नवजात शिशु का सांस रुकने का कारण और इलाज

648

यह कष्ट बच्चे को कई कारणों से हो जाता है । यह स्वयं में कोई रोग नहीं है । बच्चे का साँस दूसरे रोगों के कारण घुटने लगता है । माँ के शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाने से ( प्रसव के समय गर्भाशय के अन्दर ही बच्चे की इस कारण से मृत्यु तक हो सकती है । ) बच्चे के गले में आंवल कस जाने से भी उसका गला घुट सकता है । सांस लेने वाले अंग पर दबाव पड़ने, मस्तिष्क में रक्तस्राव होने, वायु प्रणालियों में रुकावट होने, रक्त की गुठली जम जाने से अवरोध होने, फेफड़ों और हृदय के जन्मजात रोग, गर्भवती में रक्त की कमी, शिशु उत्पन्न करने के लिए गर्भवती को बेहोश एवं सुन्न करने वाली दवाओं का प्रयोग किया जाना, शिशु पैदा होने में बिलम्ब होना, माँ को उच्च रक्तचाप रोग तथा मधुमेह आदि रोग होने से नवजात शिशु का सांस रुक जाता है।

कई बार सांस घुटने का रोग मामूली और कई बार ये रोग अति तीव्र होता है। ऑक्सीजन की कमी हो जाने से बच्चे की त्वचा नीली हो जाती है । साँस की गति और हृदय की गति कम हो जाती है । इस कष्ट को Blue Asphyxia कहा जाता है। कई बच्चों की त्वचा पीली, होंठ नीले, नाड़ी की गति बहुत मध्यम और कमजोर हो जाती है। कई अवस्थाओं में सांस आना बिल्कुल रुक जाता है परन्तु कई बार सांस आता है फिर रुक जाता है और कुछ समय बाद फिर सांस आने लगता है ।

नवजात शिशु का सांस रुकने का चिकित्सा

नोट – जब बच्चे को कष्ट से साँस आये और वह सांस लेने का प्रयास करे, हृदयगति 40 से 70 के बदले 100 प्रति मिनट हो और केवल टाँगें ही नीली हुई हों तो ये रोग के कम होने के लक्षण होते हैं ।

बच्चे के गले में रबड़ की सिरिन्ज के साथ एक नरम कैथेटर फिट करके गले से थूक आदि को खींच कर निकाल लें । बच्चे को ठण्डे पानी (15 से.मी.) और गरम पानी (39 सेण्टीग्रेड) से बारी-बारी से स्नान कराने से सांस रुकने का कष्ट दूर हो जाता है । बच्चे का सिर पीछे की ओर नीचे करके उसके नाक में पतला कैथेटर डालकर उसमें बल्व सिरिन्ज फिट करके फेफड़ों की हवा निकाल दें ।

अस्पतालों और नर्सिग होम में डॉक्टरी उपकरणों से (artificial respiration) चिकित्सा करके बच्चे को बचा लिया जाता है । कई बार ऑक्सीजन श्वासमार्ग में तथा सोडियम बाई कार्बोनेट सॉल्यूशन के एम्पूल भी रक्त में प्रवेश कराने पड़ते हैं ।

साँस जारी करने के लिए निकेथामाइड, रेस्टीमुलेन, कैफीन, लोवेलीन या कैम्फर ऑयल के चर्म में इन्जेक्शन लगा देने से बच्चे को सांस आने लग जाता है ।

हृदय की गति ठीक करने के लिए एड्रेनालीन का इन्ट्राकार्डियक इन्जेक्शन 1 मि. ली. तक (1° 1000) लगायें ।

विशेष नोट – ऐसे बच्चे को दोबारा किसी भी समय यह रोग हो सकता है। अतः चिकित्सक को हर समय सचेत रहना परम आवश्यक है ।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें