रक्तचाप दो प्रकार का होता है – पहला, उच्च रक्तचाप और दूसरा, निम्न रक्तचाप। उच्च रक्तचाप में शरीर की धमनियां कड़ी पड़ जाती हैं। यह रोग मधुमेह, अजीर्ण एवं गुर्दे की खराबी से होता है। निम्न रक्तचाप में हृदय पूरे दबाव से रक्त को धमनियों में नहीं फेंक पाता। इसी कारण रक्तचाप सामान्य से नीचे आ जाता है। इस रोग में चक्कर, सुस्ती और कमजोरी के लक्षण प्रकट होते हैं। कभी-कभी रोगी बेहोश भी हो जाता है।
उच्च रक्तचाप का उपचार ( high blood pressure ka gharelu ilaj )
शहद – शहद का सेवन करने से रक्तवाहिकाओं की उत्तेजना शांत होती है। इस कारण उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
नीम – प्रात:काल 25 ग्राम नीम की पत्ती का रस लेना उच्च रक्तचाप में बहुत लाभदायक सिद्ध होता है।
छाछ – उच्च रक्तचाप में छाछ का सेवन करने से काफी लाभ पहुंचता है।
त्रिफला – त्रिफला चूर्ण दो चम्मच और मिश्री आधा छटांक – दोनों को मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। प्रात:काल इसे छानकर पीने से उच्च रक्तचाप में काफी लाभ होता है।
मेहंदी – पैर के तलवों और हथेली पर मेहंदी का लेप समय-समय पर करने से उच्च रक्तचाप में आराम मिलता है।
हीग – निम्न रक्तचाप होने पर छाछ और हींग का सेवन लाभदायक है।
नमक – नमक का सेवन सामान्य से थोड़ा अधिक करने पर भी निम्न रक्तचाप दूर हो जाता है।
लौकी – आधा कप लौकी के रस में थोड़ा-सा पानी मिलाकर नित्य तीन बार पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
केला – केले के तने का रस आधा-आधा कप नित्य दो बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।
नीबू – पानी में नीबू निचोड़कर दिन में कई बार पीने से निम्न रक्तचाप में लाभ होता है। प्रात:काल एक नीबू का रस गरम पानी में मिलाकर पीना भी निम्न रक्तचाप में हितकर होता है।
सेब – उच्च रक्तचाप होने पर सेब का सेवन लाभप्रद है।
टमाटर – टमाटर खाते रहने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
नारंगी – नारंगी का रस रोज दो-तीन बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है। इसके साथ अन्य पदार्थ न खाएं।
गाजर – गाजर का रस 31 ग्राम और पालक का रस 125 ग्राम – दोनों को मिलाकर नित्य पीने से दोनों प्रकार का रक्तचाप दूर हो जाता है।
लहसुन – उच्च रक्तचाप में 6 बूंद लहसुन का रस पानी में मिलाकर नित्य चार बार पिलाएं। काफी लाभ होगा। खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन का सेवन करने से कुछ ही दिनों में उच्च रक्तचाप ठीक हो जाता है। लहसुन की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर पीने से निम्न रक्तचाप में आश्चर्यजनक रूप से लाभ होता है।
चौलाई – चौलाई का रस दोनों प्रकार के रक्तचाप के रोगियों के लिए बहुत लाभदायक है। इसकी सब्जी भी खाई जा सकती है।
तरबूज – उच्च रक्तचाप ( हाई ब्लडप्रेशर ) में केवल तरबूज का रस पीना लाभकारी होता है।
पालक – कुछ दिनों तक पालक की सब्ज़ी एवं रस का सेवन करने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है। फलस्वरूप शरीर में स्फूर्ति तथा नवशक्ति का संचार होता है। चेहरे पर खून की लाली छा जाती है।
उच्च रक्तचाप के लिए आहार
प्रातः काल 5.30 बजे | 24 घंटे पहले भिगोय हुए गेंहू के एक गिलास पानी में एक नीबू का रस तथा दो चम्मच शहद मिलाकर सेवन करें। |
प्रातः काल 7.30 बजे | दो बड़ा प्याज तथा लहसुन की दो-तीन कलियों का रस पिएं। |
प्रातः काल 9 बजे | मौसमी सब्जियों ( खीरा, गाजर, टमाटर एवं लौकी ) के रस में 6 आंवलों तथा अदरक का रस मिलाकर पियें। |
प्रातः काल 11 बजे | गेहूं की दो रोटी तथा एक कटोरी उबली हुई सब्जी (कम नमक डालकर) का सेवन करें। यदि बिना नमक का भोजन रुचिकर न लगे, तो एक कटोरी अंकुरित दाल, एक कटोरी सब्जियों का सलाद तथा एक कटोरी दही लें। |
दोपहर 12.30 बजे | बिना नमक का एक बड़ा गिलास मट्ठा पिएं। |
दोपहर 2.30 बजे | मौसमी रसदार फलों (सन्तरा, तरबूज आदि) का सेवन करें। |
दोपहर 4.30 बजे | मौसमी सब्जियों का एक गिलास रस पिएं। |
सायंकाल 7 बजे | मौसमी फल-नाशपाती, चीकू, जामुन, रसभरी, खरबूजा, मीठा नीबू, सेब, अमरूद या अनन्नास आदि खाएं। प्रारम्भिक सात दिनों के बाद अन्य चीजें शामिल की जा सकती हैं। |
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