विटामिन ए किसमें पाया जाता है – विटामिन ए के स्रोत

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प्रत्येक खाद्य के 100 ग्राम में जितने हजार अन्तर्राष्ट्रीय इकाई विटामिन ‘ए’ होती है, उसे हम कोष्टक में लिख रहे हैं –

खाद्यअन्तर्राष्ट्रीय इकाई
चौलाई का सागढाई से आठ हजार
पत्ता गोभी2 हजार
हरा धनियाँ10 हजार
हरी मैथी (शाक)4 हजार
मूली के पत्तेसाढ़े छ: हजार
ताजा पोदीनाढाई हजार
पालक (शाक)साढे पाँच हजार
बकरी या भेड़ की कलेजी22 हजार
अण्डा2 हजार)
मक्खनढाई हजार
घी2 हजार
दूध200
पका पपीता2 हजार
पका आमसाढे चार हजार
नारंगी300
टमाटर300
गाजर3 हजार
काशीफल (कद्दू या पीला पेठा1 हज़ार
हेलीबुट लिवर ऑयल के एक छोटे चम्मच में60 हजार
शार्क लिवर ऑयल के एक छोटे चम्मच में60 हजार

 

• लन्दन से प्रकाशित एक अंग्रेजी पुस्तक में छपी एक घटना के अनुसार – एक व्यक्ति रात को गलत दिशा में मोटरकार चला रहा था । पुलिस ने उसे रोका तथा शराबी समझकर उसका चालान कर दिया परन्तु डॉक्टर से उसकी परीक्षा कराने पर शराब पीने का कोई प्रमाण न मिला तब उस भुक्त-भोगी ने बताया कि-सामने की ओर से आने वाली कारों के तेज प्रकाश से उसको दिखाई नहीं देता है। उसका चर्म शुष्क या उसके बाल गिर रहे थे चिकित्सक के मतानुसार उसे अन्धेरे में कुछ भी दिखाई नहीं देता था। ऐसी दशा में उसकी विटामिन ‘ए’ तथा हरी सब्जियाँ अधिक मात्रा में दी जाती रहीं । थोड़े दिनों के ही प्रयोग से उसे रात के अन्धेरे में तथा सामने की ओर से दिखाई पड़ने वाले प्रकाश में भली-प्रकार दिखाई देने लग गया ।

• रात को अन्धा हो जाने वाले रोगी को पशुओं का जिगर मधु में मिलाकर खिलाना लाभकारी है। जिगर में विटामिन ‘ए’ बहुत अधिक मात्रा में होता है ।

• नवजात शिशुओं में इस विटामिन की बहुत अधिक कमी होती है, इसी कारण हमारे देश के करोड़ों बच्चों की दृष्टि भी कमजोर है । बच्चों को एक हजार से तीन हजार यूनिट विटामिन ‘ए’ प्रतिदिन खिलाकर आँखों के रोगों से बचाया जा सकता है।

• शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी रहने पर स्त्रियों और मादा-पशुओं को समय से पूर्व ही बच्चा पैदा हो जाता है अथवा मरा हुआ (मृत) बच्चा पैदा होता है। गर्भवती स्त्री के शरीर में विटामिन ‘ए’ कम हो जाने पर उसके उत्पन्न होने वाले बच्चे के दाँत कमजोर रहते हैं तथा गर्भकाल में स्त्री को विषैले प्रभाव भी हो सकते हैं । सन्तान उत्पन्न करने तथा शिशु के दुग्धपान हेतु स्त्री में दूध अधिक उत्पन्न करने के लिए विटामिन ‘ए’ आवश्यक है ।

• इस विटामिन की कमी से आँखों की चमक जाती रहती है और आँखों में झुर्रियाँ पड़ जाती हैं। विटामिन ‘ए’ की कमी हो जाने पर जीभ और मुँह की श्लैष्मिक कला में रक्त की कमी हो जाती है परिणामस्वरूप वह पीली पड़ जाती है, रोगी के मसूढ़ों से पीप और रक्त (पायोरिया) भी आ सकता है ।

• विटामिन ‘ए’ के साथ ही विटामिन B, C, E भी यदि प्रतिदिन (औषध अथवा खाद्य के रूप में) खायी जाती रहे तो ऐसे व्यक्ति की समस्त प्रकार की शारीरिक कमजोरियाँ दूर होकर उसे समुचित शक्ति प्राप्त होती रहेगी ।

• शरीर में इस विटामिन की कमी हो जाने पर मनुष्य शरीर की लाखों कोशिका प्रतिदिन नष्ट होने लग जाती है और नई सेल नहीं बन पाती हैं। परिणामस्वरूप कीटाणु आसानी से शरीर के अन्दर पहुँचकर संक्रमण फैलाकर न्यूमोनिया, क्षय, ब्रोंकाइटिस जैसे रोग पैदा कर देते हैं और रोगी के आमाशय तथा अन्तड़ियों में सूजन और घाव आदि भी इसी कारण हो जाते हैं । इसी विटामिन की कमी के कारण बाल (Hair) भी खुरदुरे हो जाते हैं और इनमें चमक नहीं रहती है ।

• बुढ़ापे में विटामिन ‘ए’ वाले खाद्य खाते रहने से दृष्टि तेज हो जाती है, भूख बढ़ जाती है। बड़ी आयु में विटामिन ‘ए’ युक्त फलों और सब्जियों के अतिरिक्त विटामिन ‘ए’ का एक कैपसूल प्रतिदिन खाते रहने से मनुष्य अपने अन्दर नई शक्ति, स्फूर्ति और जवानी प्रतीत करने लग जाती है ।

• यदि आप जवानी व बुढ़ापे में ताकतवर बने रहना चाहते हैं और आपकी इच्छा है कि आपका चेहरा गुलाब के फूल की तरह गुलाबी बना रहे तो आप गाजरों, हरी सब्जियों, पपीता, पोदीना, पालक, धनियाँ, चौलाई या नारंगी का एक गिलास रस दिन में कम से कम एक बार पीते रहें । आपके पुराने रोग भी दूर होने लग जायेंगे ।

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