जीभ के पक्षाघात (लकवा) का होम्योपैथिक इलाज

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जीभ के पक्षाघात में जीभ टेढ़ी पड़ जाती है, और रोगी बोलने में असमर्थ हो जाता है। लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग हितकर सिद्ध होता है:-

कास्टिकम 3, 6, 30 – यह इस रोग की मुख्य औषध है, अत: सर्वप्रथम इसी का प्रयोग करना चाहिए ।

जेल्सीमियम 3, 30, 200 – यदि जीभ बहुत मोटी प्रतीत हो तथा रोगी ठीक से न बोल पाता हो तो इसका प्रयोग करें ।

डल्कामारा 6, 30 – जीभ का फूल उठना, सूजन, कड़ा होना तथा हिल न पाना आदि लक्षणों में हितकर है। पक्षाघात पूरा न हुआ हो तथा जीभ अकड़ गयी हो और उसे पक्षाघात लगा-सा अनुभव होता हो तो भी इसका प्रयोग करना चाहिए।

लैकेसिस 30 – जीभ का ऐसा पक्षाघात, जिसमें रोगी अपनी पूरी जीभ को बाहर निकाल कर न दिखा सके ।

प्लम्बम 3, 30 – यदि उक्त औषधियों से लाभ न हो तो इसका प्रयोग करें ।

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