मधुमेह (डायबिटीज) का होम्योपैथिक उपचार [ Homeopathic Remedies For Diabetes In Hindi ]

2,523

मधुमेह (डायबिटीज) का होम्योपैथिक उपचार

इस पोस्ट में हम मधुमेह (डायबिटीज) होने के कारण और उसके होम्योपैथिक दवा के बारे में जानेंगे।

कारण – इस रोग के उत्पन्न होने का मूल कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है । रोग की प्रथमावस्था में त्वचा का रूखा तथा सूखा होना, तीव्र प्यास, अधिक भूख, दाँत की जड़ों में सूजन, कब्ज अथवा सूखा मल, श्वास में दुर्गन्ध, शरीर मीठा होना, जीभ का फटी हुई सी तथा लाल दिखाई देना एवं मल का स्पंज की भाँति होना-ये लक्षण प्रकट होते हैं। तत्पश्चात धीरे-धीरे भूख न लगना, शरीर का दुर्बल होना, त्वचा का क्षय होना, कार्बन्कल अथवा पृष्ठाघात, कामेच्छा में वृद्धि, स्त्रियों की जरायु में खुजली तथा अन्त में फुफ्फुस प्रदाह एवं क्षय खाँसी के लक्षण होते हैं। रोगी के मूत्र का आपेक्षिक-गुरुत्व 1.025-1.050 तक हो जाता है। इस रोग का रोगी रात-दिन में चार से बीस किलो तक पेशाब करता है । जिस स्थान पर रोगी पेशाब करे, यदि वहाँ चींटी लगें तो यह समझ लेना चाहिए कि उसके पेशाब में चीनी है और मधुमेह का होना तय है ।

(1) पेशाब में चीनी होना, (2) अत्यधिक पेशाब होना तथा (3) रात के समय तीव्र प्यास के साथ गले का सूखना – ये तीनों इस रोग के प्रधान लक्षण हैं। यह रोग मूत्रमेह के पहले अथवा बाद में भी हो सकता है। इस रोग के रोगी को प्राय: फोड़े हो जाते हैं, जो सड़ने वाले तथा ठीक न होने वाले अथवा बहुत ही कठिनाई से ठीक होने वाले होते हैं ।

चिकित्सा – इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों का प्रयोग करना चाहिए :-

Diabetes ka Homeopathic Dawa

सिजिजियम Q, 1x, 6x यह औषध रोग की सभी अवस्थाओं में लाभ करती है। इसके सेवन से पेशाब के गुरुत्व में तथा चीनी की मात्रा में कमी हो जाती है। अधिक प्यास लगना तथा अधिक पेशाब होना – इन लक्षणों में इसे देना चाहिए। यह इस रोग की स्पेसिफिक-औषध मानी जाती है। इसके मूल-अर्क की पाँच से दस बूंदें हर आठ घण्टे बाद देनी चाहिए।

सेफेलैण्ड्रा इण्डिका Q – मधुमेह के कारण हाथ-पाँवों में जलन तथा पित्त की अधिकता के लक्षणों में यह औषध विशेष लाभकारी है ।

आर्सेनिक ब्रोमाइड Q – इस औषध के मूल-अर्क की तीन बूंदें एक गिलास पानी में डाल कर, दिन में तीन बार देनी चाहिए। यह बहुमूत्र तथा मधुमेह-दोनों में लाभकारी है । इस औषध के सेवन से एक सप्ताह में ही प्यास में कमी आ जाती है। इसे तब तक लेते रहना चाहिए, जब तक कि पेशाब में शक्कर की मात्रा कम नहीं हो जाय। शक्कर की मात्रा बहुत कम हो जाने पर भी इस औषध को दिन में केवल दो बार के हिसाब से बहुत दिनों तक देते रहना चाहिए ।

यूरेनियम नाइट्रिकम 2x, 30 – परिपोषण-क्रिया के अभाव के कारण उत्पन्न दोनों प्रकार के बहुमूत्र रोग में यह लाभकारी है । राक्षसी-भूख, अत्यधिक प्यास, पेट में हवा भर जाना, पेट का फूल जाना, जीभ का सूखा होना आदि लक्षणों के साथ पेट की खराबी में यह बहुत लाभकारी है।

फास्फोरिक-एसिड Q, 1x – स्नायु-प्रधान रोगियों के लिए यह विशेष हितकर है। रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना, पानी जैसा पेशाब होना, दूधिया रंग के पेशाब का अधिक आना, पेशाब में शक्कर अधिक होना, अत्यधिक कमजोरी का अनुभव तथा शरीर की माँस-पेशियों का दुखते रहना, पीठ तथा मूत्रग्रन्थि में दर्द, स्मरण-शक्ति का घटना, जननेन्द्रिय की कमजोरी आदि लक्षणों में लाभकारी है । किसी दु:ख, चिन्ता अथवा परेशानी के कारण उत्पन्न रोग में विशेष उपयोगी है । यदि रोग के आरम्भ से ही इस औषध का प्रयोग किया जाय तो निश्चित लाभ मिलता है ।

अर्जेण्टम नाइट्रिकम 3, 30 – बहुमूत्र-रोग में मूत्र-शर्करा, जी मिचलाना, वमन होना तथा मीठा खाने की तीव्र लालसा-इन लक्षणों में हितकर है ।

नेट्रम-म्यूर 30 – गठिया-रोग के साथ मधुमेह होने पर इसका प्रयोग किया जाता है। त्वचा पर खुश्की, सम्पूर्ण शरीर में खुजली, अनजाने में पेशाब निकल जाना, पेशाब होने के बाद दर्द तथा हर घण्टे पर पेशाब करना-ये सब इस औषध के विशेष लक्षण हैं ।

लैक्टिक एसिड 3, 30 – यह औषध भी गठिया रोग के साथ वाले मधुमेह में लाभ करती है ।

नेट्रम-सल्फ 6x – पेशाब में पीले रंग की तलछट बैठना, रात में अनेक बार पेशाब जाना तथा शरीर के जल-संचय होने पर यह औषध विशेष लाभ करती है । सीलन वाले स्थान में रहने के कारण होने वाले रोग तथा बरसात के मौसम में रोग के वृद्धि के लक्षणों में हितकर है।

प्लम्बम आयोड 6 – यूरिक-एसिड ग्रस्त मधुमेह के रोगियों के लिए यह विशेष लाभदायक है ।

सिकेल – इसके सेवन से पेशाब में शक्कर का भाग कम हो जाता है।

कोडीनम 2 – मधुमेह के साथ बैचेनी, मानसिक-अवसन्नता, त्वचा का उपदाह (खुजली, सुन्न होना, गर्मी का होना आदि), काँटे चुभने जैसा दर्द, हाथ-पाँवों में अपने-आप ऐंठन, सम्पूर्ण शरीर में कंपकंपी तथा बदहवासी आदि लक्षणों में इसके प्रयोग से लाभ होता है ।

यूरेनियम नाइट्रिकम 1x, 3 – प्यास की तीव्रता, जीभ का लाल रहना, नींद न आना, आँख-नाक से पीव की भाँति श्लेष्मा निकलना, अपच, कब्ज, जननेन्द्रिय में जलन, पेशाब में चीनी की मात्रा अधिक रहना – इन सब लक्षणों में हितकर है ।

टेरिबिन्थिना 3 – किसी काम में मन न लगना, डकारें आना, रात के समय बार-बार पेशाब होना, अण्डलाल (एल्ब्युमिन) युक्त पेशाब होना, पेशाब में तली जमना, कभी-कभी रंगहीन पेशाब होना, पेशाब करते समय जलन तथा पेशाब में शक्कर आना – इन सब लक्षणों में लाभकारी है ।

क्रियोजोट 6, 12, 30 – अत्यधिक परिमाण में लाल रंग की तलछट जमने वाला वर्णहीन-पेशाब, बार-बार पेशांब करने की इच्छा तथा पेशाब के वेग को रोकने की शक्ति का अभाव-इन सब लक्षणों में हितकर है ।

नेट्रम-सल्फ 12x, 200 तथा नेट्रम फास 6x, 200 – ये दोनों इस रोग की महौषधियाँ हैं । रोग चाहे कितना ही भयंकर क्यों न हो, चार-पाँच सप्ताह तक इन दोनों औषधियों का पर्याय-क्रम से सेवन करते रहने पर पेशाब में शक्कर का आना एकदम कम हो जाता है । गठिया वात के रोगियों के लिए ‘नेट्रम सल्फ’ विशेष लाभकर है। डॉ० सेण्डर के मतानुसार मधुमेह का कोई भी रोगी ऐसा नहीं मिला, से इन औषधियों के द्वारा रोग-मुक्त न किया जा सका हो ।

सिलिका 3, 6 – यदि उत्त सभी औषधियों का व्यवहार करने के बाद भी कोई लाभ न हुआ हो तो इसे देकर देखना चाहिए ।

आर्सेनिक 6, 30 – मधुमेह के साथ शोथ होने पर इसे दें।

कैन्थरिस 3 – मधुमेह के पेशाब के साथ जलन होने पर इसे देना चाहिए।

रस ऐरोमेटिका Q – पानी के साथ इस औषध की दस बूंदों की मात्रा देकर मधुमेह के रोगियों को ठीक करने की बात भी कई चिकित्सकों द्वारा कही गई है । ।

आर्निका 3, 30 – यदि गिरने के कारण मधुमेह रोग हुआ हो ।

ओपियम 3, 30 – यदि मधुमेह के साथ तन्द्रा के लक्षण हों तो इस औषध का प्रयोग करें ।

विशेष – उपर्युक्त औषधियों के अतिरिक्त लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियों के प्रयोग की भी कभी-कभी आवश्यकता पड़ संकती है :- स्कुइला, एरम-ट्राई, चिमाफिला, डिजिटेलिस, नक्स-वोमिका

मधुमेह रोगियों की लिए टिप्स

  • अधिक समय तक शरीर पर सरसों के तैल की मालिश करने के बाद स्नान करने से मधुमेह के रोगी की त्वचा ठीक बनी रहती है ।
  • नीबू का रस मिलाकर ठण्डा पानी पीने तथा आंवले का सेवन करने से मधुमेह के रोगी की प्यास शान्त हो जाती है।
  • दो-तीन दिन उपवास रखकर, फिर नियमित हल्का तथा सुपाच्य भोजन करते रहने से पेशाब में शक्कर आना बन्द हो जाता है ।
  • मधुमेह के रोगी को मक्खन निकला दूध अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए । पुराने चावलों का भात, धान का लावा, जौ की भूसी की रोटी, केले का फूल, मूली, मूली के पत्तों का साग, मांस का शोरबा, लिसौढ़े तथा शहद-ये सब मधुमेह के रोगी के लिए पथ्य हैं ।

हारमोन्स की कमी के कारण उत्पन्न मधुमेह

इस रोग के रोगी को कभी-कभी इन्सुलिन 3x अथवा 30x अथवा 200 देते रहने से लाभ होता है ।

Video On Diabetes 

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें