जुकाम का इलाज

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जुकाम : कहने को तो जुकाम बहुत साधारण-सी बीमारी है पर जब हो जाता है, तो न खाना खाने का मन करता है, न पानी पीने का । बस, यही लगता है कि कब और कैसे इससे छुटकारा मिले।

जुकाम के कारण

साधारण जुकाम कुछ विषाणुओं (वायरस) के समूह द्वारा होता है, जिसे राइनोवायरस कहते हैं। यदि जुकाम के साथ बुखार भी हो, तो राइनोवायरस के साथ एण्टीरोपरयरस रेसपिरेटरी सिनसिटियल वायरस एवं इंफ्लुएंजा और पैराइन कुएं रजा विषाणु भी उपस्थित रहते हैं। साथ ही मौसम परिवर्तन से भी यह होता है।

जुकाम के लक्षण

1. नाक में जलन एवं खुजली होने लगती है और नाक बहने लगती है।
2. गले में खराश एवं सिर में भारीपन महसूस होता है।
3. छीकं आने लगती हैं और इन्हीं छींकों की बूंदों से दूसरों को भी संक्रमण हो जाता है।
4. बदन दर्द एवं हलका बुखार भी महसूस होता है।
5. दो-तीन दिन बाद नाक से गाढ़ा स्राव आने लगता है। इस स्थिति में बैक्टीरिया (जीवाणु) भी संक्रमति करते हैं।
6. इलाज न कराने पर, सिर में दर्द एवं बहरापन, नाक बंद हो जाना, सांस में तकलीफ आदि होता है।

जुकाम का होमियोपैथिक इलाज

एलियमसीपा : छीकें अधिक आ रही हों, नाक एवं आंखों से पतला पानी बह रहा हो, नाक से बहने वाले पानी से होंठ एवं नाक पर चिपचिपाहट एवं खुजली हो रही हो, चिरमिरी मचती हो, तो उक्त दवा 30 शक्ति में थोड़ी-थोड़ी देर के अंतर पर लेनी चाहिए।

यदि आंखों के पानी से, गालों पर जलन एवं खुजली हो और नाक के पानी से कोई परेशानी न हो, तो ‘यूफ़ेशिया’ 30 शक्ति में लेनी चाहिए।

काली हाइड्री ओडिकम : नाक लाल, सूजी हुई अत्यधिक, पानी जैसा चिपचिपा, चुभने वाला, गर्म स्राव नाक से, सिर में भारीपन, नाक में घाव, छींक आना, आंखें लाल, कान में दर्द, खांसी आदि लक्षण मिलने पर गर्म कमरे में परेशानी बढ़े औरखुली हवा में आराम महसूस हो, तो उक्त दवा 30 शक्ति में कुछ खुराक लें।

एकोनाइट : दक्षिण-पूर्वी सर्दीली हवाओं के कारण, नाक में दर्द, छीकें, नाक की श्लेष्मा झिल्ली सूखी हुई, कभी-कभी खून भी आ जाता है, लेटने पर चेहरा लाल, उठकर बैठने पर पीला पड़ जाना, आंख लाल, मुंह सूखा, सिर में भारीपन, प्यास अधिक हो, तो उक्त औषधि 30 शक्ति में लेनी चाहिए।

मरक्यूरियस : अधिक छींक आना, धूप में छींक आना, नाक के नथुने छिले हुए,.घाव नाक से चरपराहट पैदा करने वाला, गाढ़ा स्राव, गर्म कमरे में परेशानी, नाक की हड्डी में दर्द एवं सूजन, हरा, बदबूदार स्राव, रात में कभी-कभी नाक से खून आना, मुंह का स्वाद कसैला, मुंह गीला फिर भी प्यास अधिक आदि लक्षण मिलने पर 30 शक्ति में दवा लेनी चाहिए।

यदि नाक से बहने वाला स्राव गाढ़ा है, कभी हरे, कभी पीले रंग का स्राव हो, गर्म एवं बंद कमरे में परेशानी बढ़े व प्यास न लगे, तो ‘पल्सेटिला’ नामक औषधि 200 शक्ति में लेनी चाहिए।

यदि जुकाम में छीकें अधिक आ रही हों, जुकाम की तीव्रता की वजह से किसी कार्य में मन न लगे, दो दिन बाद बंद हो जाए, सांस लेने में तकलीफ हो, मुंह का स्वाद एवं नाक की घ्राण शक्ति (सुंधने की शक्ति) क्षीण हो जाए, तो ‘नेट्रमम्यूर’ 30 शक्ति में लेनी चाहिए।

जुकाम में मुंह से सांस लेना – ‘अमोनकार्ब’ 30 शक्ति में।

बच्चों की नाक बंद होने पर – ‘सैम्बुकस’ 30 शक्ति में।

हल्की ठंड में – ‘एकोनाइट’ व ‘हिपर सल्फ’ 30 में उचित रहती हैं।

बारिश में – ‘रसटॉक्स’, ‘डल्कामारा’ 30 शक्ति में।

गर्मियों में – ‘फास्फोरस’ व ‘ब्रायोनिया’ 30 शक्ति में।

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