बैप्टीशिया ( Baptisia Tinctoria Homeopathy ) का गुण, लक्षण

9,190

लक्षण तथा मुख्य-रोग की प्रकृति

(1) टाइफॉयड के लक्षण-ज्वर के साथ बढ़ती हुई कमजोरी और फिर ‘तन्द्रा’ (Stupor)
(2) शरीर में कुचले जाने का-सा दर्द अनुभव करना
(3 ) टाइफॉयड में बैप्टीशिया और जेलसीमियम
(4) रोगी अनुभव करता है कि अपने बिखरे हुए अंगों को बटोर रहा है।
(5) तरल-पदार्थ निगल सकता है, ठोस निगलने से गला घुटता है।

लक्षणों में कमी

(i) कुछ विशेष नहीं

लक्षणों में वृद्धि

(i) नमी, गर्मी से रोग में वृद्धि
(ii) बन्द कमरे में रोग की वृद्धि
(iii) सोने के बाद रोग में वृद्धि

(1) टाइफॉयड के लक्षण – ज्वर के साथ बढ़ती हुई कमजोरी और फिर ‘तन्द्रा’ – बैप्टीशिया औषधि के लक्षण टाइफायड से इतने मिलते जुलते हैं कि यह इसकी मुख्य-औषधि मानी जाती है। रोग की प्रारंभिक अवस्था में घबराहट, शीत का अनुभव, संपूर्ण शरीर में दर्द-विशेष रूप से सिर, पीठ और हाथ-पैर में पीड़ा होती है। रोगी को ऐसा अनुभव होता है कि शरीर कूट-कूट कर कुचल दिया गया है। ज्यों-ज्यों रोग बढ़ता जाता है कमजोरी भी बढ़ती जाती है और रोगी ‘तन्द्रा’ में पहुंच जाता है। यह अवस्था डिलीरियम का रूप धारण कर लेती है। अगर आप इस रोगी को जगाकर कुछ कहना चाहें, कुछ पूछना चाहें, तो वह आप की ओर ऐसे देखता है मानो शराब के नशे में हो। प्रश्न का उत्तर देता-देता ही सो जाता है, पूरा उत्तर ही नहीं दे पाता। शरीर की कुचलन, पीड़ा आदि के ये लक्षण आर्निका में भी हैं, परन्तु आर्निका का रोगी प्रश्न का उत्तर देकर फौरन सो जाता है, और बैण्टीशिया का रोगी उत्तर देता-देता सो जाता है। ये लक्षण इन्फ्लुएन्जा, स्कालेट फीवर किसी में भी हों, बैप्टीशिया ही दवा है।

(2) शरीर में कुचले जाने का-सा दर्द अनुभव करना – रोगी शरीर के जिस भाग में भी लेटने का प्रयत्न करता है, तो दर्द उसी भाग में अनुभव करता है। पाइरोजेन और आर्निका में भी शरीर के कुचले जाने का लक्षण है, परन्तु आर्निका में अनायास मल-मूत्र निकल जाता है, बैप्टीशिया में नहीं; शरीर के कुचले जाने के लक्षण के साथ अगर रक्त के दूषित होने की अवस्था हो, तब पाइरोजेन उपयुक्त है। टाइफॉयड में रस-टॉक्स के भी लक्षण पाये जाते हैं, बैप्टीशिया की तरह रोगी बिस्तर पर करवटें बदलता रहता है, परन्तु रस टॉक्स में जीभ के अग्रभाग पर त्रिभुजाकर लाल चिह्न रहता है और रोगी का मल धुले हुए मांस के पानी जैसा पतला होता है, ये लक्षण बैप्टीशिया में नहीं है। इसके अतिरिक्त बैप्टीशिया के रोगी का मल अत्यन्त दुर्गन्धयुक्त होता है, यह लक्षण रस टक्स में नहीं है। बैप्टीशिया का डायरिया अत्यन्त दुर्गन्धवाला होता है।

(3) टाइफॉयड में बैप्टीशिया और जेलसीमियम – टाइफॉयड की प्रारंभिक अवस्था जेलसीमियम जैसी होती है। रोगी चुपचाप ऊंघाई में पड़ा रहता है, इस अवस्था में ज्वर इतना प्रचंड नहीं होता, पतले दस्त भी इस अवस्था में नहीं आते, परन्तु प्रथमावस्था के बाद की अवस्था में जब ‘ऊंघाई’, ‘तन्द्रा’ (stupor) में बदल जाती है, जब ज्वर अधिक होने लगता है, पतले दस्त आने लगते हैं, तब , बैप्टीशिया की अवस्था आ जाती है। वैसे टाइफॉयड की हर अवस्था में शुरू से अन्त तक बैप्टीशिया इसकी मियाद को कम कर देता है।

(4) रोगी अनुभव करता है कि अपने बिखरे हुए अंगों को बटोर रहा है – रोगी बिस्तर में करवटें बदलता रहता है, और पूछने पर कहता है कि उसके अंग बिखरे पड़े हैं, वह उन्हें बटोर रहा है। इसका विशिष्ट-लक्षण यह भी है कि रोगी अनुभव करता है कि उसके तीन शरीर हैं जिन सब को वह ढांपने का प्रयत्न करता है। एक अंग दूसरे अंग से बहस किया करता है।

(5) तरल-पदार्थ निगल सकता है, ठोस से गला घुटता है – पानी, दूध आदि सरलता से पी लेता है, ठोस नहीं ले सकता, गला घुटता है। इग्नेशिया में ठोस आसानी से भीतर ले जाता है, तरल नहीं ले जा सकता। इग्नेशिया का यह लक्षण बैप्टीशिया से उल्टा है।

(6) शक्ति का प्रकृति – मूल-अर्क से 200 तक। बैप्टीशिया और जेलसीमियम दोनों अल्पकालिक (Short-acting) औषधियां हैं। औषधि ‘गर्म’-Hot-प्रकृति के लिये है।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें