पेट में फोड़ा होम्योपैथिक इलाज [ Peptic Ulcer Homeopathic Treatment Hindi ]

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लक्षण – यह रोग प्राय: स्त्रियों में अधिक पाया जाता है। पेट तथा छाती की हड्डी के नीचे जलन का दर्द, खाना खाने के बाद दर्द का बढ़ जाना, वमन होना तथा वमन होने के बाद दर्द का शान्त हो जाना – ये इस रोग के मुख्य लक्षण हैं ।

यदि चित्त लेटने से दर्द में कमी हो जाय तो पाकाशय के सामने वाले भाग में, और यदि लेटने से दर्द में कमी हो तो पाकाशय के पृष्ठ भाग में फोड़ा या जख्म है – यह समझना चाहिए।

चिकित्सा – इन रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ प्रयोग करनी चाहिए :-

युरेनियम नाइट्रिकम 3x वि० – पेट के निम्न भाग में जख्म तथा छेदता सा दर्द, होने पर यह औषध लाभ करती है। अत्यधिक क्षीणता, कमजोरी तथा अंगों में जल-संचय-ये इस औषध के मुख्य लक्षण हैं। पेट तथा डुओडिनम के अल्सर की इसे श्रेष्ठ औषध माना जाता है। इसे दो ग्रेन की मात्रा में प्रति 6 घण्टे बाद देना चाहिए।

अर्जेण्टम नाइट्रिकम 3, 30 – पेट के बाँयी ओर पसलियों के नीचे जख्म जैसा दर्द, जो दूर-दूर तक फैलता हो तथा ऋतुधर्म आरम्भ होने से पूर्व पेट के दर्द में यह लाभकारी है । रक्त-हीनता के शिकार लोगों के पेट के अल्सर में भी यह औषध प्रयुक्त की जाती है ।

और्निथोगैलम Q – पेट के निचले हिस्से (Pyloris) से भोजन के गुजरते समय पेट दर्द का बढ़ जाना एवं ‘पायलोरिस’ तथा ‘सीकम’ के अल्सर में यह लाभकारी है। पेट में वायु के गोलों का दाँयें-बाँयें घूमते हुए प्रतीत होना – इस औषध का मुख्य लक्षण है । इस औषध के मूल-अर्क की केवल एक मात्रा-कुछ बूंद पानी में देकर प्रतीक्षा करनी चाहिए अथवा इसे 3x शक्ति में प्रति 8 घण्टे के अन्तर से देते रहना चाहिए ।

कैलि-बाई 3x – जल जाने के बाद जख्म हो जाने अथवा पाकाशय के सामने वाले भाग में जख्म होने पर इसे दो ग्रेन की मात्रा में 6-6 घण्टे के अन्तर से दें।

आर्सेनिक 30, फास्फोरस 30 – यदि पेट के अल्सर में जलन तथा दर्द हो, रोगी का मुँह सूखा तथा जीभ लाल हो, शरीर की पोषण क्रिया में विकार आ गया हो एवं प्यास लगती हो तो इन दोनों औषधियों में से जिसके लक्षण प्रधान हों, पहले उसे देकर बाद में लक्षणानुसार दूसरी औषध देनी चाहिए।

युफोर्बियम 3, 6 – ठण्डे पानी की प्यास तथा कैंसर जैसी भयंकर जलनयुक्त पीड़ा में यह लाभकारी है। यदि ‘आर्सेनिक’ तथा ‘फास्फोरस’ से लाभ होता प्रतीत न हो तो इसे देना चाहिए ।

इपिकाक 1 – यदि पेट के अल्सर में चमकीला लाल रंग का खून निकलता हो तो इस औषध को प्रति 15 मिनट के अन्तर से देना चाहिए तथा रोगी को चूसने के लिए बर्फ देनी चाहिए ।

हैमामेलिस 1 – यदि पेट के अल्सर से काले रंग का खून निकलता हो तो इस औषध को 15 मिनट के अन्तर से देना चाहिए तथा रोगी को बर्फ चुसानी चाहिए ।

विशेष – आवश्यकतानुसार क्रियोजोट, हाईड्रेस्टिस, लैकेसिस तथा आर्निथोगैलम ऐम्बेलेटम (एक बार में केवल एक बूंद) देने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

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