Homeopathic Medicine For Warts In Hindi [ मस्सा का होम्योपैथिक इलाज ]

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त्वचा पे कहीं भी काले अथवा अन्य रंगों के मस्से उभर आते हैं, जिनके कारण शारीरिक सौन्दर्य में कमी आती है। कुछ मस्सों में प्रदाह तथा खुजली के लक्षण भी पाये जाते हैं ।

मस्सों की चिकित्सा

मस्सों को हटाने में आगे लिखी औषधियाँ लक्षणानुसार लाभ करती हैं, इनमें से जिस औषध को मुख द्वारा सेवन किया जाय, उसी के मूल-अर्क को लोशन बनाकर मस्सों पर लगाने से शीघ्र लाभ होता है :-

थूजा 1x, 30 – यह इस रोग की सर्वोत्तम औषध मानी जाती है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के मस्सों को दूर करती है। मस्सों के झुण्ड, सिर के पीछे सरसों के दाने जैसे मस्से, ठोड़ी पर मस्सा, नीचे और लटकने वाले मस्से तथा कभी-कभी रक्तस्राव करने वाले मस्से – इन सभी में इस औषध को हर चार घण्टे के अन्तर से सेवन करना चाहिए। औषध सेवन के साथ ही इसके मूल-अर्क को प्रात:-सायं रुई की फुरहरी द्वारा मस्सों पर लगाते रहने से शीघ्र लाभ होता है ।

डॉक्टर टंक इस औषध के मूल-अर्क की 4-5 बूंदें चीनी के साथ खिलाकर कुत्ता, घोड़ा आदि पशुओं के शरीर पर पाये जाने वाले मस्सों को भी झाड़ दिया करते थे । मस्सों के अतिरिक्त यह औषध गोटी (Tubercies), तिल (Neva), अदीठ-व्रण (Carbuncle), अर्बुद, क्षत (Ulcer), चकत्ते तथा चित्ती (Freckles) में भी लाभ करती है ।

यदि गर्भिणी-स्त्री को पहले कुछ दिन ‘सल्फर 30‘ फिर कुछ दिन ‘थूजा 30‘ और अन्त में ‘मर्क-सोल 30‘ का सेवन करा दिया जाय, तो उसके होने वाली सन्तान के शरीर में मस्से उत्पन्न नहीं होते । गोभी के फूल जैसे मस्सों के लिए भी ‘थूजा’ लाभकारी है ।

नाइट्रिक-एसिड 12 – बड़े आकार के खुरदरे, टेढ़े-मेढ़े लटकने वाले ऊपर के होंठ वाले तथा जिन्हें धोकर रक्तस्त्राव होने लगे – ऐसे मस्सों में यह औषध लाभकारी है ।

कास्टिकम 6, 30 – छोटे आकार वाले अत्यधिक मस्से, ऐसे मस्से – जिनकी जड़ तो मुलायम हो, परन्तु शिखर पर कठोरता हो तथा बाहों, हाथों, पलकों और चेहरे पर होने वाले मस्सों के लिए यह विशेष हितकर है ।

कैल्केरिया-कार्ब 12, 30 – सींग जैसे नोंकदार, चुभने वाले, कठोर, सूज जाने वाले तथा जख्म के रूप में बदल जाने वाले मस्सों के लिए हितकर है ।

कैलि-म्यूर 3 – यह हाथों के मस्सों के लिए हितकर है । मुख द्वारा सेवन करने के साथ ही इसे 3x शक्ति में एक चम्मच पानी में डालकर, उस लोशन द्वारा मस्सों को तर करते रहने से शीघ्र लाभ होता है ।

सिपिया 30 – जननेन्द्रिय की त्वचा के अग्रभाग पर तथा शरीर के अन्य भागों में बड़े आकार के कठोर तथा काले मस्से इस औषध के सेवन से ठीक किये जाते हैं।

नेट्रम-म्यूर 6 – यह हथेली के मस्सों के लिए हितकर है ।

एण्टिम-टार्ट 12 – पुरुष-जननेन्द्रिय की सुपारी के पीछे मस्से होने पर इसका प्रयोग लाभकर रहता है ।

नेट्रम-कार्ब 30 – यह छूने से दुखने वाले तथा जख्म बन जाने वाले मस्सों को दूर करती है ।

विशेष – इनके अतिरिक्त ऐण्टिम-कूड 6 तथा डल्कामारा 6 का लक्षणानुसार प्रयोग भी लाभ करता है ।

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