टीबी T.B. (tuberculosis) रोग का रामबाण घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार

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टीबी का कारण

यह एक ऐसी बीमारी है, जो धीरे-धीरे बढ़ती है। साधारणतया लोग तपेदिक के नाम से भयभीत हो जाते हैं। इस रोग के कीटाणु विरामचिह्न के आकार के होते हैं। ये रोगाणु रोग लगे व्यक्तियों के खांसने, थूकने, छींकने तथा पूरा मुंह खोलकर बोलने से दूसरे लोगों को लग जाते हैं। यह उस धूल में भी पाए जाते हैं, जिसमें रोगी की लार, श्लेष्मा, नाक, थूक आदि मिली रहती है। संक्रमित पानी तथा भोजन से ये मानव शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कुछ बीमार दुधारू पशुओं का दूध पीने से भी तपेदिक के रोगाणु व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार यह रोग वंशपरंपरागत भी हो जाता है। अपौष्टिक भोजन, अधिक मेहनत, धूम्रपान, शराब पीने तथा अधिक मैथुन से भी यह रोग हो जाता है।

टीबी के लक्षण

शुरू में रोगी के शरीर में कमजोरी तथा थकावट मालूम पड़ती है। धीरे-धीरे भूख घटती जाती है। काम करने में मन नहीं लगता, धीरे-धीरे खांसी तथा बुखार की शिकायत होने लगती है। खांसी के साथ-साथ थूक व लार गिरना, छाती में पीड़ा, बार-बार सिर दर्द व जुकाम तथा छोटी-मोटी अन्य बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं। रोगी जल्दी-जल्दी सांस लेने लगता है। नाड़ी की गति तेज तथा ढीली पड़ जाती है। कफ के साथ खून आने की शिकायत भी हो जाती है। शरीर की गर्मी कम होने लगती है तथा कमजोरी काफी बढ़ जाती है।

टीबी का घरेलू उपचार

  • 100 ग्राम मक्खन लेकर उसमें 25 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर नित्य सुबह के समय सेवन करें। शहद व मक्खन शरीर के क्षय को रोकते हैं।
  • लौंग का चूर्ण शहद में मिलाकर भोजन के बाद चाटें।
  • लहसुन के रस के साथ आधा चम्मच शहद मिलाकर चाटें तथा लहसुन के रस को सूंघें। यह रस फेफड़ों को मजबूत करता है।
  • फेफड़ों को शक्ति पहुंचाने के लिए कच्चा नारियल खाना चाहिए।
  • एक पाव दूध में 5 पीपल डालकर उबालें। फिर इस दूध को सुबह-शाम के समय पिएं।
  • कच्ची लौकी को कद्दूकस में कस लें। फिर इसे एक उबाल देकर इसमें शक्कर मिलाकर खाएं।
  • बेर को कुचलकर पानी में उबालें। फिर शक्कर डालकर इसका सेवन करें।
  • 50 ग्राम अखरोट की गिरी और 3 पूतियां लहसुन की छीलकर, दोनों को पीस लें। फिर इसे देसी घी में भूनकर खाएं।
  • केले के तने का रस निकालकर तथा छानकर एक कप तैयार कर लें। फिर इसे नित्य सेवन करें। लगभग 40 दिन तक बराबर सेवन करने से टी.बी. का रोग जाता रहता है।
  • पीपल की गुलड़ियों (फलों) को सुखाकर पीस लें। फिर इस चूर्ण की 8 ग्राम मात्रा प्रतिदिन ताजे दूध के साथ सेवन करें।
  • लहसुन की दो-तीन कलियां सुबह को कच्ची चबा जाएं। एक माह में टी.बी. जैसा रोग खत्म हो जाएगा।
  • टी.बी. के साथ यदि ज्वर रहता है, तो तुलसी की 4 पत्तियां, चुटकी भर नमक, आधा चम्मच जीरा, एक चम्मच सोंठ। सबको एक कप पानी में उबालकर उसकी चाय बनाकर पिएं।
  • क्षय रोगियों के लिए अंगूर रामबाण औषधि है। नित्य 100-200 ग्राम अंगूरों का सेवन करें।
  • मुनक्के के 4 दाने, चार पीपल, 10 ग्राम खांड़। इन सबको पीसकर चटनी बना लें। इसका सेवन सुबह-शाम के समय करें।
  • गुलाब के फूलों को सुखाकर, उसमें गुड़ मिलाकर 5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करें।
  • बकरी के दूध में आधा चम्मच सोंठ डालकर गर्म करें। दिन भर में आधा लीटर पिएं।
  • सेब का मुरब्बा नित्य सेवन करें।
  • 4-5 लहसुन की कलियों को दूध में उबालें। फिर दूध को छानकर पिएं।
  • 10-15 ग्राम मछली का तेल (काड लिवर आइल) दूध में डालकर नित्य पिएं।
  • कसा हुआ 25 ग्राम कच्चा नारियल, लहसुन की चटनी 6 ग्राम तथा बकरी का दूध 250 ग्राम, तीनों का हलवा बनाकर खाएं।
  • 200 ग्राम बेल की गिरी पानी में पकाएं। पानी जब 50 ग्राम रह जाए, तो उसमें कच्ची खांड़ डालकर सेवन करें।
  • दूध के साथ गुलकंद खाएं।

टीबी का आयुर्वेदिक उपचार

  • पीपल 5 ग्राम, पीपलामूल 5 ग्राम, धनिया 4 ग्राम, अजमोद 5 ग्राम, अनारदाना 50 ग्राम, मिसरी 25 ग्राम, काली मिर्च 5 ग्राम, बंशलोचन 2 ग्राम, दालचीनी 2 ग्राम और तेजपात 8-10 पत्ते। सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण प्रतिदिन शहद या बकरी/गाय के दूध से सेवन करें।
  • करेले का एक चुटकी चूर्ण शहद के साथ चाटने के बाद ऊपर से वासावलेह का सेवन करें।
  • मुलेठी, मुनक्का, काली मिर्च, बहेड़ा तथा पिप्पली की समान मात्रा लेकर उन्हें कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ नित्य सुबह के समय सेवन करें।
  • जीवंती का चूर्ण शहद के साथ चाटने से हर प्रकार का यक्ष्मा जाता रहता है।
  • लौनी घी में शहद मिलाकर खाएं तथा ऊपर से दूध पिएं।
  • अर्जुन की छाल, गुलसकरी तथा कौंच के बीजों को लेकर पीस लें। इसमें थोड़ा-सा घी तथा शहद मिलाकर अवलेह बना लें। नित्य आधा चम्मच अवलेह खाकर ऊपर से दूध पिएं।
  • असगंध तथा पीपल का चूर्ण समान मात्रा में बनाकर एक चुटकी घी या शहद के साथ सुबह-शाम चाटें।
  • शरीर पर लाक्षादि तेल या चंदनादि तेल की मालिश करें।
  • स्वर्ण मालती बसंत 125 मि. ग्रा, श्रृंग भस्म 250 मि. ग्रा, अभ्रक भस्म 125 मि. ग्रा, सितोपलादि चूर्ण 1 ग्राम। इनको मिलाकर ऐसी एक मात्रा तीन बार शहद के साथ लें।
  • द्राक्षासव व वासारिष्ट 10-10 मि. ली. समान मात्रा में जल मिलाकर सुबह-शाम भोजनोपरान्त लें।
  • चयवनप्राश 10 ग्राम सुबह-शाम दूध से लें।
  • क्षयगज केसरी या यक्ष्मान्तक लौह में से एक 125 मि.ग्रा. तीन बार मधु से लें।

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2 Comments
  1. Ranjeet mishra says

    Mera name ranjeet mishra hai Mari wife ko XRD TB hai mein jharkhand ka rahne wala hu liken mumbai mein kaam karta hu aap kuch upay bataye hamare do chote bache hai mein sarkari ilaaj chala raha hu liken medicine kuch kaam nahi kar raha hai kiya hamari madad kare hamara mob no 996744233 hai

    1. Dr G.P.Singh says

      Aap rogi ka umra rang tatha rogi ka hight likhen taki sahi dawa ka selection kiya ja sake. Bimari men aap ko paresani kya hai use likhne ka kast karen. tatkal fayada ke liye aap Arsenic 30 subah ek bund len tatha Pulsetila 200 subah 7 din ke antral par. Pura laxan likhane ke bad punah dawa ka selection kar batlaya ja sakega.

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