हैजा (Cholera) का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार – कोलेरा

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हैजा (Cholera) के कारण

यह एक भयंकर रोग है तथा ग्रीष्म ऋतु के अंत में या वर्षा ऋतु के शुरू में फैलता है। यदि इसका इलाज समय रहते नहीं किया जाता है, तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। यह बड़ी तेजी से फैलता है। इसके जीवाणु शरीर में पानी या भोजन के द्वारा प्रवेश करते हैं। यह बासी भोजन, थूक, वमन, मल, कृमि आदि द्वारा फैलता है, अर्थात् गंदे स्थान में रहने, हजम न होने वाली वस्तुएं खाने, अनियमित परिश्रम के बाद पानी पी लेने, अशुद्ध जल, अधिक या फास्ट फूड खाने से यह रोग फैलता है।

हैजा (Cholera) रोग की पहचान

रोगी को उलटी-दस्त लग जाते हैं। दस्त की शक्ल चावल के मांड़ जैसी पतली होती है। रोगी को प्यास अधिक लगती है, पेशाब बंद हो जाता है। रोगी देखते ही देखते कमजोर हो जाता है। आंखें भीतर की ओर धंस जाती हैं, हाथ-पैरों में पीड़ा व अकड़न प्रारंभ हो जाती है। शरीर ठंडा पड़ने लगता है तथा शरीर में पानी की मात्रा बहुत कम हो जाती है।

हैजा (Cholera) का घरेलू उपचार

  • हींग 1 ग्राम, कपूर 1 ग्राम, 2 हरी मिर्चें। तीनों को पीसकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। इसकी 2-2 गोलियां दिन में तीन बार रोगी को ठंडे पानी से निगलवा दें।
  • 20 ग्राम प्याज का रस गुनगुना करके घंटे-घंटे भर बाद थोड़ा-सा नमक डालकर पिलाना चाहिए।
  • आधा गिलास पानी में 5 ग्राम फिटकिरी घोलकर पिलाने से काफी लाभ होता है।
  • सोंठ 2 चम्मच, बेल का गूदा 50 ग्राम और जायफल। तीनों को मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाएं।
  • नीम की थोड़ी-सी पत्तियां पीसकर एक कप पानी में मिलाकर पीने से कालरा के दस्त तथा उल्टियां आनी बंद हो जाती हैं।
  • लहसुन की दो पूतियों को पीसकर नीबू के रस में देने से रोगी को काफी लाभ होता है।
  • आधे कप पानी में चार चम्मच केले का रस मिलाकर तथा थोड़ा-सा नमक डालकर रख लें। इस रस को रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाएं।
  • हैजे में आधा कप पुदीने का रस हर दो घंटे बाद पिलाएं।
  • शरीर में राई का लेप करने से कालरा की ऐंठन रूक जाती है।
  • रोगी को 25 ग्राम प्याज का रस, 1 कप पानी, 1 नीबू का रस, थोड़ा-सा नमक, काली मिर्च, अदरक का रस। सबको मिलाकर दिन में चार-पांच बार पिलाएं।
  • आधा कप गुलाब जल, एक नीबू का रस और थोड़ी-सी शक्कर। तीनों चीजें मिलाकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद कई बार दें।
  • कच्चे नारियल का पानी बार-बार पिलाएं।
  • 10 ग्राम जायफल पीसकर इसे गुड़ में मिला लें। इसकी तीन-तीन माशे की गोलियां बना लें। एक-एक गोली आधा-आधा घंटा बाद दें।
  • एक चम्मच प्याज के रस में दो बूंद अमृतधारा मिलाकर पिलाएं।
  • तुलसी के पत्ते और काली मिर्च पीसकर रोगी को चटनी के रूप में या पानी में घोलकर दें।
  • पानी में कपूर का अर्क मिलाकर कई बार देना चाहिए।
  • हैजे के दस्तों को रोकने के लिए अजवाइन के पत्ते बहुत अच्छी औषधि हैं। अजवाइन के दस पत्तों को पीसकर एक गिलास ठंडे पानी में घोल लें। फिर दो-दो घंटे बाद चार-चार चम्मच घोल पिलाते रहें। इससे हैजे के जीवाणु बहुत जल्दी नष्ट होते हैं।
  • 10 ग्राम छोटी या बड़ी इलायची लेकर एक किलो पानी में अच्छी तरह पकाएं। पानी जब 250 ग्राम रह जाए, तो उसे ठंडा कर लें। यह पानी थोड़ी-थोड़ी देर बाद रोगी को दें।
  • अर्क इलायची और अर्क सौंफ बराबर की मात्रा में लेकर मिला लें। इसे रोगी को पानी की जगह बार-बार पिलाएं। साथ में पुदीने का अर्क, प्याज का रस भी देते रहें। जीरा और चीनी का चूर्ण, छाछ के साथ पिलाते रहें। इससे दस्त लगने रुक जाते हैं।
  • प्याज के रस में पुदीने तथा नीबू का रस बराबर की मात्रा में मिला लें। फिर 10-10 मिनट बाद एक-एक चम्मच रस पिलाते रहें।
  • 250 ग्राम आम के पत्तों को कुचलकर 500 ग्राम पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो उसे छानकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद, कई बार पिलाएं।
  • लाल मिर्च के बीजों को अलग करके, छिलकों को पीसकर चूर्ण बना लें। एक चुटकी चूर्ण शहद के साथ रोगी को बार-बार दें।
  • आक के पेड़ की जड़ या तने की छाल 10 ग्राम, काली मिर्च 10 ग्राम और काला नमक 2 चुटकी। तीनों चीजों को पीसकर एक चुटकी चूर्ण को सौंफ के अर्क के साथ रोगी को दें।
  • पानी में मुनक्के उबालकर खाएं।
  • 10 ग्राम प्याज के रस में 5 ग्राम शहद मिलाकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद दें।
  • अजवाइन का सत्य और पुदीने का अर्क मिलाकर रोगी को कई बार दें। पानी की कमी (डी-हाइड्रेशन) से बचाने के लिए सौंफ का पानी बार-बार दें।

