स्कुइला [ Squilla Maritima Homeopathy In Hindi ]

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इसका दूसरा नाम – सिला ( scilla ) भी है, सामुद्रिक प्याज से इसका मूल अर्क ( मदर टिंचर ) तैयार होता है। सर्दी-खांसी के सिवा प्रायः और किसी प्रकार की बीमारी में इसकी उतनी ज्यादा जरुरत नहीं पड़ती।

खाँसी – खाँसने के समय छींक। खाँसी के समय आँख से पानी गिरना। खाँसी के धमक से धोती में पेशाब कर देना। इस दवा के ये तीन प्रधान चरित्रगत लक्षण हैं। स्कुइला की खाँसी – तरल, बिखरे, घड़घड़ाहट के साथ, इसमें सवेरे के वक्त जो खाँसी आती है, वह घड़घड़ाहट के साथ होती है, पर ढीली ( loose ) खाँसी होने पर भी रोगी खाँसते-खाँसते बहुत ही थक जाता है। संध्या के समय की खाँसी सूखी ( dry ) होने पर भी रोगी उससे बहुत सुस्त नहीं हो जाता है। तेज खाँसी के समय शिशु हाथ-मुट्ठी बाँधकर मुंह में धंसता है।

स्कुइलाप्लुरिसी रोग में भी फायदा करती है।

सदृश – वार्बेस्कम, सेनेगा, सल्फर, ड्रोसेरा, मार्टस कम्युनिस।

क्रम – 3, 30 शक्ति।

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