नारंगी के फायदे – Orange benefits in hindi

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फलों का सेवन कब और कैसे किया जाये तथा सेवन करते समय किन किन बातों का ध्यान रखें जानिए –

● खाली पेट फल खाने से फलों का पूरा लाभ मिलता है। माना जाता है कि सुबह फलों का सेवन उत्तम होता है, दोपहर को मध्यम और रात्रि को बहुत ही कम लाभदायक होता है।

● जिस मौसम में जो फल उत्पन्न होते हैं और बाजार में बहुत मात्रा में उपलब्ध होते हैं, उस समय वही फल खाने चाहिए, क्योंकि प्रकृति के अनुरूप ही उस मौसम में फल उगते हैं।

● रोगी को दिनभर में तीन बार फल देना उचित होता है, सुबह, दोपहर और शाम के समय।

● एक समय में एक ही प्रकार के फल का सेवन करना चाहिए। फलों को अकेले ही खायें, तभी इनसे पूरा लाभ उठा सकते हैं। अनेक फलों को मिलाकर बनाई गई चाट स्वाद के लिए है, स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं।

● अमरूद, नाशपाती, सेब आदि फल छिलके सहित खायें।

● शीत ऋतु में रसदार फलों का सेवन उत्तम है। ध्यान रखें, इन्हें धूप में बैठकर खायें।

नारंगी या सन्तरा ठण्डा, तन और मन को प्रसन्नता देने वाला है। उपवास और सभी रोगों में नारंगी दी जा सकती है। जिनकी पाचन-शक्ति खराब हो, उनको नारंगी का रस तीन गुने पानी में मिलाकर देना चाहिए।

नारंगी प्रातः भूखे पेट या खाना खाने के पाँच घण्टे बाद सेवन करने से सर्वाधिक लाभप्रद है। एक व्यक्ति को एक बार में एक या दो नारंगी लेना पर्याप्त है। नारंगी में विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। एक व्यक्ति को जितने विटामिन ‘सी’ की आवश्यकता होती है वह एक नारंगी प्रतिदिन खाते रहने से पूर्ति हो जाती है। इसे खाते रहने से संक्रामक रोगों से बचाव होता है और रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। उपवास में नारंगी खाने व रस पीने से बहुत लाभ होता है।

नेत्र-ज्योतिवर्धक – एक गिलास नारंगी के रस में स्वादानुसार जरा-सी कालीमिर्च और सेंधा नमक मिलाकर प्रतिदिन पीने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है। होम्योपैथिक डॉ. ई.पी. एन्शूज ने नारंगी को अनेक रोगों में उपयोगी बताया है। गठिया, आमाशय, यकृत, पीलिया, ऑतों की सफाई, हृदय और दाँतों के रोग, मानसिक थकावट, खुश्की, सुस्ती, प्यास अधिक लगना, चेहरे पर फुंसियाँ होना आदि विकारों को दूर करने के लिए लम्बे समय तक नित्य नारंगी खायें या रस पियें। स्वाद बढ़ाने हेतु चीनी, मिश्री या सोंठ डाल सकते हैं।

चेचक के दाग – नारंगी के छिलके सुखाकर पीस लें। इसके पाउडर में चार चम्मच गुलाबजल मिलाकर पेस्ट बनाकर नित्य चेहरे पर मलें। चेचक के दाग हल्के पड़ जायेंगे।

फ्लू – संसार के कुछ भागों में विश्वास है कि जब फ्लू (इन्फ्लूएंजा) हो रहा हो या महामारी के रूप में फैल रहा हो तो नारंगी खाकर इससे बचा जा सकता है, फ्लू होने पर भी यह लाभदायक है। इन्फ्लूएंजा होने पर केवल नारंगी ही खाते रहें, गर्म पानी पियें, फ्लू ठीक हो जायेगा।

ज्वर – नारंगी में सिट्रिक होता है जो ज्वर के कीटाणुओं को मारता है। इसके सेवन से तेज ज्वर में तापमान घट जाता है। पानी के स्थान पर नारंगी का रस ही बार-बार पिलायें।

गुर्दे (Kidney) के रोग – प्रातः नाश्ते से पहले 1-2 नारंगी खाकर गर्म पानी पीने या नारंगी का रस पीने से गुर्दे के रोग ठीक हो जाते हैं। गुर्दे के रोगों से बचाव होता है। नारंगी गुर्दो को स्वच्छ रखने में उपयोगी है। सेब और अंगूर भी समान लाभ पहुँचाते हैं। गुर्दो को स्वस्थ रखने के लिए प्रातः भूखे पेट फलों का रस उपयोगी है। सर्दी, खाँसी होने पर गर्मी में ठण्डे पानी के साथ और सर्दी में गर्म पानी से नारंगी का रस पीने से लाभ होता है।

खाँसी-जुकाम – खाँसी-जुकाम होने पर नारंगी के रस का एक गिलास नित्य पीने से लाभ होगा। स्वाद के लिए नमक या मिश्री डालकर पी सकते हैं।

बच्चों का सर्दी से बचाव – बच्चों को नियमित रूप से मीठी नारंगी का रस पिलाते रहने से सर्दी की ऋतु की कोई भी बीमारी नहीं होगी। दूध-पीते बच्चों के लिए यह लाभदायक है। इससे शक्ति भी बढ़ती है।

गौर वर्ण संतान – पूरे गर्भकाल में गर्भवती स्त्री को नित्य दो नारंगी दोपहर में खाने या रस निकालकर पीने के लिए दें। इससे होने वाला शिशु गौर वर्ण, सुन्दर एवं स्वस्थ होगा।

गर्भावस्था में उल्टी, दस्त, खट्टी डकारें आने पर नारंगी के एक कप रस में स्वादानुसार मिश्री मिलाकर हर दो घण्टे से बार-बार पीने से लाभ होता है।

अम्लपित्त में नारंगी के रस में भुना, पिसा, जीरा और सेंधा नमक डालकर पीने से लाभ होता है।

बच्चों का पौष्टिक भोजन – बच्चे को जितना दूध पिलायें उसमें उस दूध का एक हिस्सा मीठी नारंगी का रस मिलाकर पिलायें। यह बच्चों का पौष्टिक पेय है। इससे शरीर का वजन तथा कद भी बढ़ता है।

शिशु-शक्तिवर्धक – बच्चों को नारंगी का रस पिलाते रहने से वे थोड़े ही समय में स्वस्थ्य हो जाते हैं तथा उनका पोषण द्रुतगति से होता है। हड्डियों की कमजोरी और टेढ़ापन दूर हो जाता है तथा हड्डियाँ मजबूत हो जाती हैं। बच्चे शीघ्र चलने-फिरने लगते हैं। डिब्बे या गाय का दूध बोतल से पीने वाले बच्चों को नारंगी का रस निरन्तर पिलाना आवश्यक है। इसके रस से सूखा रोग-ग्रस्त बच्चे मोटे-ताजे हो जाते हैं। इसका रस आँतों की गति को तेज करता है। शिशु अधिकतर दूध पर ही निर्भर रहते हैं। दूध में विटामिन-‘बी’ कॉम्पलेक्स नहीं होता है। शिशुओं को नारंगी खिलाकर इसकी पूर्ति की जा सकती है।

शक्तिवर्धक – (1) दुर्बल व्यक्ति एक गिलास नारंगी का रस सुबह, एक दोपहर में नित्य कुछ सप्ताह पीते रहें तो शरीर में ताकत आ जाती है। (2) नारंगी स्नायु-मण्डल को उददीप्त करती है, जिससे कब्ज़ दूर होती है। स्नायु रोगों से पीड़ित एवं स्नायु तनाव-ग्रस्त रोगियों के लिए नारंगी लाभदायक है।

मदिरापान छुड़ाना – नाश्ते से पहले नारंगी खाने से मदिरापान की इच्छा घटती है।

पायोरिया में नित्य नारंगी खाने से लाभ होता है। नारंगी के छिलकों की छाया में सुखाकर पीस लें। इससे नित्य मंजन करें।

मधुमेह (Diabetes) – इसके रोगी को नारंगी कम मात्रा में कभी-कभी दे सकते हैं।

आंत्रज्वर (Typhoid) – नारंगी गर्मी, ज्वर और अशान्ति दूर करती है। रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलायें, नारंगी खिलाएँ। दिन में कई बार नारंगी खाएँ। रोगी को नारंगी खिलाकर दूध पिलायें। इससे ऊष्मा कम होती है, मूत्र एवं मल खुलकर आता है।

प्यास – प्यास अधिक लगने पर नारंगी खाने से प्यास कम होती है।

घाव – नारंगी खाने से घाव जल्दी भरते हैं।

रक्तशोधक – नारंगी रक्त की सफाई करती है।

खुजली – नारंगी के छिलके पानी के साथ पीसकर खुजली वाले अंगों पर मलकर लेप करें। एक घण्टे बाद धोयें। पुरानी खुजली व तेज चलने वाली खुजली में लाभ होगा। नारंगी खायें व रस भी पियें। नारंगी के सूखे छिलकों का पाउडर मलने से भी लाभ होता है।

मुंहासे – नारंगी के सूखे छिलके पीसकर चेहरे पर मलने से मुँहासे दूर हो जाते हैं।

सौंदर्यवर्धक – (1) नारंगी के छिलके सुखाकर पीस लें। इसमें पानी मिलाकर चेहरे पर मलने से त्वचा मुलायम और सुन्दर होती है। चेहरे की सुन्दरता बढ़ती है। (2) संतरे के छिलके, पानी, गुलाबजल, दूध, नीबू का रस में से किसी एक के साथ पीसकर चेहरे पर मलें और लेप कर दें। दो घण्टे बाद धोयें। चेहरे के दाग, धब्बे, कील, मुँहासे, दूर हो जायेंगे। चेहरा चमकने लगेगा। (3) चार चम्मच नारंगी के छिलके पिसे हुए, दो चम्मच बेसन, आधा चम्मच हल्दी, एक चम्मच मूंगफली का तेल, आधा नीबू, थोड़े-से पानी में गोद लें। यह सौंदर्यवर्धक उबटन है। इसे त्वचा पर मलने से रूप निखर उठता है।

उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) में दो नारंगी नित्य खाते रहें, रक्तचाप सामान्य रहेगा। नित्य प्रातः भूखे पेट एक गिलास नारंगी का रस पियें और रात को सोते समय एक गिलास गर्म दूध पियें। इनमें पोटेशियम और कैल्शियम पाया जाता है। पोटेशियम और कैल्शियम की मात्रा बढ़ाकर रक्तचाप कम किया जा सकता है जो नारंगी और दूध के सेवन से बढ़ जाते हैं। ये मिनरल्स उच्च रक्तचाप के जिम्मेदार सोडियम का स्तर बढ़ने से वृक्कों (Kidney) को होने वाले नुकसान से बचाव करते हैं।

यूरिक अम्ल – नित्य दो नारंगी खाने तथा पानी अधिक पीने से यूरिक अम्ल निकल जाता है, जिससे गठिया ठीक हो जाता है।

कब्ज़ – सुबह नाश्ते में नारंगी का रस कई दिन तक पीते रहने से मल प्राकृतिक रूप से आने लगता है। यह पाचन-शक्ति बढ़ाती है। नारंगी का रस बेरी-बेरी रोग, स्कर्वी, जोड़ों का दर्द, आंत्रशोथ में लाभप्रद है। यह हृदय, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति और स्फूर्ति देता है।

दूध से वायु – जिन्हें दूध वायु करता है, उन्हें दूध के साथ नारंगी देने से वायु नहीं बनती।

अपच, भूख न लगना – नारंगी की कलियों पर पिसी हुई सोंठ तथा काला नमक डालकर खायें। एक सप्ताह में ही भूख अच्छी लगने लगेगी। सुबह भूखे पेट दो नारंगी नित्य खाने से भूख अच्छी लगती है। इससे पेट की अपच, गड़बड़ ठीक हो जाती है।

परिणाम शूल (Peptic UIcer) – पेट में घाव, व्रण, नासूर हो तो नारंगी का सेवन उपयोगी है। पीलिया में नारंगी का सेवन लाभदायक है। बच्चों के दस्त होने पर नारंगी का रस दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।

अम्लपित्त (Acidity) – नारंगी के एक गिलास रस में भुना हुआ जीरा, सेंधा नमक पीसकर स्वादानुसार मिलाकर पीने से अम्लपित्त में शीघ्र लाभ होता है। यह सुबह-शाम खाली पेट नित्य पियें।

उल्टी, दस्त – एक कप नारंगी के रस में पिसी हुई मिश्री एक चम्मच मिलाकर नित्य चार बार पीने से उल्टी, दस्त में लाभ होता है। दाँत निकलते समय होने वाले दस्तों में भी लाभदायक है।

कै और जी मिचलाने पर नारंगी के सेवन से लाभ होता है। मोटर आदि से यात्रा करते समय नारंगी का सेवन करते रहना चाहिए। नारंगी पर काला नमक डालकर खायें। नारंगी के रस में काला नमक मिलाकर पियें।

गैस – नारंगी के सेवन से यकृत रोग ठीक होते हैं। गैस या किसी भी कारण से जिनका पेट फूलता हो, भारी रहता हो, अपच हो, उनके लिए यह लाभकारी है, सुबह नारंगी के रस का एक गिलास पी लिया जाए तो अाँतें साफ हो जाती हैं, जिससे कब्ज़ नहीं रहती।

मलेरिया – दो नारंगी के छिलके दो कप पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर छानकर गर्म-गर्म पियें। नारंगी भी खायें या इसका रस पियें।

हृदय की दुर्बलता दूर करने के लिए नारंगी का रस लाभदायक है।

गुड कोलेस्ट्रॉल – यदि कम है तो इसे बढ़ाने हेतु तीन गिलास नारंगी का रस नित्य पियें। नित्य व्यायाम करें।

सम्पति की वृद्धि – संतरे का पेड़ अपने मकान के सामने लगाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा एवं उत्तम फलदायक है। जगह के अभाव में सन्तरे का प्लास्टिक से बना पेड़ लगाकर इस शुभ कार्य की पूर्ति करें।

वक्ष रोग (chest Diseases) – श्वास, टी. बी., हृदय और छाती के सभी रोगों में नारंगी लाभदायक है।

मक्खी, मच्छर – नारंगी के सूखे छिलकों को जलते हुए कोयलों पर डाल दें। इसका धुआँ चमकदार और सुगन्धित होगा, जिससे मक्खी, मच्छर आस-पास में नहीं रहेंगे। जहाँ कहीं खटमल हों, वहाँ नारंगी के छिलके रखें, खटमल वहाँ नहीं रहेंगे।

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