हैजा (Cholera) का आयुर्वेदिक उपचार

  • कपूर 2.5 औंस, पिपरमिंट 1 औंस, रेक्टीफाइड स्प्रिट 12 औंस। इन सभी चीजों को एक बोतल में डालकर अच्छी तरह हिलाएं। जब यह चीजें घुलकर ‘अर्क कपूर’ बन जाएं, तो इसमें से 10-10 बूंदें हर घंटे बाद देते रहें।
  • अपामार्ग (चिरचिटा) की जड़, 4 काली मिर्चें, 4 तुलसी के पत्ते। इन सबको पीसकर तथा पानी में घोलकर इतनी ही मात्रा में बार-बार पिलाएं।
  • पुदीने की पत्तियां 30, काली मिर्चें 4, काला नमक 2 चुटकी, भुनी हुई इलायची 2, इमली पक्की 1 चोई। इन सब चीज़ों में पानी डालकर चटनी बना लें। इस चटनी को बार बार रोगी को चाटने के लिए दें।
  • हींग, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, कपूर, सेंधा नमक। इन सब चीजों को 2-2 माशे की मात्रा में लें। इसकी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। एक खुराक में दो गोलियां दिनभर में तीन-चार बार दें।
  • जायफल, नागरमाथा और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर रोगी को थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाएं।
  • सरसों के तेल में कड़वा कूट तथा तांबा घिसकर रोगी के सारे शरीर में लगाएं। इससे शरीर की ऐंठन दूर हो जाती है।
  • टेसू के फूल 10 ग्राम, कलमी शोरा 10 ग्राम। दोनों को पानी में घिसकर या पीसकर लुगदी बना लें। फिर इसे रोगी के पेड़ू पर लगाएं। यह लेप रोगी के पेड़ पर बार-बार लगाने से दस्त लगने बंद हो जाते हैं।
  • चूहे की मेगनी में थोड़ा-सा कलमी शोरा मिलाकर पानी के साथ पीसकर लुगदी बना लें। इसे रोगी की नाभि के नीचे पेड़ू पर गाढ़ा-गाढ़ा लेप कर दें।
  • मयूर भस्म को शहद के साथ चटाने से रोगी की हैजे की उल्टियां होनी बंद हो जाती हैं।
  • समुद्रीफेन को सोंठ के साथ पीसकर शरीर पर लेप लगाएं।
  • यदि रोगी के शरीर में पानी की कमी मालूम पड़े, तो एक लीटर उबले हुए पानी में आधा चम्मच नमक, आधा चम्मच मीठा सोडा, एक चम्मच चीनी, थोड़ा-सा नीबू का रस मिलाकर कई बार पिलाएं।
  • संजीवनी वटी 1 गोली तीन बार प्याज के रस के साथ तीन बार लें।
  • विसूचिका विध्वंसक रस 125-250 मि. ग्रा. मधु से 2-2 घंटे पर लें।
  • नारायण तैल से मालिश करें व पैरों को गर्म रखें।

हैजा (Cholera) का होम्योपैथिक उपचार

  • पेट में तेज दर्द, बार-बार दस्त, कभी दस्त बंद, रोगी की हालत एकदम बिगड़ जाए, शरीर में खूब पसीना आ जाये, तो बेरेट्रम एल्बम 3x और कोलोसिन्थिस 3x दो-दो घंटे के अंतर से देना चाहिए।
  • यदि दस्त व उल्टियां अधिक होती हों, तो वेरेट्रम ऐल्बम 200 दें।
  • दस्त तथा उलटी अधिक होने लगे, शरीर ठंडा पड़ जाए, नाड़ी लोप, हैजे की पतनावस्था हो, तो कार्बोवेज पर्याय क्रम से दें।
  • रोगी अचेतावस्था में हो जाए, बोलने में कठिनाई, शरीर बर्फ की तरह ठंडा, झुर्रियां दिखाई दें, नाड़ी लोप आदि के लक्षणों में ब्रायोनिया 30x दें।
  • बदबूदार दस्त, पेट में गड़बड़, बेचैनी, छटपटाहट, रोना, कभी ज्वर होना तथा कभी न रहना। इस हालत में रसटाक्स बहुत लाभदायक है।
  • आंखों में लाली का बढ़ जाना, पुतलियों का बड़ी हो जाना, पलकें नहीं गिरतीं, पेशाब का रुकना, अनजाने में पेशाब निकल जाना, पानी पीने की बार-बार इच्छा, जीभ का सूखना आदि लक्षणों में हायोसायमस 30 दें।
  • यदि बच्चों में कालरा की शिकायत हो, तो कैलिबोमेटम-6 दें।

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