सेनेशियो ऑरियस – Senecio Aureus

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सेनेशियो ऑरियस का होम्योपैथिक उपयोग

( Senecio Aureus Homeopathic Medicine In Hindi )

(1) युवती-लड़कियों के माहवारी के दिनों में भीग जाने से खांसी आदि तपेदिक के लक्षण उठ खड़े होना – प्राय: देखा जाता है कि लड़कियों के अभिभावक उन्हे माहवारी के दिनों में ठडे पानी में पांव रखने या भीग जाने से जो उपद्रव उठ खड़े होते हैं, उनसे सावधान नहीं करते। इन दिनों ठंडे पानी में पांव रखने या भीग जाने से माहवारी बन्द हो जाती है, और कभी-कभी महीनों बन्द रहती है। लड़की पीली, कमजोर दीखने लगती है। उसे सूखी खांसी के ठसके आते हैं, फेफड़ों से खून आने लगता है, माहवारी के बजाय अन्य स्थानों से खून जारी हो जाता है। वे आकर शिकायत करती हैं कि जब से माहवारी का आना बन्द हुआ है, तब से खांसी शुरू हो गई है, खांसी भी पुरानी हो गई है, उससे पीछा नहीं छूटता। ऐसी अवस्था में इस औषधि से माहवारी भी जारी हो जायगी, और खांसी भी जाती रहेगी। अगर माहवारी बन्द होने के साथ खून मिली खखार आने लगे, खांसी का ठसका बना रहे, तो यह औषधि अवश्य लाभ करेगी। अगर इस दवा के देने से खांसी घटने लगे तो समझ लेना चाहिये कि औषधि काम कर रही है। इस दशा में दी जाने वाली अन्य औषधियाँ भी हैं, परन्तु उनमें उक्त लक्षणों में यही मुख्य है। अगर रोगिणी का माहवारी बन्द होने तथा साथ ही खांसी हो जाने के लक्षण में सेनेशियो से इलाज न किया गया, तो उसे तपेदिक हो जाने की संभावना रहती है। डॉ० फॉस ने एक 18 वर्ष की लड़की को सेनेशियो 1x देकर ठीक कर दिया जिसे 15 महीनों से माहवारी बन्द थी और उसमें रक्त-क्षीणता के सब लक्षण दीखने लगे थे, पेट में पानी भर गया था।

(2) भीग जाने से माहवारी का रुकना, माहवारी की जगह प्रदर, माहवारी का अधिक होने लगना, नियत समय से पहले होना, कष्ट से होना आदि लक्षण – माहवारी के दिनों में भीग जाने से इतना ही नहीं कि माहवारी रुक सकती है, अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। उदाहरणार्थ, माहवारी की जगह प्रदर जारी हो जाय, माहवारी में अधिक खून जाने लगे, माहवारी में दर्द होने लगे, कमर दर्द हो-ये सब लक्षण माहवारी के दिनों में ठंडे पानी के स्नान से हो सकते हैं। ठंडे पानी में भीगने से इन लक्षणों के होने पर यह दवा लाभ करती है।

(3) माहवारी रुकने से अन्य स्थानों से रक्त-स्राव (Vicarious hemorrhage) – ऊपर हमने माहवारी के दिनों में भीग जाने से खांसी आदि तपेदिक के लक्षण उठ खड़े होने की चर्चा की है। इसके अतिरिक्त किसी अन्य कारण से भी अगर माहवारी रुक जाय, और नाक, मुंह, फेफड़ा, मूत्राशय-अन्य किसी भी स्थान से रक्त-स्राव होने लगे, तो इस औषधि से लाभ होता है। रजोधर्म के बन्द होने से शरीर के अन्य किसी स्थान से रक्त-स्राव का जारी हो जाना इस औषधि का विशेष-लक्षण है। ब्रायोनिया में भी यह लक्षण है।

(4) माहवारी से पहले दाहिने गुर्दे की या गले, छाती आदि की शोथ – इस औषधि का गुर्दों पर विशेष-प्रभाव है, खास तौर पर दाहिने गुर्दे पर। मूत्र थोड़ा आने लगता है, गहरे रंग का होता है, खून मिला होता है। जब गुर्दों की शोथ के कारण हाथों या पैरों में शोथ आ जाय, तब इस औषधि से लाभ होता है। अगर मूत्राशय की खिजलाहट (Irritation) के साथ सिर-दर्द हो, तब भी इस औषधि से लाभ होता है। माहवारी से पहले गले, छाती, मूत्राशय की शोथ हो जाने पर इससे लाभ होता है।

(5) शक्ति – मूल-अर्क या 3 शक्ति से 30 शक्ति।

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