हाथ, पैर या पूरे शरीर में कंपन का होम्योपैथिक इलाज

इस लेख में हम हाथ, पैर या सब शरीर का स्वयं कंपन करने की स्थिति की होम्योपैथिक दवा के बारे में जानेंगे। हर दवा को उनके लक्षण के आधार पर इस्तेमाल करना होता है। रोगी के कोंस्टीटूशनल दवा का पता अवश्य करें, तभी समस्या जड़ से ठीक होगी।

(1) Gelsemium 30 – ‘ कंपन’ इस औषधि का मुख्य लक्षण है । रोगी पाँओं से लड़खड़ाता है । सारा शरीर भारी हो जाता है। सारे शरीर में आलस छाया रहता है। रोगी को प्यास नहीं लगती। आँख, गला, छाती, स्वर-यन्त्र, हाथ-पैर आदि की मांस-पेशियों में पक्षाघात हो जाता है। डिफ्थीरिया के बाद के पक्षाघात में उपयोगी है। सर्दी या सीलन से अनेक रोग आ घेरते हैं, रोगी शीत- प्रधान है ।

(2) Argentum Nitricum 30 – यह भी Gelsemium की तरह काँपता है, कमजोरी से कंपन होता है । पिंडलियाँ अकड़ जाती हैं, पिंडलियों में बेहद कमजोरी महसूस होती है । अगर कोई देख न रहा हो, तो लड़खड़ाता चलता है । बाहें सुन्न हो जाती हैं, यह भी डिफ़्थीरिया के बाद या कामुक- जीवन बिताने के बाद के पक्षाघात में दिया जाता है। मीठे का शौकीन होता है । जेल्सीमियम का यह अनुपूरक (Complementary) है। दोनों में पक्षाघात के कंपन के लक्षण समान होने पर भी जेल्सीमियम शीत- प्रधान (Chilly) है, अर्जेन्ट्रम नाइट्रिकम ऊष्णता – प्रधान ( Hot) है, जेल्सीमियम के बाद अर्जेन्टम नाइट्रिकम दिया जा सकता है ।

(3) Agaricus 30 – इसमें भी कंपन है । जिस अंग में रोग होता है, उसमें ऐसी खुजली मचती है मानो वह अंग ठंड से जम गया हो । सारा शरीर अकड़ ( Stiff) जाता है । टांगों को एक-दूसरे पर रखने से सुन्न हो जाती हैं । कंपन, फुदकन, अंगों का अकड़ जाना, खुजली मचना, स्पर्श न सह सकना आदि इसके लक्षण हैं। जिन अंगों में कंपन होता है वे नीले तथा ठंडे पड़ जाते हैं ।

(4) Ignatia 200 – किसी Emotional cause से कंपन शुरु हो जाना ।

(5) Stramonium 30 – भय से कंपन शुरू होने पर उपयोगी है।

(6) Antim tart 30 – बाहर से न काँपते हुए भी शरीर के भीतर कंपन अनुभव करना, शराबियों का कंपन, किसी भी प्रकार की हरकत से हाथों का काँपने लगना ।

(7) Merc Sol 30 – जीभ का कंपन, जीभ के कंपन के कारण तुतलाना, किसी चीज़ को उठा न सकना, कंपन के कारण कलम से लिख न सकना, खाने के लिये हाथ न उठा सकना । इसके कंपन का प्रारम्भ अंगुलियों से होता है ।

(8) Physostigma 30 – नींद लेते ही एकदम झटका लगता है, सारे शरीर में धड़कन महसूस होती है, छाती तथा सिर में हृदय की धक्- धक् सुनाई पड़ती है, गले में भी हृदय की चाल अनुभव होती है ।

(9) Merc vivus 30 – पक्षाघात में कंपन ( Tremor ) का कारण अगर दबे हुए गोनोरिये का विष हो, या पसीना दब जाने से रोग की शुरुआत हो, तब दो । रोगी सर्दी-गर्मी किसी को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता ।

(10) Strychninum 30 – अंग अकड़ जाते हैं, उनमें जबर्दस्त झटके लगते हैं, मुड़ते रहते हैं, काँपते हैं ।

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