॉस्फेट और प्रोटीन की कमी होना होता है। पथरी के इन प्रकारों को मोटे तौर पर मूत्र-पथरी कहा जाता है, क्योंकि इनका सम्बन्ध मूत्र, मूत्राशय, मूत्रनलिका और गुर्दो से होता है।

विटामिन ‘डी’ की विषाक्तता तथा थायराइड ग्रंथि की अति सक्रियता के कारण शरीर में कैल्शियम के स्तर में बढ़ोतरी हो जाती है। साथ ही कैल्शियम युक्त पदार्थ अधिक खाने की स्थिति में भी गुर्दे में पथरी हो जाती है।

ऐसे फल-सब्जियां जिनमें आक्जलेट अधिक होता है, खाने पर जोड़ों में दर्द एवं गठिया वगैरह की स्थिति में अधिक यूरिक बनने के कारण भी क्रमश: आक्जलेट एवं यूरिक एसिड स्टोंस (पथरी) बन जाती है।

पथरी के लक्षण

लक्षण मुख्यतया इस बात पर निर्भर करते हैं कि पथरी का आकार क्या है और कहां स्थित है।

1. छोटे-छोटे टुकड़े गुर्दे में पड़े रहें तो इनका पता नहीं चलता, न कोई कष्ट ही होता है, लेकिन जैसे ही यह टुकड़ा ‘यूरेटर’ में प्रवेश करता है, वैसे ही अचानक भयंकर दर्द होता है जिसे ‘रेनलकॉलिक’ कहते हैं।

2. कमर में तीव्र अथवा हलका दर्द पीछे की तरफ बना रहना एवं चलने-फिरने पर दर्द बढ़ जाना।

3. ‘रेनलकॉलिक’ अचानक शुरू होता है, दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है और यह जांघों, अण्डकोषों, वृषण, स्त्रियों में योनिद्वार तक पहुंच जाता है।

4. कभी-कभी मूत्र मार्ग में पथरी फंसने के कारण पेशाब बंद हो जाता है।

5. कभी-कभी मूत्र-मार्ग से छोटी पथरी के गुजरकर बाहर निकलने के बाद घाव हो जाने के कारण मूत्र-मार्ग से रक्त भी आ सकता है।

पथरी की जांच

1. पेशाब में लाल रक्त कोशिकाएं पाई जाती हैं।

2. एक्स-रे जांच (गुर्दो एवं मूत्राशय तथा मूत्र-मार्ग की) कराने पर पथरी स्पष्ट दिखाई पड़ती है |

3. यूरेटर (मूत्र नलियों) को रंगने वाले पदार्थ (डाई) की रक्त वाहिकाओं के द्वारा वहां तक पहंचाकर एक्स-रे करने पर और स्पष्ट पता चल जाता है।

4. अल्ट्रासाउंड (तरंगों की आवृति के द्वारा) जांच द्वारा भी सही-सही स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

पथरी से रोकथाम

1. बिस्तर पर आराम। 2. दर्द की जगह पर गर्म सिंकाई।

पथरी से बचाव

पानी अधिक मात्रा में पीना चाहिए। कैल्शियम एवं आक्जलेट युक्त पदार्थ सीमित मात्रा में ही खाने चाहिए। टमाटर, मूली, पालक, भिंडी, बैगन व मीट का परहेज़ रखें।

पथरी का होमियोपैथिक उपचार

अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति में ‘लिथोट्रिप्टर’ नामक आधुनिक एवं महंगे यंत्र से, किरणों की सहायता से गलाकर पथरी निकाली जाती है। इसमें कोई आपरेशन वगैरह नहीं करना पड़ता, किन्तु यह अत्यधिक महंगा इलाज है और इससे पथरी बनने की प्रवृत्ति नहीं समाप्त होती।

होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति में लक्षणों की समानता के आधार पर निम्नलिखित औषधियां फायदेमंद सिद्ध रही हैं –

सोलिडेगो : पेशाब की मात्रा कम हो जाना, गुर्दे का दर्द, पेट और मूत्राशय के आसपास दर्द असहनीय हो, तो ‘सोलिडेगोवर्ज’ दवा का मूल अर्क 5-10 बूंद दिन में तीन-चार बार थोड़े से पानी में डालकर सेवन करना चाहिए।

हाइड्रेजिया : मुख्य लक्षण पीठ में बाईं तरफ दर्द होना है। गुर्दे का दर्द हो, पेशाब में सफेद गाढ़ा पदार्थ आए, रक्त आए, तो ‘हाइड्रेजिया’ के मूल अर्क की 5-10 बूंद दिन में तीन-चार बार थोड़े-से पानी में डालकर सेवन करना चाहिए।

बरबेरिस वल्गेरिस : गुर्दे एवं पित्ताशय, दोनों तरह की पथरियों के लिए उत्तम दवा है। पेशाब में जलन, पेशाब करने के बाद ऐसा महसूस होना, जैसे कुछ पेशाब अभी रह गया है, श्लेष्मायुक्त (म्यूकसयुक्त) पेशाब चमकदार लाल कणयुक्त, पेशाब करने में जांघ एवं कमर में दर्द, बार-बार पेशाब आना, पेशाब रोकने पर मूत्र-मार्ग में जलन होना, गुर्दों से जांघों तक दर्द, गुर्दों से मूत्राशय में दर्द, दर्द की वजह से उठना-बैठना मुश्किल आदि लक्षण मिलने पर मूल अर्क का सेवन करना चाहिए।

लाइकोपोडियम : किसी शीशी में पेशाब को भरकर रखने से तली में रेत के लाल कण जम जाएं और पेशाब बिलकुल साफ रंग का रहे (ये कण लिथिक अथवा यूरिक एसिड के होते हैं और पथरी का निर्माण करते हैं), दाई तरफ गुर्दे में दर्द होता है, पेशाब धीरे-धीरे होना एवं कमर में दर्द रहना, रोगी अकेला रहना पसंद नहीं करता, रात में बार-बार पेशाब होना आदि लक्षण मिलने पर पहले 30 शक्ति में एवं बाद में 200 शक्ति में दवा प्रयोग करनी चाहिए। इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि भी बढ़ जाती है।

डायस्कोरिया : गुर्दे के दर्द में चलने-फिरने से, उठकर खड़े होने से पीठ की तरफ झुककर बैठने से आराम मिले, दर्द मरोड़ के साथ होता हो और बेचैनी की वजह से एक जगह बैठा न रह सके, दर्द गुर्दे से शुरू होकर छाती में दाई तरफ अथवा अन्य किसी भाग में जाए, तो उक्त दवा 6 शक्ति में सुबह-शाम लेनी चाहिए।

अर्टिका यूरेंस : यूरिक एसिड बनने की प्रवृति रोकने के लिए एवं यूरिक एसिड निर्मित पथरी के लिए, उक्त दवा के मूल अर्क का नियमित सेवन करना चाहिए।

ओसिमम कैनम : तुलसी के पत्तों से बनने वाली उक्त दवा भी यूरिक एसिड बनने की प्रवृति रोकने में कारगर है। मूत्र में लाल कण जमें, दर्द विशेषकर दाहिनी तरफ हो, तो इस दवा को 30 शक्ति में सुबह-शाम लेना चाहिए।

गुर्दे की पथरी पेशाब के रास्ते चूरा बनकर बाहर निकलती है, जबकि पित्ताशय की पथरी डयूओडिनम (आंत का उदर के नीचे का पतला भाग) से आंत में होते हुए मल के साथ बाहर निकल जाती है।

कैल्केरिया कार्ब : यह दर्द दूर करने की उत्तम दवा है। गुर्दे का दर्द हो रहा हो, तो ‘कैल्केरिया कार्ब’ 30 शक्ति की 5-6 गोली दिन में 3 बार, या जरूरी हो, तो 15-15 मिनट से मुंह में रख कर चूसने से दर्द दूर हो जाता है।

सारसापेरिला : पेशाब में सफेद पदार्थ का निकलना और पेशाब का मटमैला होना, पेशाब के अन्त में असह्य कष्ट होना, गर्म चीजों के सेवन से कष्ट बढ़ना, बैठ कर पेशाब करने में तकलीफ के साथ बूंद-बूंद करके पेशाब उतरना और खड़े होकर पेशाब करने पर आसानी से पेशाब उतरना यह सारसापेरिला के लक्षण हैं। इन लक्षणों पर इसकी 6 शक्ति वाली 5-6 गोली सुबह शाम चूस कर लेने से आराम हो जाता है।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें