Homeopathic Medicine For Delirium Tremens In Hindi

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अधिक दिनों कर शराब पीते रहने के कारण प्रलाप, अनिद्रा, भ्रान्त-विश्वास आदि उपसर्ग प्रकट होते हैं। शरीर में शराब का विष फैल जाने के कारण ही यह रोग होता है ।

यदि शराबी का शराब पीना एकदम रोक दिया जाय तो भी मानसिक-आवेगों में वृद्धि, शरीर का ठीक-ठीक पुष्ट न होना अथवा फुफ्फुस प्रदाह, पतले दस्त, रक्तक्षय आदि कोई तीव्र रोग प्रकट हो सकता है ।

मदात्यय रोग के उपसर्ग धीरे-धीरे प्रकट होते हैं । पाकाशय की गड़बड़ी, वमन, मिचली, भूख की कमी, अनिद्रा, सुस्ती, पेशाब बन्द हो जाना, विचार-शक्ति का कमजोर पड़ जाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कभी-कभी हृत्पिण्ड की क्रिया के रुक जाने के कारण मृत्यु भी हो जाती है ।

इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर है :-

ओपियम 3x, 6 – पुराने शराबियों के लिए यह बहुत उत्तम औषध है। प्रदाह के साथ आँखें खुली होना, भयभीत दृष्टि, जड़वत् बेहोशी की अवस्था, नाक से गहरी आवाज के साथ श्वास निकलना तथा मिर्गी रोग जैसे लक्षण में हितकर है ।

हायोसायमस Q, 1x – बिना बात के बड़बड़ाते रहना, प्रलाप तथा बकवास के लक्षणों में लाभकर है ।

आर्सेनिक 3x – पाकाशय की गड़बड़ी, पेशाब बन्द हो जाना तथा खिन्नता के लक्षणों में ।

स्ट्रिक्नि-नाइट्रेट 2x – हृत्पिण्ड-क्रिया की कमजोरी एवं स्पंदन शक्ति की अत्यधिक क्षीणता में।

कैलि-आयोड Q, 30 – मदात्यय के रोगी के शरीर में उपदंश-रोग का विष रहने पर ।

सल्फ्यूरिक एसिड Q – यकृत-रोग की जीर्णावस्था, पाकाशय की गड़बड़ी, पाकाशय का कमजोर तथा ठण्डा होना, अम्ल रोग की शिकायत, खट्टी वमन, खट्टी श्वास आना, सर्दी तथा दुर्बलता-इन लक्षणों में हितकर है। यदि नक्स-वोमिका का बहुत दिनों तक सेवन किया जा चुका हो तो यह औषध लाभ करती है ।

हाईड्रैस्टिस Q – जीर्ण पाकाशय-प्रदाह के साथ वाली बीमारी में यह औषध लाभकर है। इसे तीन बूंद की मात्रा में देना चाहिए।

स्ट्रैमोनियम 3x वि० – बिल्कुल नींद न आने के लक्षणों से युक्त बीमारी में इसे प्रति चार घण्टे के अन्तर से देना चाहिए ।

हाइड्रोब्रोमेट 30x – इसे अत्यधिक तीव्र प्रलाप के लक्षणों में दें।

ऐण्टिम-टार्ट 3, 30 – फुफ्फुस-प्रदाह श्लैष्मिक एवं पाकाशयिक गड़बड़ी तथा अत्यधिक ठण्डा पसीना आना-इन लक्षणों में हितकर है ।

बेलाडोना 3, 30 – तीव्र प्रलाप के लक्षणों में प्रयोग करें ।

विशेष – इसके अतरित लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी कभी-कभी आवश्यकता पड़ सकती है :- कैनाबिस-इण्डिका, नक्स-वोमिका, जिंकम, फास्फोरस आदि ।

उत्तेजक औषध की अत्यधिक आवश्यकता होने पर – लाइकर-एमोन।

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