रोडोडेन्ड्रन – Rhododendron

9,224

रोडोडेन्ड्रन का होम्योपैथिक उपयोग

( Rhododendron Homeopathic Medicine In Hindi )

(1) बिजली कड़कने और अंधड़ आने से पहले रोग की वृद्धि – इस औषधि की ‘प्रकृति’ ही इसका मुख्य-लक्षण है। कोई भी रोग क्यों न हो, अगर अंधड़ आने से और बिजली कड़कने से पहले रोग बढ़ जाता है, तो इस औषधि को स्मरण करना पड़ता है। अंधड़ आने से पहले रोग का बढ़ना ठंड या नमी के कारण नहीं होता, वायु-मंडल में विद्युत के संचार के कारण होता है। होम्योपैथी में कुछ औषधियां ऐसी हैं जिनका मौसम से संबंध है। वर्षा-ऋतु में लक्षणों का बढ़ना डलकेमारा में है, अंधड़-बिजली में लक्षणों का बढ़ना रोडोडेन्ड्रन में है। नैट्रम सल्फ़, रस टॉक्स तथा नक्स मौस्केटा नम मौसम की औषधियां हैं, नैट्रम फॉस उस मौसम की औषधि है, जब बर्फ पिघल रही हो और बर्फीली ठंड पड़ रही हो। रोडोडेन्ड्रन के रोगी का गठिया तथा वात-रोग बिजली-अंधड़ से पहले बढ़ जाता है, पेचिश का बिजली अंधड़ से पहले आक्रमण होता है, सिर में तथा अंगों में अंधड़ से पहले दर्द होने लगता है, अंधड़ से पहले जोड़ों में दर्द होता है। जब ऐसे रोगी को अंधड़ से पहले होने वाले ये या इन जैसे लक्षण प्रकट होने लगें, तो वह इन लक्षणों को देखकर कह देता है कि आंधी आने वाली है, या बिजली कड़कने वाली है। तूफान निकल जाने के बाद रोग के लक्षण कम हो जाते हैं। रोडोडेन्ड्रन तथा रस टॉक्स दोनों में वात-रोग (Rheumatism) का दर्द तर हवा में बढ़ता है, हरकत से घटता है, परन्तु इनमें भेद यह है कि रोडोडेन्ड्रन का वात-दर्द अस्थियों में अधिक होता है, अस्थियों के आवरण में, दांतों में, हाथ की और घुटने के नीचे की हड्डी (Tibia) में पाया जाता है, रस टॉक्स का वात-दर्द मांस-पेशियों (Muscles) में अधिक होता है; रोडोडेन्ड्रन का वात-दर्द अंधड़ में, बिजली कड़कते समय पाया जाता है, अंधड़ निकल जाने पर हट जाता है, रस टॉक्स का वात-दर्द समूची वर्षा-ऋतु में बना रहता है। रस टॉक्स का वात-दर्द पहली हरकत में बढ़ता है, यह लक्षण रोडोडेन्ड्रन में नहीं है। वात-रोग में दर्द एक जोड़ से दूसरे जोड़ में चला जाता है, इस प्रकार चलता-फिरता यह दर्द फिर पहले जोड़ में भी कभी आ जाता है। यह लक्षण रोडोडेन्ड्रन में है, रस टॉक्स में नहीं है।

(2) अण्डकोष की वृद्धि और सूजन – इस औषधि का अण्डकोषों पर विशेष प्रभाव है। ‘वात-रोग’ (Rheumatism) में या सुजाक के परिणामस्वरूप अण्डकोष के सूजन होने पर यह औषधि लाभप्रद है। इसका विशेष प्रभाव दायें अण्डकोष पर होता है। बच्चों के अण्डकोष फूल जाने में यह उपयोगी है। अगर अण्डकोष की वृद्धि का कारण सिफिलिस हो, और रोगी को ठीक करने के लिये पारे का कोई योग दिया गया हो, तो ऑरम; अगर अण्ड-वृद्धि का कारण गोनोरिया का औषधियों से दब जाना हो, तो क्लैमेटिस या पल्सेटिला; अगर वात-रोग (Rheumatism) के कारण अण्ड-वृद्धि हो गयी हो, तो रोडोडेन्ड्रन उपयोगी सिद्ध होता है।

(3) रोगी टांग पर टांग रखकर सोता है – इस औषधि का एक विचित्र लक्षण यह है कि रोगी टांग पर टांग रखे बगैर नहीं सो सकता।

(4) शक्ति तथा प्रकृति – 6, 30, 200 ( रोग अंधड़ तथा बिजली की कड़क से बढ़ता है। )

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें