ब्रोमियम ( Bromium Homeopathic Medicine In Hindi )

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हलके नीले रंग की आँख, भूरे बाल, उजली भौं और अत्यन्त गोरे चमड़े वाले मनुष्य पर ब्रोमियम की क्रिया अच्छी होती है, परन्तु दुसरे प्रकार की आकृति के रोगियों पर भी यह काम करती है। कण्ठमालाग्रस्त, लाल-सुर्ख गाल वाले बालिकाओं पर इसकी क्रिया अच्छी होती है। डाक्टर हेरिंग कहते हैं कि ब्रोमियम और आयोडियम में खास पहिचान यह है कि ब्रोमियम रोगी नीले-नयन और आयोडियम कृष्ण-नयन होता है। ब्रोमियम की शिकायतें खुश्क ठण्डे मौसम में बहुत कम होती हैं और गर्म नम मौसम में ही हुआ करती हैं। इसकी तकलीफें गर्मी से, गर्म मौसम में और गर्म कमरे के अन्दर वृद्धि पाती हैं। इसकी शिकायतें अधिकतर शरीर के बाँयी तरफ हुआ करती हैं। ब्रोमियम में यह एक विशेष बात है कि शरीर की गिल्टियां बढ़ कर पत्थर की तरह सख्त हो जाती हैं, जैसे थायराइड (कान के सामने की सब से बड़ी गिल्टी), गर्दन, जबान और जबड़े के नीचे की गिल्टियां, पोता इत्यादि (Thyroid parotid, sub-lingual, sub-maxillary, testes etc.)। घेंघा (Goitre) को दूर करने के लिये यह एक उत्तम औषधि है, मुर्गी के अण्डे के आकार से भी बड़े-बड़े घेंघे इस से आसानी से आराम होते हैं।

कण्ठनली के प्रदाहिक रोगों (Inflammatory diseases of the larynx and trachea) के लिए ब्रोमिन एक बहुमूल्य औषधि है। डिफथीरिया और क्रुप (Diphtheria and croup) रोग में यह एक उत्तम औषधि है, साँस लेते समय श्वास नली में ठण्डक मालूम होती है।

गले में सुरसुरी होता है, सरसराहट होकर खांसी आरम्भ हो जाती है, गला बैठ जाता है, आवाज भारी हो जाती है, बात स्पष्ट नहीं निकलती । खाँसते-खाँसते, घूंट निगलते समय दम घुटता हुआ मालूम होता है। अच्छी तरह से साँस नहीं ले सकता, इसलिए रह-रह कर गम्भीर साँस लेना पड़ता है। खाँसी के साथ गला घड़घड़ करता है, मगर कफ नहीं निकलता, फेफड़े से आरा चलने की तरह आवाज आती है। ऐसा मालूम होता है कि मानो धुंआ या गन्धक का भाप वायुपथ (Larynx) में भरा हुआ है।

सांस लेते समय हलक में शीतलता का अनुभव होना, मगर हजामत बनाने के बाद उसकी कमी हो जाना, इसका एक आश्चर्य जनक लक्षण है (हजामत बनाने के बाद वृद्धि, कार्बो-ऐन)।

अण्डकोष की बीमारी – अण्डकोष फूलता है, गरम होता और कड़ा हो जाता है ; बहुत दर्द होता है, जरा सा हिलने डोलने से बड़ी भारी तकलीफ मालूम होती है, मानो प्राण निकल जायेगा।

नींद – सोया-सोया स्वप्न देखता है, चौंक उठता है, जागकर भी काँपा करता है।

योनि – योनि से तेज आवाज के साथ वायु निकलती है।

ब्रोमियम सेवन करते समय दूध पीना मना है।

सम्बन्ध (Relations) – आयोड, स्पंज और कैलि-बाइ के साथ तुलना कर सकते हैं।

वृद्धि (Aggravation) शाम से आधी रात तक, गर्म कमरे के अन्दर।

ह्रास (Amelioration) हरकत करने, चलने और घोड़े की सवारी से, खाने के बाद, ऐमोनिया गैस से।

मात्रा (Dose) – 1 से 3 शक्ति। यह ताजा बननी चाहिए। जल्दी खराब हो जाती है।

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