औग्जैलिक एसिड – Oxalic Acid

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औग्जैलिक एसिड का होम्योपैथिक उपयोग

( Oxalic Acid uses In Hindi )

(1) भिन्न-भिन्न प्रकार का दर्द – डॉ० कैन्ट का कहना है कि इसं औषधि के समान शरीर के भिन्न-भिन्न स्थानों में दर्द के लिये कोई दूसरी दवा नहीं है। भयंकर दर्द होता है, काटने वाला, गोली के लगने की तरह का। निम्न दर्दों में इस औषधि की तरफ विशेष ध्यान देना चाहिये।

(i) एन्जाइना पेक्टोरिस – यह औषधि हृदय के अनेक-रोगों को ठीक कर देती है जिनमें हम लोग प्राय: अन्य असफल औषधियों का प्रयोग किया करते हैं। ‘एन्जाइना पेक्टोरिस‘ में निम्न-लक्षण हों तो इससे विशेष लाभ होता है।

बायें फेंफड़े के नीचे के हिस्से का दर्द – ‘एन्जाइन पेक्टोरिस’ में अगर बायें फेफड़े के नीचे के हिस्से में दर्द हो, तो इससे लाभ होता है। शरीर के संपूर्ण बायें हिस्से में इसका बायें फेफड़े के नीचे के हिस्से पर विशेष प्रभाव पड़ता है। यह उस स्थल को खास तौर पर चुनती है। बायें फेफड़े के नीचे के भाग में काटता हुआ दर्द, इस औषधि का विशेष-लक्षण है। यह दर्द इतना तेज होता है कि रोगी का कुछ क्षणों के लिये सांस तक रुक जाता है।

(ii) कमर के नीचे के हिस्से से दर्द टांगों तक फैल जाता है – इस औषधि का मेरु-दंड (Spine) पर भी विशेष प्रभाव पड़ता है। इसी प्रभाव के कारण कमर के नीचे के हिस्से से दर्द चल कर दोनों गुर्दों के ऊपर से होता हुआ टांगों तक फैल जाता है। सारी पीठ में दर्द होता है। हाथ और पाँव सुन्न पड़ जाते हैं। कन्धे से अंगुलियों तक सुन्नपन आ जाता है।

(iii) वक्षास्थि (Sternum) से दर्द चल कर बायें कन्धे की तरफ जाता है – काटता हुआ दर्द वक्षास्थि से उठता है और बायें कंधे और बाजू की तरफ जाता है। स्कन्ध-फलक (scapula) के नीचे के बिन्दु पर दर्द होता है कन्धों के बीच से दर्द उठकर कमर के नीचे तक जाता है। कमर के नीचे से जांघों तक दर्द हो सकता है। इस दर्द का विशेष लक्षण यह है कि हरकत से रोगी को आराम पहुंचता है। जिस स्थिति में वह बैठा होता है उसे बदलने से उसे राहत मिलती है। यह लक्षण विशेष इसलिये है क्योंकि प्राय: में रोगी को बिना हिले-डुले पड़े रहने से आराम मिला करता है। दायें कंधे के अस्थि फलक (Scapula) के नीचे के बिन्दु पर दर्द में चेलिडोनियम लाभ करता है, अगर रोग पुराना हो जाय तो लाइको लाभप्रद रहता है – चेलिडोनियम तथा लाइको दोनों औषधियां दायें भाग पर असर करती हैं।

(2) औषधि बायीं तरफ प्रभाव करती है – यह औषधि मुख्य तौर पर शरीर के बायें हिस्से पर प्रभाव करती है।

(3) खट्टी चीज तथा मीठा खाने से रोग बढ़ता है – खट्टे फल, खट्टा सेब, खट्टे अंगूर, टमाटर आदि खाने से रोग बढ़ता है। मीठा खाने से भी रोग में वृद्धि होती है। स्टार्च का भोजन अनुकूल नहीं पड़ता।

(4) दर्द आदि लक्षणों पर सोचते ही लक्षण बढ़ जाते हैं – रोगी ज्यों ही अपने दर्द के विषय में सोचता है, दर्द लौट आता है। यह बात दर्दों के विषय में ही नहीं घटती, अगर पेशाब की सोचता है तो पेशाब रोक नहीं सकता, भाग कर जाना पड़ता है; अगर पाखाने की सोचता है तो पाखाने को रोक नहीं सकता, पाखाना जाना ही पड़ता है। ऐसे लक्षण महत्व के होते हैं।

(5) शक्ति तथा प्रकृति – 6, 30 (औषधि ‘सर्द-प्रकृति के लिये है)

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2 Comments
  1. randhir baman says

    My daughter is suffering from adinoids.
    Breathing problem by nose..

    Dr told to operate but i dont want.

    Is there any solution.
    She is only 6 yr old

    1. Dr G.P.Singh says

      No any detail either of your disease or your natural behavior. please send details.

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