थाइमस ग्रन्थि की संरचना और कार्य

इस ग्रन्थि का कुछ अंश वक्ष में वक्ष-अस्थि (Sternum) के पीछे और कुछ भाग ग्रीवा के नीचे के भाग में रहता है । जन्म के समय इसका मार 17 से 37 ग्राम तथा 11 से 15 वर्ष की आयु में 37 से 52…

अण्डग्रन्थि (Testes) की बनावट और कार्य

यह अण्डकोष (scrotum) में एक बाँयी तरफ और दूसरी दाँयी तरफ लटकी रहती है। प्रत्येक ग्रन्थि में लगभग 1000 मुड़ी हुई पतली नालियाँ होती हैं। प्रत्येक नली की लम्बाई 2 से 3 फुट होती है।…

डिम्बग्रंथि की रचना और कार्य

यह गिनती में दो होती हैं - एक गर्भाशय के दाँयी ओर तथा दूसरी गर्भाशय के बाँयी ओर रहती है । जिस प्रकार पुरुषों में शुक्र-ग्रन्थि होती है उसी प्रकार स्त्रियों में डिम्ब-ग्रन्थि होती…

अधिवृक्क ग्रन्थि – अधिवृक्क ग्रन्थि के कार्य

Suprarenal Gland को हिन्दी में 'अधिवृक्क ग्रन्थि' भी कहा जाता है । प्रत्येक वृक्क के ऊपर वाले सिरे के ऊपर और सामने को हल्के पीले रंग की त्रिकोणाकार में स्थित एक ग्रन्थि होती है यही…

पीयूष ( पिट्यूटरी ) ग्रन्थि क्या है और इसके कार्य

यह ग्रन्थि मस्तिष्क में होती है। इसका आकार अण्डे के समान होता है। यह कपाल की जतूकास्थि (Sphenoid Bone) के खात में रहती है । इसके दो भाग होते हैं (Anterior Lobe) और एक पिछला…

थायराइड ग्रंथि क्या है और थायराइड ग्रंथि के कार्य

थायराइड ग्रन्थि की बनावट (Structure of Thyroid Gland) यह स्वर यन्त्र के सामने रहती है। इसकी वृद्धि को 'घेंघा' (Goitre) कहा जाता है । इसकी आकृति चूल्हे जैसी होने के कारण ही इसको…

प्लीहा ( तिल्ली ) क्या है उसकी संरचना और कार्य

प्लीहा को अंग्रेजी में स्पलीन (Spleen) कहा जाता है। अँग्रेजी में प्लीहा का स्वभाव के साथ सम्बन्ध जोड़ा गया है। (Splenic Temper) का अर्थ होता है 'चिड़चिड़े स्वभाव वाला व्यक्ति' इसी…

ग्रन्थि क्या है और ग्रंथि के प्रकार

ग्रन्थि (Glands) - किसी भी रस बनाने वाले यन्त्र को 'ग्रन्थि' गाँठ अर्थात् Glands कहते हैं । हमारे शरीर में 24,00,000 ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं ।(1) प्रणाली सहित ग्रंथियां Glands…

जीभ की रचना और कार्य

रसनेन्द्रिय 'जीभ' का ही पर्यायवायी है अर्थात् जीभ अथवा रसनेन्द्रिय सभी एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। जीभ अधिकतर मांस और माँसपेशियों से बनी होती है। सारी जीभ पर श्लैष्मिक कला चढ़ी…

मानव नाक की संरचना और उसके कार्य

नाक की बनावट (Structure of the Nose) जिस ज्ञानेन्द्रिय द्वारा हमें गन्ध का ज्ञान होता है उसे 'घ्राणेन्द्रिय' (नासिका या नाक) कहते हैं । नाक के दो भाग होते हैं -(1) बाहरी (…
पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें