मिर्गी रोग का घरेलू उपचार, कारण, लक्षण

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मिर्गी का कारण – इस रोग का मुख्य कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है। अत्यधिक हस्त मैथुन, पुराना अांव, चोट, वीर्य-क्षीणता, पेट में कीड़े आदि इस रोग के प्रमुख कारण हैं।

लक्षण – अकड़न व यकायक मूर्च्छावस्था, अकड़न का दौरा होने पर रोगी का पिछला भाग टेढ़ा पड़ जाना, मुंह से फेन निकलने लगना, दांती लग जाना, हाथ-पैर पटकना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

मिर्गी रोग का घरेलू उपचार

( Mirgi ka gharelu ilaj )

– मिर्गी की अवस्था में रोगी अचेतन अवस्था में हो जाता है तथा चेतना लुप्त हो जाती है। राई पीसकर चूर्ण बना लें तथा दौरे के समय रोगी को सुंघा देने से बेहोशी दूर होती है।

– तुलसी के पत्तों के रस में जरा-सा-सेंधा नमक मिलाकर 1-1 बूँद नाक में टपकाने और इसके पत्तों को पीसकर शरीर पर मलने या उबटन लगाने से मिर्गी के रोग में लाभ होता है।

– तुलसी की पत्तियों के साथ कपूर सुंघाने से मिर्गी के रोगी को होश आ जाता है।

– रोगी के पैरों के तलवों में आक की आठ-दस बूंदें रोज शाम को मलें। एक डेढ़ माह में लाभ होगा।

– आक की जड़ की छाल को बकरी के दूध में पीसकर रख लें। मिर्गी के दौरे के समय इसे सुंघाने से बेहोशी तत्काल दूर हो जाती है।

– पच्चीस ग्राम शहतूत का रस पिलाते रहें। यदि शहतूत नहीं आ रहे हों तो सेब का रस या सेब का मुरब्बा दें। यह मिर्गी रोगी के लिये लाभप्रद है।

– शरीफे के पत्तों को पीसकर उसका पानी रोगी की नाक के दोनों ओर दो-दो बूंद डालने से होश अी जायेगा ।

– मिर्गी में जरा-सी हींग, नींबू के साथ चूसने से लाभ होता है।

मिर्गी रोग का होमियोपैथिक द्वारा इलाज

नैट्रम-फॉस 3x – यदि कृमि के कारण यह व्याधि हुई हो तो यह मिर्गी-रोग की उपयोगी दवा है। काली-मयूर के साथ पर्याय क्रम से व्यवहार करना ठीक रहता है।

कल्केरिया-फॉस 12x – शुक्रक्षय, हस्तमैथुन तथा रक्ताल्पता इस रोग के कारण हो तो यह बहुत लाभ करती है।

फेरम-फॉस 12x – चेहरे का रक्तवर्णी होना, मस्तिष्क में खून की अधिकता और नाड़ी की तीव्र गति आदि लक्षणों में इसका व्यवहार होता है।

काली मयूर 3x – यह इस रोग की प्रधान दवा है। यदि चर्म का रोग एकाएक दब जाये तो यह औषधि विशेषरूप से लाभ करती है।

मैगनेशिया फॉस 3x – यह शारीरिक अकड़न को दूर करती है। हस्तमैथुन के कारण बीमारी हो तो दवा बहुत लाभदायक रहती है।

आर्टमेशिया वल्गेरिस 30, सिक्यूटा वाइट 30ओनेथी कोक 6 शक्ति में कुछ दिन लें। लाभ न मिलने पर एक बार होमियोपैथिक चिकित्सक से भी संपर्क कर लें।

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