क्रोकस सैटाइवस ( Crocus Sativus Homeopathy In Hindi )

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[ Saffron ] – क्रोकस का खून गाढ़ा, जमा हुआ लेसदार होता है और वह गाढ़ा खून खींचने से तार की तरह खिंच जाता है और बाहर निकलते ही थक्का सा जम जाता है, यही इसका सर्वप्रधान लक्षण है। इलैप्स में भी इस प्रकृति का खून निकलता है। नाक, मुँह, जरायु (Uterus-गर्भाशय) मूत्रद्वार (Urethra – पेशाब का रास्ता) मलद्वार (Rectum-पाखाने का रास्ता), योनि (Vagina- स्त्रियों का गुप्त स्थान) इत्यादि किसी भी स्थान से क्यों न हो, यदि खून निकलते ही जम जाये या खून काले रंग का हो और गाढ़ा तार की तरह बाहर निकलता रहे, तो क्रोकस से फायदा होगा।

Crocus Sativus Homeopathy In Hindi

हर्ष और दुःख – बारम्बार चित्त की अवस्था का बदलना, कभी बहुत खुश और थोड़ी देर में बहुत उदास या गुस्सा आना। जब खुश होता है तो सब को प्यार करता है और हर एक को चूमना चाहता है, फिर थोड़े ही देर में क्रोध से आग बबूला हो जाता है।

रक्तस्राव – नाक, मुंह, जरायु, मूत्रद्वार, मलद्वार इत्यादि किसी भी स्थान से यदि खून निकलकर जम जाए या खूब रंग का गाढ़ा रक्त सूत या तार की तरह लम्बा होकर निकलता रहे तो क्रोकस से फायदा होगा। क्रोकस का रक्त थक्का-थक्का जमा हुआ और लसदार होता है और खींचने से वह सूत की तरह लम्बा हो जाता है, इसका खून निकलने के साथ ही जम जाता है। बाधक और रक्तप्रदर इत्यादि स्त्रियों की बहुत सी बीमारियों में उपर्युक्त प्रकार के रक्तस्राव के साथ – पेट में कोई गोलाकार जिन्दा चीज घूमने-फिरने का क्रोकस का खास लक्षण भी मौजूद हो तो तुरंत क्रोकस का प्रयोग करना चाहिए। गर्भावस्था में स्त्रियों के पेट में भ्रूण हिलने-डोलने की वजह से बहुत तकलीफ होती रहे तो क्रोकस से तकलीफ दूर हो जाती है।

इसमें एक अद्भुत लक्षण यह है कि रोगिणी ख्याल करती है कि उसके पेट, गर्भाशय, बांह अथवा शरीर के और हिस्सों में कोई कीड़ा हरकत कर रहा है।

सम्बन्ध (Ralations) – अक्सर सब रोगों में क्रोकस के बाद नक्स, पल्स और सल्फर अच्छा काम देते हैं।

रजोधर्म सम्बन्धी रोगों में अस्टिलैगो के साथ तुलना कर सकते हैं।

वृद्धि – उपवास से, संध्या समय, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन, गर्भावस्था में, गरम हवा में।

ह्रास – निर्मल वायु सेवन करने से, पहली बार भोजन करते समय, उपवास तोड़ने पर।

बाद की दवाएं – चायना, नक्स, प्लस, सल्फ।

सम्बन्ध – प्रायः सभी रोग में क्रोकस के बाद – नक्स, पल्स, सल्फ।

क्रिया का समय – 8 दिन।

मात्रा (Dose) – मूलार्क से तीसवीं शक्ति तक।

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