Gout Treatment In Homeopathy – गठिया

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इस रोग में रोगी के शरीर के जोड़ों में यूरिक एसिड जम जाता है जिससे जोड़ों में रक्तसंचार ठीक से नहीं हो पाता है जिससे उनमें दर्द रहने लगता कोई भी कार्य कर पाने में असमर्थ होने लगता है । इस रोग का प्रभाव घुटनों पर अधिक होता है। यह रोग अनियमित आहार-विहार, अत्यधिक कारणों से हो जाता है ।

अर्टिका यूरेन्स Q – इस दवा को गुनगुने पानी के साथ देने से यूरिक एसिड शरीर से मूत्र आदि के माध्यम से बाहर निकलने लगता है जिससे रोगी को आराम आने लगता हैं ।

बेंजोइक एसिड 6, 30- इस दवा के सेवन से भी गठिया में लाभ होता | रोगी को अन्य जोड़ों के साथ-साथ छोटे-छोटे जोड़ों और अंगुलियों में दर्द होता है । दर्द शरीर में चक्कर-सा लगाता रहता है । रोगी को की भी कोई तकलीफ हो सकती है ।

एकोनाइट 30– जबकि रोग नया ही हो और साथ में ज्वर भी हो तो इन लक्षणों में देनी चाहिये । पल्सेटिला 30– जोड़ों में वात के कारण दर्द होता हो तो यह दवा बहुत लाभ करती है ।

कोलोफाइलम थैलिक 30– कई स्त्रियों के छोटे-छोटे जोड़ों में दर्द बैठ जाता है। यह वात का दर्द उनके छोटे जोड़ों में वैठने के कारण उन्हें अत्यधिक परेशान करता है। गठिया रोग में जब दर्द चलता-फिरता रहता हो, हर समय अपना स्थान बदल देता हो और अँगुलियाँ सख्त पड़ जाती हों तो यह दवा देनी चाहिये । यदि आवश्यकता महसूस हो तो उच्चशक्ति का प्रयोग किया जा सकता है ।

कोलोसिन्थ 30– इसका चरित्रगत लक्षण है कि दर्द वाले स्थान को दबाने और सेंकने से ददाँ में कमी होती है और इसका दर्द शरीर के बॉयी ओर की लम्बी नसों में अधिक होता है इसीलिये प्रायः चिकित्सक सायटिका आदि लक्षणों को ध्यान में रखकर करने से आशातीत लाभ होता है। इस दवा का प्रयोग 30 से प्रारम्भ करते हुये लक्षणानुसार 200 या 1M शक्ति तक किया जा सकता है ।

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1 Comment
  1. Pawan Kumar mishra says

    sir meri patni ke kabhi paje jodo par kabhi payro me jo do par kabhi kohni me dard hota hai sir koi dawa batyeee plzzzz

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