फोस्फोरिक एसिड – Phosphoric Acid

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फोस्फोरिक एसिड के होम्योपैथिक उपयोग

( Acid Phos Homeopathic Medicine In Hindi )

(1) शोक, दुःख, भग्न-प्रेम, कुटुम्बी की मृत्यु का आघात, रोगी की चिन्तापूर्वक देर तक सेवा करने तथा व्यापार की झंझटों और चिंताओं से उत्पन्न रोग; एसिड फॉस, इग्नेशिया और नैट्रम म्यूर की तुलना – रोगी किसी मानसिक-आघात से पीड़ित होता है। किसी प्रकार का शोक या दु:ख उसके हृदय में बैठ चुका होता है। हो सकता है, लड़की किसी प्रेम के वियोग में परेशान हो, उसके प्रेमी ने उसे दगा दिया हो, उसे प्रेम का आघात पहुंचा हो; हो सकता है कि कुटुम्बी की अचानक मृत्यु हो गई हो और वह उसके मर जाने के सदमे को न सह सका हो, अन्दर-ही-अन्दर शोक-मग्न रहता हो। कई बार पत्नी को अपने रोगी पति की सेवा में दिन-रात एक कर देना पड़ रहा हो, उसकी चिन्ता में वह घुली जा रही हो; व्यापारी अपने व्यापार की परेशानियों से घिरा रहता हो; छोटे बच्चे को बोर्डिंग हाउस में डालने से वह घर जाने के लिये व्याकुल रहता हो – इन सब कारणों से कई मानसिक-रोग उठ खड़े होते हैं। रोगी को रात को, या सवेरे के समय, पसीना आने लगे, रात को नींद ही न आये; या किसी बात में चित्त ही न लगे, मन दु:खी और व्याकुल रहने लगे, रोगी हतोत्साह हो जाय-ऐसे हालात में एसिड फॉस लाभप्रद है।

एसिड फॉस, इग्नेशिया और नैट्रम म्यूर की तुलना – शोक, दु:ख आदि में इग्नेशिया, नैट्रम म्यूर और एसिड फॉस की तुलना की जा सकती है। चित्त पर ‘हतोत्साह’ (Depression) उत्पन्न करने वाले कई कारण हो सकते हैं। दु:ख, शोक, मित्र या कुटुम्बी की मृत्यु, प्रेमी का विछोह, रुपये-पैसे का डूब जाना नौकरी का हाथ से चला जाना इत्यादि कारणों से मानसिक-आघात पहुंच सकता है। इन स्थितियों में अगर आघात बहुत गहरा है, और इग्नेशिया से लाभ नहीं होता, तो एसिड फॉस से लाभ होगा क्योंकि एसिड फॉस का प्रभाव इग्नेशिया से गहरा है। इग्नेशिया के विषय में हम लिख आये हैं कि इस का क्रौनिक नैट्रम म्यूर है। इग्नेशिया तथा एसिड फॉस दोनों ‘सर्द’-है; नैट्रम म्यूर ‘गर्म’-है। दु:ख, शोक आदि से उत्पन्न हुआ रोग अगर बहुत पुराना हो जाय, तो एसिड फॉस की तरफ ध्यान जाना चाहिये।

(2) हस्त-मैथुन, स्त्री-प्रसंग, स्वप्न-दोष, इन्द्रिय-चालन आदि से उत्पन्न रोग – इन कारणों से भी कभी-कभी कोई मानसिक रोग उत्पन्न हो जाता है। दिल धड़कने लगता है, स्नायु-मंडल दुर्बल हो जाता है। रोगी हताश रहता है, दु:खी रहता है, उदास रहता है, वीर्य-स्राव के कारण नपुंसक हो जाता है। ऐसी अवस्थाओं में भी यह औषधि लाभप्रद सिद्ध होती है। इन्हें सिर के ऊपर, सिर की गुद्दी में भारीपन महसूस होता है, थकावट महसूस होती है, रोगी बिस्तर पर पड़ा रहना चाहता है।

(3) पहले मानसिक कमजोरी, फिर शारीरिक कमजोरी आती है – डॉ० कैन्ट लिखते हैं कि इस औषधि की गति मस्तिष्क से मांस-पेशियों की तरफ जाती है। इसका मतलब यह है कि रोगी का पहले मस्तिष्क दुर्बल होता है, तब तक शरीर भला चंगा रहता है, परन्तु धीरे-धीरे मानसिक-कमजोरी जब बढ़ जाती है, तब आगे चलकर शरीर में भी कमजोरी आने लगती है। म्यूरियेटिक ऐसिड में इससे उल्टा होता है। म्यूरियेटिक ऐसिड में पहले शारीरिक कमजोरी शुरू होती है मन बिल्कुल स्वस्थ रहता है, और जब शारीरिक-कमजोरी चरम सीमा पर पहुंच जाती है, तब मानसिक कमजोरी भी आ जाती है। एसिड फॉस के रोगी के बिल्कुल कमजोर हो जाने पर भी शरीर पर उसका कोई प्रभाव नहीं दीखता। वह शरीर से व्यायाम भी करता है, सब शारीरिक-श्रम किये जाता है, परन्तु जहां तक मन का संबंध है, मानसिक-कार्य नहीं कर सकता। वह अखबार नहीं पढ़ सकता, अपने घरवालों के नाम भूल जाता है, व्यापारी को अपने कारिन्दों तक के नाम याद नहीं रहते। अंकों का जोड़ नहीं कर सकता, उसका मन अत्यंत शिथिल हो जाता है।

(4) टाइफॉयड में मानसिक तथा शारीरिक कमजोरी – इस औषधि की कमजोरी की अवस्था टाइफॉयड ज्वर में स्पष्ट सामने आती है। रोगी इतना बलहीन हो जाती है कि सिर्फ देखता जाता है, कुछ बोलता नहीं। मन बिल्कुल थका रहता है। अगर कुछ प्रश्न किया जाय तो बहुत धीरे-धीरे बोलता है, या बोलता भी नहीं, प्रश्न करने वाले की तरफ सिर्फ ताकता रहता है, उस में सोचने तथा बोलने की शक्ति ही नहीं रहती। अगर बहुत पूछा जाय, तो कहता है-डाक्टर, मुझ से बात मत करो, मुझे अकेला पड़ा रहने दो। वह मानसिक तथा शारीरिक दृष्टि से इतना पस्त होता है कि बोलना-चालना उसे नहीं भाता।

(5) दस्त आने पर भी कमजोरी न होना – इसका एक विचित्र लक्षण यह है कि उक्त प्रकार की शरीरिक तथा मानसिक कमजोरी होने पर भी रोगी को दस्तों की बीमारी में किसी प्रकार की कमजोरी अनुभव नहीं होती। बच्चे को बड़े-बड़े पनीले दस्त आते हैं, इतने बड़े कि लंगोट सारा तर हो जाता है, दस्त लंगोट के बाहर फैल जाता है, परन्तु बच्चा रोने या घबराने के स्थान में हंसता है, मानो कुछ हुआ ही नहीं है। मां कहती है – इतने भारी दस्त आ रहे हैं और बच्चा समझता है कि कुछ हुआ ही नहीं। ऐसे दस्तों में, चाहे बच्चे को आयें चाहे बड़े को, एसिड फॉस लाभ करता है। कई रोगी ऐसे होते हैं जो जब तक दस्त आते रहते हैं, तब तक वे अपने को नीरोग पाते हैं, दस्तों के रुकते ही उन्हें कमजोरी, पस्त हो जाने, मस्तिष्क की थकावट और तपेदिक के-से लक्षण होने लगते हैं। जो लोग कहें कि जब तक दस्त न आते रहें तब तक वे अपने को चंगा नहीं महसूस करते, उनके लिये एसिड फॉस परम-उत्तम औषधि है। इसके दस्त सफेदी लिये हुए, सफेद मैले पेंट की तरह के या पनीले पीले होते हैं, बदबू-रहित और भारी-भारी दस्त। पोड़ोफाइलम के दस्त पीले होते हैं, ग्रेटिओला के हरे होते हैं। चायना में एसिड फॉस की तरह वेदना-रहित, पीला या सफेद दस्त आता है, परन्तु चायना के दस्त में रोगी अत्यंत कमजोर हो जाता है, एसिड फॉस में कमजोर नहीं होता।

(6) डायबिटीज – डायबिटीज (बहुमूत्र-रोग) में एसिड फॉस उत्तम औषधि है। मूत्र का रंग पानी-जैसा या पानी मिला दूध जैसा होता है। बहुत अधिक आता है, रात को बार-बार पेशाब जाना पड़ता है। मूत्र में फॉसफेट अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। मूत्र रखने से तलछट में सफेदी बैठ जाती है।

एसिड फॉस औषधि के अन्य लक्षण

(i) शोक को दूर करता है – शोकाकुल को प्रसन्न बना देता है।

(ii) नर्व की दवा है – डॉ० हजेज का कहना है कि रक्तहीन के लिये जो काम आयरन (लौह) करता है, स्नायु-मंडल की कमजोरी के लिये वही काम एसिड फॉस करता है।

(iii) जल्दी बढ़ना – डॉ० नैश लिखते हैं कि कैलकेरिया कार्ब का रोगी बहुत मोटा होता है, एसिड फॉस का रोगी बहुत जल्दी लम्बा हो जाता है।

(iv) स्वप्नदोष – स्वप्नदोष की यह उत्तम दवा है। डॉ० के कथनानुसार स्वप्नदोष में एसिड फॉस 18 शक्ति विशेष सफल पायी गई है।

(v) नींद से लाभ – सीपिया और एसिड फॉस के रोगी के लक्षण नींद आने से घट जाते हैं।

(vi) स्नायु-मंडल की कमजोरी – चायना की कमजोरी शरीर के स्रावों के निकलने से, और एसिड फॉस की कमजेरी स्नायु-मंडल (Nervous system) की कमजोरी से होती है।

(vii) बाल झड़ना – बाल झड़ना इसका विशेष लक्षण है।

(viii) अंगुलियों में खुजली – अंगुलियों के बीच या जोड़ों के बीच खुजली इससे दूर होती है।

(ix) लड़कियों का सिर-दर्द – स्कूल जाने वाले लड़कियों के सिर-दर्द को यह दूर करता है। नैट्रम म्यूर में भी यह लक्षण है।

(8) शक्ति तथा प्रकृति – एसिड फॉस 1, एसिड फॉस 30, एसिड फॉस 200 (डॉ० के कथनानुसार स्वप्नदोष में 18 शक्ति लाभप्रद है। औषधि ‘सर्द’ प्रकृति के लिये है)

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6 Comments
  1. Mohsin says

    Sir.
    How long we can take acidum phosphoricum 30….?

    1. Dr G.P.Singh says

      Up to you have bee cure.

  2. chandan kumar says

    Sir ji mera age 29 year hai. Aur mera weight only 41 kg hai.kyuki sir mujhe 8 year se hastmathun ke karan swapandosh hua hai. Mahine me 6-7 baar swapandosh hojata hai. jiske wajah se mai mota nahi ho pa raha hun. So please help me sir.koi dawa btaiye please sir. Aur yeh dawa kitne mahino tak lena hai…? Please help me sir…

    1. Dr G.P.Singh says

      You please state your physique ie. whats your colour, what is your height, your nature fear, anger your feeling etc. At present you start with (1) Sulpher 200 two drops in morning at 7 days interval. (2) Nux Vom 30 daily at bed time in night (3) Acid phos 30 one drop daily in morning. If you will give exact nature of your body, of your disease and nature of your mind then only exact homeopathic medicine can be selected. So please give full detail such that your medicine can be selected.

  3. shahid says

    Dr sahab mera hand bahut dubla hai isko mota karne ka koi ilaj ho please batayen

    1. Dr G.P.Singh says

      Manspesiyon ka exercise kare. may God bless you.

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