स्वस्थ रहने के लिए भोजन का महत्व

584

कठोर परिश्रम करने से गति, शक्ति और आन्तरिक बल मिलता है। क्रियाशील रहने हेतु जिन तत्वों की आवश्यकता होती है, उनकी पूर्ति दूध, फल, रोटी-सब्जियाँ से होती है। हम स्वस्थ रहते हुए उत्साह से कार्य करें, इसके लिए भोजन करने की कला का ज्ञान चाहिये। भोजन भूख लगने पर ही करना चाहिये। यदि भूख नहीं लगती है तो खाना नहीं खायें। भोजन शरीर का निर्माण करता है, शरीर को गतिशील रखता है लेकिन भोजन से जीवनी-शक्ति नहीं मिलती। हमारा स्वास्थ्य, जीवनी-शक्ति की सशक्तता पर निर्भर करता है। जीवनी-शक्ति हमारी पवित्र दिनचर्या से सशक्त होती है। सदा सुखी रहने के लिए हमारा प्रथम कार्य है-भगवान पर भरोसा, श्रद्धा। रामायण में यही बताया गया है –

भगवान पर भरोसा रखने से हमारे में दिव्य शक्ति उत्पन्न होती है जो हमें रोग, चिन्ता और भय से मुक्त रखती है।

सुबह-शाम आधा घण्टा नंगे पाँव रहें। संभव हो तो मिट्टी वाली भूमि या दूब, हरी घास वाली भूमि पर टहलें।

स्वस्थ रहने के लिए आहार, निद्रा और ब्रह्मचर्य – इन तीनों का पालन करना चाहिए। चिन्ता, शोक, भय, क्रोध आदि में किया गया भोजन अच्छी तरह से नहीं पचता। अत्यधिक शारीरिक थकान के तुरन्त बाद भोजन न करें। ऐसा करने से उल्टी हो सकती है।

विशेष भोजन

उच्च रक्तचाप – रक्तचाप में फल सब्जियों के रस पर रहना चाहिए। दूध ले सकते हैं। दूध और फलों पर कुछ सप्ताह रोगी रह जाये तो बहुत लाभदायक है। नहीं तो प्रात: फल, दोपहर में उबली सब्जी के साथ एक-दो चपाती और फल, शाम को छ: बजे फल, सब्जियों का रस और रात को फल व दूध दें। इस उपचार से उच्च रक्तचाप में लाभ होगा।

  • प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में अर्थात् 5 बजे उठकर भगवान का स्मरण करके सबकी मंगल-कामना करनी चाहिये। फिर एक या दो गिलास जल पियें।
  • सूर्योदय पूर्व स्नान करके प्राणायाम, आसन और बलानुसार व्यायाम करें।
  • प्रात: समय मिलने पर ‘विटामिन डी’ अर्थात् धूप का सेवन अवश्य करें।
  • सात्विक एवं संतुलित प्राकृतिक आहार लें।
  • भोजन करते समय अल्प मात्रा में जल पियें तथा खाना खाने के बाद जब प्यास लगे तब जल पियें।
  • भोजन को बहुत धीरे-धीरे खूब चबा-चबाकर करना चाहिए।
  • भोजन करने के बाद मूत्र त्याग अवश्य करें।
  • नीबू का रस जल में मिलाकर अवश्य पियें।
  • शाम को भोजन सूर्यास्त से पूर्व एवं हल्का होना चाहिए।
  • दिन में नहीं सोना चाहिए। रात में गहरी नींद लेनी चाहिए। सोते समय मुँह नहीं ढकें। मन को प्रसन्न रखें।
  • सप्ताह में एक दिन उपवास अवश्य रखें। कब्ज़ से भी बचें।
  • मसाला, खटाई, मिर्च, तेल, चाय, कहवा, चीनी, अधिक नमक, कच्चा केला,
  • बैंगन, आलू, मैदा, घी, पॉलिश किया हुआ चावल आदि खाने से यथासंभव बचें।
  • ब्रह्मचर्य का यथाशक्ति पालन करें। शक्ति से अधिक कार्य नहीं करें।
  • अन्त में पुन: दिन भर के किए कार्यों का स्मरण कर प्रभु का स्मरण करके शैया ग्रहण करें। ये नियम रक्तचाप वृद्धि को कम करने में सहायक रहेंगे।

जोड़ों का दर्द – यह शरीर में अम्लता बढ़ने और कब्ज रहने से होता है। इसमें उपवास से अधिक लाभ होता है। उपवास में नीबू और पानी पीते रहें। इसमें शहद मिला सकते हैं। हरी सब्जियाँ कम खायें। पालक में अॉग्जीलिक एसिड होता है। सन्तरा और टमाटर इसमें लाभदायक हैं। नीबू की खटाई के अतिरिक्त अन्य खटाई का प्रयोग नहीं करें। यदि जोड़ जकड़ गये हों तो गर्म-ठण्डा सेंक करें।

सूखी खुजली रक्त दूषित होने, उसमें अधिक अम्लता के कारण गर्मी आ जाने से होती है।

मोच – मोच आने पर सूजन आ जाती है और दर्द होता है। इस पर बर्फ का सेंक करें। नमक, पानी और तिल मिलाकर उबालकर मोच आने के दो दिन बाद से सेंक करें।

शाकाहार से पाचन संस्थान के रोगों से बचाव

शाकाहार पूर्ण पौष्टिक भोजन है। माँसाहारी प्राय: कहते हैं कि दूध, अण्डा, मछली, माँस, चिकन खाने से एमिनो एसिड (Amino Acid) अधिक मिलता है जिससे प्रथम श्रेणी का प्रोटीन मिलता है। जिस भोजन में एमिनो एसिड कम मिलते हैं, उससे द्वितीय श्रेणी का प्रोटीन मिलता है। द्वितीय श्रेणी के प्रोटीन गेहूँ, चावल, दाल आदि मिलाकर दूध के साथ खाने से जो एमिनो एसिड मिलते हैं उससे शरीर के लिए पर्याप्त प्रोटीन मिल जाता है। शाकाहार में सबसे लाभदायक बात है, शाकाहार में मिलने वाला रेशा (Fibre)। अनाज, दालें, फल व सब्जियों में रेशा प्रचुर मात्रा में मिलता है। आधुनिक विज्ञान ने यह बता दिया है कि अनेक बीमारियाँ जैसे – कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप आदि पाश्चात्य देशों में जहाँ माँसाहार का अधिक प्रचलन है, भारत जैसे शाकाहारी देश की तुलना में अधिक बीमार होते हैं। शाकाहार लोगों को इन घातक बीमारियों से बचाता है।

बड़ी आँत का कैंसर (Large-bowl Cancer) – रेशा, बड़ी आँत का कैंसर और अाँतों की क्रिया में सम्बन्ध है। रेशेवाला भोजन करने से मल अधिक और अाँतों से शीघ्र निकल जाता है जिससे कैंसर जन्य भोजन के सेवन से शरीर में कैंसर के कीटाणु नहीं ठहरते, शीघ्र बाहर निकल जाते हैं और इस तरह कैंसर से बचाव हो जाता है। पाश्चात्य देशों में माँसाहार अधिकतम लोग करते हैं। माँसाहार में रेशा कम होने से उनमें कैंसर अधिक होता है। बड़ी आँत और मल द्वार का कैंसर होता है। रेशेवाला भोजन शीघ्र पचता है। रेशेवाला भोजन नाइट्रोजन चयापचय (Nitrogen Metabolism) में परिवर्तन कर देता है जिससे कैंसर के कीटाणु कम होते हैं।

पित्त-पथरी (Gall Stones) में शाकाहार लाभदायक है। माँसाहार यह रोग बढ़ाता है। शाकाहार से मोटापा नियन्त्रित होता है, घटाया जा सकता है।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें