Homeopathic Medicine For Anxiety In Hindi [ चिंता और परेशानी का होम्योपैथिक दवा ]

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इस लेख में हम चिंता और घबराहट के एक केस की चर्चा करेंगे कि कैसे होमियोपैथी दवाओं से इस समस्या को ठीक किया गया, लेख को पूरा अवश्य पढ़ें, ताकि आप पूरी तरह समझ सकें।

एक 11 साल की बच्ची जो कई वर्षों से चिंता और घबराहट से पीड़ित थी। उसने मुझे दिखाने से पहले दो अलग-अलग होम्योपैथिक उपचार लिए थे। उसे आर्सेनिकम एल्बम और फिर कुछ समय बाद फॉस्फोरस दिया गया था। आर्सेनिकम एल्बम ने शुरू में काम किया फिर असफल रहा, और फॉस्फोरस ने केवल कुछ लक्षणों को आंशिक रूप से हटाया था। इस लड़की की चिंता एक पैनिक अटैक से शुरू हुई थी। यह पहली बार तब हुआ जब वह 8 साल की थी। उसे अचानक गले में घुटन और सिकुड़न की अनुभूति हुई। वह बहुत डर गई और रोने लगी। यह चिंता का पहला संकेत था, क्योंकि यह बाद में उल्टी और डर की बीमारी में बदल गया।

बच्ची का का केस लेने पर मैंने देखा कि उसे शाम को गर्मी की लहर उठती थी, जिसके कारण वह अपने कपड़े उतार देती थी। उसे उल्टी होने और बीमार होने का डर था, और उल्टी होने के सपने आते थे जो उसे आधी रात में जगा देते थे। उसके पैनिक अटैक में अचानक डर, पेट के निचले हिस्से में ऐंठन, गले में एक गाँठ महसूस होना और घुटन होना, पूरे शरीर का कांपना, हाथों और पैरों में जकड़न, साथ ही उल्टी आने का अत्यधिक डर होता था। उसके सिर में गर्मी होने लगती थी और उसकी हथेलियों और पैरों से पसीना निकलने लगता था। वह घुटने से छाती को चिपका कर बैठ जाती थी और बार-बार पूछती थी कि क्या उसे उल्टी होने वाली है। रात में जागने पर पैनिक अटैक सबसे अधिक बार होता था। वह शांत नहीं बैठ सकती थी, अतीत या भविष्य के बारे में सोचने लगती थी।

होम्योपैथिक दृष्टि से देखते हैं :-

इसके लक्षण में घबराहट, जिसमें गर्मी, गले का कसना, रात में जागने पर उल्टी का डर था। इसके अलावा, शाम में गर्मी की लहर का आना और कमजोरी जो अचानक दिखती थी।

मामले को करीब से देखने पर मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि सबसे विश्वसनीय लक्षण जो शाम के आसपास गर्मी की लहर का उठना, जिसके कारण रोगी को कपड़े उतारना पड़ता था और अचानक कमजोरी जिसके कारण उसे लेटने की आवश्यकता होती थी। एक 11 साल की बच्ची में इन लक्षणों के साथ-साथ गले और शरीर के दूसरे हिस्सों में कसाव होना और उल्टी का डर ने लैकेसिस की ओर इशारा किया ।

लैकेसिस गले के साथ-साथ शरीर के दूसरे हिस्सों में जकड़न या कसाव को कवर करता है, नींद के बाद रोग का बढ़ना, और आमतौर पर गर्मी की लहर के लिए उपयोग किया जाने वाला एक दवा है।

मैंने लैकेसिस 200 पोटेंसी को हफ्ते में एक बार लेने की सलाह दी।

2 हफ्ते बाद चिंता और पैनिक अटैक में अच्छा सुधार दिखा। चिंता की तीव्रता में कमी आई। उसने बेहतर नींद और भूख बढ़ने की भी सूचना दी। गर्मी की लहर और अचानक कमजोरी में भी कमी आई। अब हीट फ्लश होते हैं तो वह उतनी गर्म नहीं होती है। पैनिक अटैक अभी भी समय-समय पर हो रहे हैं, लेकिन उतनी तीव्रता से नहीं। वह कुल मिलाकर कम चिंतित महसूस कर रही थी। उसके पैनिक अटैक बुरे विचारों, बुरे सपने और बुरी यादों के कारण होते हैं। वह कहती हैं कि जब वे तीव्र होते हैं, तो उन्हें माथे में गर्मी और गले में सूखापन महसूस होता है।

जैसा कि लक्षण में बहुत सामान्य सुधार हुआ है, ऐसे में लैकेसिस 1M पोटेंसी को मैंने 1 बार दे कर दवा को बंद करने के लिए कहा।

अगले 15 दिनों बाद वह कहती है कि वह बहुत बेहतर कर रही है। कुल मिलाकर, चिंता और पैनिक अटैक में बहुत कमी आ गई है। उसे लगता है कि वह 80% बेहतर है उसकी भूख बढ़ गई है और वह अधिक खा रही है। उसे थकान कम लगती है और प्यास भी ज्यादा लगती है। डर, घबराहट, चिंता लगभग खत्म हो चूका है।

मानसिक तनाव आज के दैनिक जीवन में एक स्वाभाविक हो गई है। बचपन से ही किसी न किसी रूप में इस पक्रिया से सभी को गुजरना पड़ता है, जिसका भयानक दुष्परिणाम व्यक्ति के शरीर व मन पर पड़ता है। मधुमेह, रक्त दबाव का बढ़ना, हृदय विकार, कैन्सर रोग, पेप्टिक अल्सर, कोलायटीस, त्वचा रोग और अन्य कई मानसिक रोग इसके परिणाम है।

‘टेन्शन’ शब्द का उपयोग सभी किसी न किसी रूप में करते है, परन्तु इस गंभीर परिणाम का शरीर कैसे सामना करता है ? आदि बातों पर लोग अज्ञानता ही प्रकट करते है। अत: इसका मूल स्वरूप व शारीरिक तथा मानसिक असर समझ लेना अति आवश्यक है।

एक्चुपंक्चर तत्व ज्ञान के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अनुवांशिकता के हिसाब से प्राणशक्ति मिलती है। इससे प्राण शक्ति का उपयोग दो ही कार्यों में किया जाता है :

• शरीर की सब इंद्रियों को स्वाभाविक व सहज रूप से कार्य करवाने में।
• शरीर का सामंजस्य बनाये रखने के लिए या बिगड़े हुए सामंजस्य को फिर से प्राप्त करने के लिए।

मानसिक तनाव का शरीर पर प्रभाव

आजकल बचपन से ही प्राण शक्ति खर्च होने लगती है, क्योंकि बच्चों को भी मानसिक दबाव कम नहीं सहना पड़ता, पहले जैसा उन्मुक्त बचपन अब नहीं रहा। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए प्राण शक्ति को बहुत उपयोगी माना है। शरीर का सामंजस्य कई कारणों से बिगड़ता है। मनुष्य से शरीर रचना व शरीर विज्ञान के विपरीत किसी भी कारण मानसिक तनाव का निर्माण हो सकता है, जैसे- गलत या अपौष्टिक आहार, अपूर्ण निद्रा, अतिश्रम, व्यायाम का अभाव, श्रम अभाव अथवा विश्राम के लिए बिल्कुल ही वक्त न मिलना आदि कुछ कारणों से मानसिक तनाव का निर्माण होता है।

तनाव रहित होने के कुछ उपचार

स्नायु व मानसिक तनाव का परस्पर संबंध होने की वजह से मालिश काफी उपयोगी होता है। इससे शरीर में कहीं सूजन नही आती, सिर्फ 5-10 मिनट की मालिश करने से ही आराम मिलता है व स्वस्थ नीद लगती है। अल्सर जैसे रोगों में कार्य शक्ति में विलक्षण सुधार होता है । पूर्वी तत्वज्ञान के अनुसार प्रत्येक मनुष्य का स्वस्थ रहने के लिए बाहरी रूप में आराम और भीतरी तरह से कार्यक्षम होना चाहिए, परन्तु आज की स्थिति बिल्कुल विपरीत है। मनुष्य निरंतर मानसिक तनाव में रहता है जिससे शरीर को हमेशा ‘एलार्म रिएक्शन’ में रहना पड़ता है। अत: इसके विपरीत परिणामों को दूर करने के लिए ‘मालिश’ अत्यंत उपयोगी उपचार है। यह अत्यंत सुलभ सस्ता, विशेष प्रशिक्षण विहीन, वेदना रहित व बगैर किसी दुष्परिणाम का उपचार है। यहां एक बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि मानसिक तनाव जीवन का एक आवश्यक अंग है। किसी न किसी रूप में व थोड़ी अधिक मात्रा में तनाव जीवन में व्याप्त रहता ही है। यह भी जरूरी नहीं कि सभी प्रकार के मानसिक तनाव नुकसानदेह ही हो । आनन्द, सुख यह भी एक प्रकार का मानसिक तनाव ही है, परन्तु यह जीवन रूचिकर बनाता है। इन सभी भावनाओं को भोगने में प्राणशक्ति खर्च करनी पड़ती है ( जो कि प्रत्येक व्यक्ति में मर्यादित मात्रा में होती है) इन तनावों के लिए आत्मसंयम, सहनशीलता व वैचारिकता का होना बहुत जरूरी होता है।

Panic Attack और Anxiety का होम्योपैथिक इलाज

इग्नेशिया 200 – मानसिक-कष्टों के दुष्परिणामों की यह प्रमुख औषध है । मानसिक-स्थिति का बदलते रहना, कभी रोना, कभी हँसना, आहें भरना, सिसकियाँ लेना तथा किसी वियोगजन्य के दु:ख के कारण नींद न आना – इन लक्षणों में यह बहुत लाभ करती है । नये मानसिक-कष्ट में इसके प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है।

मैग्नेशिया-कार्ब 200 – डॉ० क्लार्क के मतानुसार मानसिक-आघात एवं मानसिक-बेचैनी के फलस्वरूप उत्पन्न हुए कष्ट की यह प्रमुख औषध है। इसे प्रति चार घण्टे बाद देना चाहिए । यदि मानसिक आघात के कारण कब्ज भी हो तो यह औषध बहुत लाभ करती है।

फस्फोरिक-एसिड 2x – मानसिक-कष्ट के दीर्घकालीन (पुराना) हो जाने पर यदि रोगी का उत्साह नष्ट हो गया हो, भग्न-प्रेम के कारण उत्पन्न हुई निराशा, बच्चों को होस्टल आदि में अलग रहते समय माता-पिता की याद आना, इन्हीं कारणों से ज्वर, खोपड़ी पर बोझ का अनुभव, पसीना आना तथा मानसिक -उद्वेग के अन्य लक्षणों का प्रकट होना-ऐसी अवस्था में यह औषध लाभकर सिद्ध होती है ।

नेट्रम-म्यूर 30, 200 – मानसिक-कष्ट के पुराने हो जाने पर यह औषध भी ‘फास्फोरिक-ऐसिड’ की भाँति ही लाभकर सिद्ध होती है । चित्त में उदासी, रोने की इच्छा, किसी के द्वारा सहानुभूति प्रकट किये जाने पर क्रोध आना तथा चिढ़ जाना, स्वभाव में अधिक चिड़चिड़ापन, खोपड़ी पर भार का अनुभव एवं दर्द आदि लक्षणों में यह हितकर है । जो लक्षण ‘इग्नेशिया’ के प्रयोग के बाद भी शेष रह गये हों, उन्हें यह दूर करती है ।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

2 Comments
  1. Virender says

    नसल पोलीप का ईलाज क्या है

    1. Dr G.P.Singh says

      Don’t be dis hearten. Every thing is possible in this world if you try patiently. you write to us your problem as we want for facilitating in the direction of selection of medicine to be beneficial for you. For this either you try to write us in detail (ie details of your disease, your ht. your colour your age,effect of coldness and heat, hurydness, fear, anger,sensitivity etc. or try to meet the doctor at Patna. May God bless you.

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