गले के सूजन, दर्द दूर करने का घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज

1,901

गले के सूजन का कारण

(Gale ke sujan ka karan)

साधारणतया अधिक धूम्रपान करने, शराब पीने, ठंडे पदार्थों का अधिक सेवन करने, ठंडी चीजों के तुरन्त बाद गर्म चीजें खाने, पेट में बहुत ज्यादा कब्ज रहने, ऋतु बदलने के कारण गले में हवा लगने, कच्चे फल खाने या फिर नाक तथा गला खराब करने वाली चीजों को सूंघने, अम्लीय चीजों को खाने, अधिक देर तक वार्तालाप करने आदि के कारण गले में खराबी आ जाती है। जैसे गले में सूजन, दर्द, खुश्की तथा थूक निगलने में परेशानी या गला बैठ जाना आदि परेशानियां उत्पन्न हो जाती हैं।

गले में सूजन के लक्षण

(Gale ki sujan ke lakshan)

गला खराब होने के कारण गले के भीतर सूजन आ जाती है। कंठ में बहुत दर्द होता है, थूक निगलने में कठिनाई होती है, गले में खुजली मचती है, सूखी खांसी हो जाती है तथा बुखार रहने लगता है। थूक निगलना या थूक तथा कफ बाहर निकलना कठिन हो जाता है। गला बैठ जाता है, तो आवाज (बोली) साफ नहीं निकलती है।

गले के सूजन का घरेलू इलाज

(Throat Pain Home Remedies)

  • गले में सूजन हो जाने की हालत में धनिया के दानों को पीसकर उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर चंदन की तरह लगाएं।
  • फिटकिरी 10 ग्राम तवे पर भूनकर, कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो ग्राम-फिटकिरी सुबह के समय चाय या गर्म पानी से लें । दिन भर में चार बार दवा लें।
  • तुलसी की मंजरी (बीज) 10 ग्राम, सेंधा नमक 5 ग्राम। दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह और दो चुटकी शाम को सेवन करें।
  • पानी में लहसुन का रस घोलकर गरारे करें। इससे गले का स्वर खुलेगा तथा खरखराहट और दर्द दूर होगा।
  • जामुन की गुठलियों को सुखाकर महीन-महीन पीस लें। फिर इसमें से दो चुटकी चूर्ण सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें।
  • बेर के पत्तों को पानी में उबालें। फिर उस पानी को छानकर जरा-सा सेंधा नमक डालकर पी लें।
  • गोभी के पत्तों का रस निकालकर दो चम्मच की मात्रा में पानी में डालकर सेवन करें।
  • एक कप पानी में चार-पांच काली मिर्च तथा 5 तुलसी की पत्तियां उबालकर इनका काढ़ा बनाकर पिएं। इससे गला खुल जाएगा और सूजन भी कम हो जाएगी।
  • गले में दर्द तथा खराश होने पर गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करें।
  • यदि ठंड लगने के कारण, रात में जागने की वजह से तथा अधिक देर तक गाना गाने के कारण गला बैठ गया हो, तो पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करें।
  • कुलथी तथा काली मिर्च का काढ़ा पीने से कंठमाला की शिकायत दूर हो जाती है।
  • एक चम्मच गेहूं के आटे का चोकर, एक चुटकी सेंधा नमक और दो नग लौंग । तीनों को चाय की तरह उबालकर तथा छानकर पिएं।
  • 10 ग्राम सोंठ का चूर्ण और 10 ग्राम अकरकरा का चूर्ण। दोनों को 25 ग्राम शहद में मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। दो-दो गोली सुबह और शाम को गर्म पानी से सेवन करें। गले की सूजन तथा सीने में जमा कफ के लिए यह दवा बड़ी कारगर है।
  • मुलेठी का चूर्ण आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है।
  • यदि तेज बोलने के कारण गला बैठ गया हो, तो थोड़ा-सा कच्चा सुहागा मुंह में रखकर चूसें।
  • गर्म पानी में नीबू निचोड़कर उससे गरारे करें। नीबू का पानी गले की सूजन, लाली तथा गला बैठने की तकलीफ को ठीक करता है।
  • गला खोलने के लिए एक चुटकी काली मिर्च, आधा चम्मच घी और थोड़ी-सी पिसी हुई मिसरी मिलाकर सेवन करें।
  • बोलने में कठिनाई हो रही हो या स्वर भंग हो गया हो, तो आम के दो-तीन पत्तों को पानी में उबालकर उसके गुनगुने पानी से गरारे करें।
  • अदरक का रस एक चम्मच, दो लौंगों का चूर्ण और आधी चुटकी हींग को मिलाकर चाटने से गले की हर प्रकार की तकलीफ दूर हो जाती है।
  • काली मिर्च, सौंफ, काले मुनक्के, वनफशा, विदाना। सबको बराबर की मात्रा में लेकर कूट-पीस लें। फिर इसे एक कप पानी में उबालें। जब पानी आधा कप रह जाये, तो इसमें शक्कर मिलाकर पी जाएं। इससे गले की सभी बीमारियों से छुटकारा मिलेगा।
  • सोंठ तथा मिसरी मिलाकर खाने से गला खुल जाता है।
  • आम के पत्तों को पानी में उबालें। पानी की छानकर, शहद डालकर प्रयोग करें।
  • आक के फूलों को पानी में पीसकर गले पर लेप करें, बैठा गला खुल जाएगा।
  • काली मिर्च 2 ग्राम तथा मिसरी 5 ग्राम। दोनों को मिलाकर खा जाएँ। गले की हर बीमारी को लाभ पहुंचेगा।
  • पानी में जायफल घिसकर एक गिलास पानी में घोल लें। इसके बाद इससे कुल्ली करें।
  • सुबह के समय कच्चे जौ चबाकर खाने से भी गला खुल जाता है।
  • नीम की पत्तियां 2, 4 काली मिर्चें, 2 नग लौंग, थोड़ा-सा नमक। इन सबका काढ़ा बनाकर सेवन करें।
  • पानी में दस ग्राम मुलेठी डालकर उबाल लें। फिर इस पानी को ठंडा करके गरारे करें।
  • पान की जड़ (कलंजन) के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर मुंह में रखकर चूसें। इससे गला साफ होता है तथा आवाज भी खुल जाती है।
  • अनार के छिलके 10 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी में उबालें। इसमें 2 लौंग पीसकर डाल लें। पानी जब चौथाई भाग रह जाए, तो उसमें एक चुटकी पिसी हुई फिटकिरी डालें। इसके बाद इस पानी से गरारे करें।
  • पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे। थोड़ी देर बाद पट्टी को खोल दें, गला खुल जाएगा।
  • बबूल की छाल को पानी में डाल कर उबाल लें। इस पानी से गरारे करें।
  • पालक के पत्तों को पीसकर पट्टी बनाकर गले में बांधे। थोड़ी देर बाद पट्टी को खोल दें। गला खुल जाएगा।
  • बबूल की छाल को पानी में डालकर इसे उबाल लें। फिर इस पानी से गरारे करें।
  • छोटी हरड़ चूसने से गले के रोगों में काफी लाभ होता है।
  • थोड़े-से मूली के बीजों को पीसकर गर्म पानी से सेवन करें।
  • शलगम को उबालकर उसका पानी पीने से गला खुल जाता है।

गले के सूजन का आयुर्वेदिक इलाज

(Gale ka sujan a ayurvedic ilaj)

  • आम का सूखा बौर 15 ग्राम, आंवला 25 ग्राम, मुलेठी 20 ग्राम, छोटी इलायची 5 ग्राम और कुलंजन 10 ग्राम। इन सबको महीन-महीन पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इसमें थोड़ी-सी मिसरी मिला लें। यह चूर्ण सुबह-शाम 2-2 चुटकी गर्म पानी के साथ खाने से हर प्रकार के गले के रोग दूर हो जाते हैं।
  • काली मिर्च 10 ग्राम, मुलेठी 10 ग्राम, लौंग 5 ग्राम, हरड़ 5 ग्राम तथा मिसरी 20 ग्राम। इन सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण सुबह को शहद के साथ धीरे-धीरे चाटें। पुरानी खांसी तथा नजले के कारण गले की खराबी, सिर दर्द, गले की खुश्की आदि दूर हो जाएगी।
  • हरड़ के काढ़े में शहद मिलाकर सुबह-शाम पिएं।
  • दारुहलदी, नीम की छाल, रसौत, इन्द्र जौ। सबको बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में से दो-दो चम्मच काढ़ा सुबह-शाम सेवन करें।
  • चमेली के पत्ते, जवासा, गिलोय, दाख, दारुहलदी और त्रिफला। इन सबको सम भाग में लेकर गरारे करने से गले के घाव तथा छाले दूर हो जाते हैं।
  • जामुन, आम और चमेली के थोड़े-से पत्ते, 5 ग्राम हरड़, 5 ग्राम आंवला, 4 पत्तियां नीम की तथा 2 परवल के पत्ते लेकर एक गिलास पानी में उबालें। फिर छानकर इस काढ़े से कुल्ली करें।
  • कूट, मोथा, एलुआ, धनिया, इलायची तथा मुलेठी। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इस चूर्ण को गर्म पानी के साथ एक चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इससे गले की हर प्रकार की खराबी दूर होगी।
  • सफेद चिरमिटी के पत्ते, शीतल चीनी तथा मिसरी, तीनों को मिलाकर मुंह में डालकर इनका रस चूसें। यह कंठ के घाव तथा बैठे गले को दूर करता है।
  • गले में छाले दूर करने के लिए अरहर के पत्ते तथा धनिया के पत्ते उबाल कर कुल्ली करें।
  • तिल, नील कमल, घी, मिसरी, दूध तथा शहद। इन सबको बराबर की मात्रा में लेकर मिला लें। फिर इनको मुख में रखकर चूसें।
  • पटोलपत्र, सोंठ, त्रिफला, इन्द्रायण, कुटकी, हलदी, दारु हलदी तथा गिलोय। बराबर की मात्रा में पानी में डालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को रोज सुबह के समय पीने से गले की सभी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
  • कफकेतु रस की 2 गोली 3 बार जल से भोजनोपरान्त 10 दिन तक लें।
  • सेप्टीलिन का 1 टेबलेट जीर्ण अवस्था में तीन बार 40 दिन तक लें।
  • लक्ष्मी विलास रस (नारदीय) 1 गोली तीन बार शहद से लें।
  • खदिरादि वटी, लवंगादि वटी, व्योषादि वटी में से कोई एक दिन में 4-5 बार चूसें।

गले के सूजन, दर्द, कुछ निगलने में परेशानी, आवाज़ बंद, गले में जलन और भी गले संबंधी रोग को घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार द्वारा ठीक किया जा सकता है, परन्तु अगर रोग बढ़ जाये तो वैध या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें ताकि आप जल्दी रोग मुक्त हो सकें। वैसे गले के रोग में घरेलू और आयुर्वेद दोनों उत्तम काम करते हैं। 

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें