मिर्गी रोग घरेलू इलाज

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कारण – मिर्गी की बीमारी चिंता, शोक आदि मानसिक कारणो से हो जाती है। शरीर के दोष प्रकुपित होकर हृदय के स्रोतों में रुक  जाते हैं जिसके कारण खून की नाड़ियों में रुकावट उत्पन्न हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव मस्तिष्क पर पड़ता है।  इससे मस्तिष्क की स्मृति ख़राब हो जाती है ।

लक्षण – इस बीमारी में रोगी को ऐसा मालूम पड़ता है कि वह अन्धकार में जा रहा है। उसके आँखे टेढ़ी, खिंची सी हो जाती है और बेहोशी आ जाती है। रोगी हाथ पैर पटकने लगता है।

चिकित्सा – (1) उष्के नामक दवा का चूर्ण एक चुटकी लेकर दिन में तीन बार शहद से देना चाहिए।

(2) ब्राह्मी, असगंध और जटामासी को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बन लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण दिन में दो बार शहद के साथ सेवन करना चाहिए।

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