विभिन्न प्रकार की फुन्सियों में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती है :-
ऐनाकार्डियम – अत्यधिक खुजली भरी फुंसियों में लाभ करती है।
ऐरम-ट्राई – बिना उभरे लाल रंग के उदभेदों में।
हिपर-सल्फर – अस्वस्थ त्वचा, पानी भरी फुन्सियाँ, फोड़े, स्पर्श-असहिष्णुता के लक्षणों में दें ।
सिपिया – ऊपरी अंगों में स्थान-स्थान पर असंयुक्त अथवा अलग-अलग रसभरी फुन्सियों में।
एण्टिम-क्रूड – कान के भीतर तर फुन्सियाँ, सम्पूर्ण शरीर में घनी फुन्सियाँ, रसभरी फुन्सियाँ अथवा सींग की भाँति नोंकदार फुन्सियाँ जिन पर कड़ी पपड़ी जम जाती हो तथा छूने से रक्त निकलता हो ।
सोरिनम – आग की तरह लाल तथा अलग-अलग निकलने वाली फुन्सियाँ, शीत-ऋतु में रोग के लक्षणों में वृद्धि तथा फटी तलहटी एवं मोटी, हरी पपड़ी जमी फुन्सियों में लाभ करती है।
पेट्रोलियम – थोड़ा खुजलाने से ही पक जाने वाली फुन्सियों में लाभ करती है।
चेलिडोनियम – फुंसी भरी तथा सिकुड़ी हुई त्वचा एवं फूलने वाले तथा दुर्गन्धित घाव के लक्षणों में देना हितकर है।
बर्बेरिस-एक्विफोलियम – छोटी फुन्सियाँ और दाने त्वचा में खुजली तथा जलन के लक्षणों में। सूखा तथा गरम होना, खुजली एवं जलन के लक्षण, हाथ की अंगुलियों की जड़ की त्वचा में झुलस जाने जैसा प्रदाह एवं स्तनों में जलन होना आदि लक्षणों में।
ग्रैफाइटिस – लसदार, स्राव भरी फुन्सियाँ, छाजन तथा दर्दयुक्त जख्म के दाग वाले लक्षणों में लाभ करती है।
एपिस – त्वचा पर जलन उत्पन्न करने वाली, लाल रंग की फुन्सियां तथा आँखों के नीचे चकत्ते जैसी सूजन के लक्षणों में ।
एसिड-म्यूर – त्वचा पर खुजली भरी फुन्सियाँ तथा बैंगनी रंग के दानों में।
आर्निका – खुजली तथा जलन-युक्त छोटी-छोटी फुन्सियाँ तथा फोड़े एवं शरीर पर नीली तथा काले रंग की फुन्सियाँ में लाभ करती है।
डल्कामारा – चेहरे पर फुन्सियाँ, पीवयुक्त दाने, पानी भरी फुन्सियाँ, जिन पर मोटी तथा भूरे रंग और पीले रंग की पपड़ी जमती हो, खुजाने पर रक्त निकलता हो तथा छूने पर सुई बेधने जैसा दर्द होता हो ।
रेनानक्युलस – रसभरी फुन्सियों वाली त्वचा, नीली, काली अथवा रक्त-भरी फुन्सियाँ, अत्यधिक जलन तथा खुजली के लक्षणों में ।
एण्टिम टार्ट – ठण्डा तथा लसदार पसीना एवं नीली आभायुक्त लाल पीव भरी फुन्सियों में धीरे-धीरे पीब भरना – इन लक्षण में यह दवा दें।
ऐल्यूमिना – सूखी, फुन्सीयुक्त, अत्यधिक खुजली, जिसे खुजाते समय खून निकल आता हो ।
एसिड-नाई – सम्पूर्ण शरीर पर भूरे रंग के दाने, काँटे गढ़ने जैसे दर्द वाला जख्म, जिसे थोड़ा-सा छूते ही रक्तस्राव होने लगे । छोटी-छोटी फुन्सियाँ, खुली हवा में खुजली का अधिक बढ़ना, त्वचा का सूखा तथा गन्दा होना एवं पारे के अपव्यवहार का दोष या उदभेद।
ऐमोन-कार्ब – सम्पूर्ण शरीर में घनी लाल रंग की फुन्सियाँ होने पर।
- फुन्सी वाले स्थान पर ‘सल्फर’ मूल-अर्क एक भाग को आठ गुने पानी में मिलाकर, धावन बनाकर लगाना हितकर रहता है ।
- पीली फुन्सियों पर ‘कार्बोलिक एसिड’ का मरहम लगाना हितकर है।
- लाल अथवा सफेद दानों की बीमारी में स्वच्छ वस्त्र पहनना, उचित भोजन करना, नित्य ठण्डे अथवा गुनगुने पानी से स्नान करना, फुन्सियों पर सज्जी अथवा मिट्टी की बुकनी को बुरकना तथा खुली हवा में घूमना लाभकर रहता है ।
- शैबालिका-रोग में नित्य ठण्डे अथवा गुनगुने पानी से स्नान तथा शरीर को पोंछना उचित है । स्वास्थ्य के सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए तथा उत्तेजक खान-पान त्याग कर देना चाहिए ।
- घम्हौरी में गुनगुने पानी में सोडा डालकर शरीर पर मलना अथवा घिसा हुआ चन्दन लगाना लाभकर सिद्ध होता है ।
Ask A Doctor
किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।
pet se reletead koi post kijiye
O.K.