कॉक्सिनेला इण्डिका [ Coccinella Indica Homeopathy In Hindi ]

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[ Lady bug : गुबरैला का टिंचर ] – साधारणतः सब तरह का स्नायुशूल का दर्द ( neuralgia ), दाँत का दर्द – जिसमे मुँह, दाँत और मसूढ़े में बहुत ठण्डक मालूम होती है, मुँह में इतना लार जमा हो जाता है कि मुँह भर जाता है, इन लक्षणों में इस दवा से बहुत फायदा होता है। जलांतक ( hydrophobia ) रोग, जिसमे रोगी शीशा या कोई चमकीला पदार्थ देखकर डरता है और पागल जैसा हो जाता है, और दाहिनी आँख के ऊपरी हिस्से में तथा कनपटी और माथे के पिछले भाग में दर्द हो तो इससे लाभ होता है।

कॉक्सिनेला – ऊपर बताई हुई कई तरह की बीमारियों में तो फायदा करती ही है, साथ ही हूपिंग-खाँसी या उसके समान अन्य किसी भी प्रकार की आक्षेपिक खाँसी में जिनमे खाँसी की तेजी घटते ही मुंह से अण्डे के लासे के समान चमकीला लार डोरी की तरह लम्बा होकर निकलता है, उसमे यह दवा बहुत ज्यादा और जल्द फायदा करती है, आक्षेपिक दमा में भी इससे खाँसी और श्वासकष्ट घटता है।

हिचकी – हिचकी के साथ पाकस्थली की जलन में इसका सबसे पहले प्रयोग करें।

दर्द – किसी भी बीमारी में गुर्दे और कमर में दर्द हो तो इससे लाभ होता है।

दांत निकलने के समय – स्नायु की उत्तेजना की वजह से बच्चा अगर बहुत बेचैन रहे और रात में सो न सके या किसी अन्य स्नायविक बीमारी में औंघाई का भाव रहे, किन्तु किसी तरह भी अच्छे से सो नहीं सके तो – कॉक्सिनेला का प्रयोग करना चाहिए।

सदृश – आर्सेनिक, कैमोमिला, नेफ्थलाइन इत्यादि।

क्रम – Q और 30 शक्ति।

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