Acidity Treatment in Hindi

797

यह रोग आँतों में मल सूख जाने, कब्ज़ बने रहने, समय पर टट्टी पेशाब न जाने, अधिक खाने, खट्टे मीठे चरपरे पदार्थ सेवन करने आदि के कारण हो जाता है। इस रोग में वायु के साथ अम्ल अधिक बनने लगता है जो सीने में जलन कर डालता है। व्यक्ति को बहुत तकलीफ होती है।

इलाज़ – (1) त्रिफला, नागरमोथा, तेजपात, नागकेशर, अजवायन, सोंठ, दालचीनी, पीपल, धनिया, मुलेठी – सभी को दस दस ग्राम लेकर कटपीस लें। इसमें दस ग्राम सनाय मिला लें। फिर पच्चीस ग्राम सेंधा नमक या दो सौ ग्राम खाँड़ मिला लें। इसके बाद पाँच ग्राम चूर्ण दूध के साथ सेवन करें। इससे अम्लपित्त, कब्ज़, अफारा, उदर शूल, आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।

(2) त्रिफला, त्रिकुटा, बायविडंग, ,नागरमोथा, छोटी इलायची, तेज़ पात – सभी की मात्रा दस दस ग्राम लेकर ढाई सौ ग्राम खाँड़ मिला लें। कूट पीस कर कपड़छन कर लें। प्रातः सायं पांच ग्राम की मात्रा में दूध, गुनगुने जल या शहद के साथ लें। इस दवा से पेट साफ़ हो जायेगा और अम्लपित्त को भागना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त इस चूर्ण से प्रमेह, मूत्राघात जैसी बीमारियाँ भी दूर जाती हैं।

(3) भोजन करने के एक घंटा बाद पांच ग्राम आँवले का रस शहद के साथ चाटें। यह अम्लपित्त की बेजोड़ औषधि है।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें