दमा का 50 रामबाण घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार – अस्थमा का सफल उपचार

869

दमा रोग के कारण

यह श्वास संस्थान का एक भयंकर रोग है। इसमें सांस नली में सूजन या उसमें कफ जमा हो जाने कारण सांस लेने में बहुत कठिनाई होती है। इसका दौरा प्राय: सुबह के समय पड़ता है। यह एक एलर्जिक तथा जटिल बीमारी है, जो ज्यादातर श्वास नलिका में धूल के कण चले जाने के कारण या श्वास नली में ठंड लग जाने के कारण होती है।

दमा रोग के लक्षण

इस बीमारी में खांसी उठती है, सांस फूलने लगती है और श्वास-क्रिया में कठिनाई हो जाती है। जाड़े के मौसम में पानी में भीगने या ठंड लग जाने के कारण इसका दौरा तेज पड़ता है। दौरा पड़ते समय सांस लेने में बड़ी कठिनाई होती है। कभी-कभी भय, तनाव तथा सोचने के कारण यह बीमारी और अधिक बढ़ जाती है। बेचैनी बढ़ने के कारण रोगी अपने हाथ-पांव पटकने लगता है।

दमा रोग के घरेलू उपचार

  • नीम के तेल की दस-बारह बूंदें पान पर लगाकर खाने से दमा के रोगी को फायदा पहुंचता है।
  • दौरा पड़ने पर सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर छाती पर धीरे-धीरे मलें। इससे रोगी को शांति मिलेगी।
  • पीपल, काली मिर्च, सोंठ तथा चीनी। सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। उसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह, दोपहर और शाम के समय गर्म पानी से सेवन करें।
  • दमा के पुराने रोगी को फिटकिरी (फूली हुई) 10 ग्राम और मिसरी 10 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें से चुटकी भर चूर्ण सुबह और उतना ही शाम को गुनगुने पानी से लें।
  • लहसुन, तुलसी की पत्तियां और गुड़ को लेकर चटनी बना लें। इसमें से दो चने के बराबर मात्रा की चटनी गर्म पानी के साथ सेवन करें।
  • 10 ग्राम आक की कोंपलें, 10 ग्राम देसी अजवाइन और 50 ग्राम गुड़। इन सबको कूट-पीसकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली गर्म पानी से लें।
  • अनार के छिलकों को धूप में सुखाकर पीस लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
  • अडुसा के ताजे पत्तों का एक चम्मच रस शहद के साथ सेवन करें। यह पुरानी खांसी, दमा आदि की प्रसिद्ध घरेलू दवा है।
  • मुलेठी, सोंठ और भूरी गरी। सब बराबर मात्रा में लेकर एक कप पानी में उबालें। पानी जब आधा रह जाए, तो शक्कर डालकर पी जाएं। यह काढ़ा सुबह-शाम दोनों समय पिएं।
  • काली मिर्च 10 ग्राम, पीपल 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, हरी इलायची 10 ग्राम, तेजपात 5 ग्राम। सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें 50 ग्राम गुड़ मिलाएं। इसकी चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखा लें। प्रतिदिन दो-दो गोली सुबह-शाम चूसें।
  • बड़ी पीपल, आक की कोपलें, सेंधा नमक। तीनों को बराबर की मात्रा में पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से दो चुटकी चूर्ण या चटनी गर्म पानी के साथ सेवन करें।
  • शहद, बासा (अडूसा) और अदरक का रस, प्रत्येक पांच-पांच ग्राम की मात्रा में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। एक माह तक निरंतर इसके सेवन से दमा रोग जाता रहता है।
  • सांस के रोगी को धनिए की पत्तियों के रस में सेंधा नमक मिलाकर दें।
  • आम की गुठली को फोड़कर उसकी गिरी निकाल लें। उसे सुखाकर पीस लें। इस चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा शहद के साथ चाटें।
  • अनार के फूल 10 ग्राम, कत्था 10 ग्राम, कपूर 2 ग्राम और लौंगे 4 नग। सबको 10 ग्राम पान के रस में घोंटकर चने के बराबर की गोलियां बना लें। दो-दो गोली सुबह-शाम चूसें।
  • लहसुन के एक जवे को भूनकर सेंधा नमक के साथ चबा कर खाएं।
  • 10 बूंद लहसुन का रस, एक चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
  • बड़ी पीपल 4 ग्राम, काकड़ासींगी 6 ग्राम, लौंग 5 नग। सबको पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें।
  • भुनी हुई अलसी 5 ग्राम तथा 10 ग्राम काली मिर्च। दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का सेवन सुबह-शाम शहद के साथ करें।
  • मुलेठी 50 ग्राम, सनाय 20 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम। तीनों को कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें। आधा चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में तीन बार सेवन करें।
  • बेर के पत्ते 10-15 और जायफल के 8-10 पत्ते, इन्हें आधा कप पानी में उबालकर तथा छानकर पिएं।
  • सफेद प्याज के रस में थोड़ा-सा शहद मिलाकर चाटें।
  • तुलसी व अदरक का रस 5-5 ग्राम लेकर शहद के साथ सुबह-शाम चाटें।
  • यदि कफ अधिक मात्रा में आता है, तो खाली पेट तीन अंजीर प्रतिदिन खानी चाहिए।
  • लौंग तथा काली मिर्च का चूर्ण बराबर की मात्रा में लेकर त्रिफला तथा बबूल के रस (काढ़ा) में घोलकर प्रतिदिन दो चम्मच सेवन करना चाहिए।
  • हरसिंगार के पौधे की छाल का 2 चुटकी चूर्ण पान में रखकर सेवन करें।
  • दमा के रोगी को गर्म पानी में नीबू निचोड़ कर दें तथा दो चम्मच शहद और एक चम्मच अदरक का रस पिलाएं।
  • 10 ग्राम मुलेठी का पाउडर 25 ग्राम पानी में उबालकर, छानकर, उसमें घी, मिसरी तथा सेंधा नमक मिलाकर पिलाएं। इससे सीने पर जमा हुआ कफ़ बाहर निकल आएगा।
  • 2 इलायची, 4 पिण्ड खजूर तथा 2 चम्मच शहद। तीनों को खरल में घोंटकर सेवन करें।
  • पीपल के फलों को सुखाकर चूर्ण बना लें। उसमें से दो चुटकी चूर्ण शहद के साथ सेवन करें।
  • गर्म पानी में आधा चम्मच लहसुन का रस मिलाकर पीने से काफी राहत मिलती है।
  • दमा तथा श्वास की बीमारी में एक कप पालक के रस में सेंधा नमक मिलाकर सेवन करें।
  • कुलथी को उबालकर उसका रस सेवन करें।
  • शलगम, गाजर, पत्तागोभी तथा सेम की फली का रस। ये सभी रस आधे आधे कप की मात्रा में मिलाकर जरा-सा सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
  • 10 ग्राम मुलेठी का चूर्ण, 5 ग्राम काली मिर्च, एक गांठ अदरक को पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर, छानकर पिएं।
  • एक चम्मच करेले का रस लेकर उसमें चुटकी भर सेंधा नमक डालकर सेवन करें।
  • एक कप शलगम का रस लेकर गर्म करें। फिर उसमें थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर सेवन करें।
  • थोड़ी-सी मेथी पानी में उबालकर उसका रस निकालकर सेवन करें।
  • आक (अकौआ) की दो कलियों को लेकर उसमें थोड़ी-सी काली मिर्च का चूर्ण मिलाएं। फिर उसे शहद के साथ सेवन करें।
  • पतले दूध में दो पीपल डालकर पिएं।
  • हलदी को तवे पर भूनकर शहद के साथ चाटें।

दमा रोग के आयुर्वेदिक उपचार

  • दशमूल, कचूर, रास्ना, पीपल, सोंठ, पुष्कर मूल, भारंगी, काकड़ासींगी, गिलोय, चित्रक। ये सब जड़ी बूटियां बराबर की मात्रा में लेकर दो कप पानी में पकाएं। जब पानी आधा कप बचा रह जाये, तो काढ़े को छानकर पियें।
  • हल्दी, काली मिर्च, किशमिश, पीपल, रास्ना, कचूर। सबको 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर बारीक पीस लें। फिर इनको थोड़े से गुड़ में मिलाकर बेर के बराबर की गोलियां बना लें। रोज 2-2 गोली सुबह और शाम को सेवन करें।
  • काकड़ासींगी, सोंठ, पीपल, नागरमोथा, कचूर, काली मिर्च। सबको 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से दो चुटकी चूर्ण नित्य शहद के साथ सेवन करें।
  • पीपल, पुष्कर मूल, हरड़ की छाल, सोंठ, कचूर, कमलगट्टा। इन सबको बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से दो चुटकी चूर्ण पानी के साथ सेवन करें।
  • बेल-पत्रों का स्वरस, अडूसे के पत्तों का स्वरस तथा सरसों का तेल। इन सबको 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर लगभग एक सप्ताह तक सेवन करें।
  • पीपल तथा पोहकरमूल, दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से दो चुटकी चूर्ण प्रतिदिन शहद के साथ सेवन करें।
  • मदार की जड़ 10 ग्राम, अजवाइन 10 ग्राम, गुड़ 20 ग्राम। इन सबको मिलाकर छोटे बेर के बराबर की गोलियां बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम एक-एक गोली का सेवन करें।
  • कायफल, सोंठ, पोहकर मूल, काकड़ासींगी, भारंगी तथा छोटी पीपल। इनको बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण नित्य सुबह-शाम शहद के साथ चाटें।
  • 20 मि.ली. दशमूल क्वाथ में पुष्कर मूल चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में मिलाकर लें।
  • भारंगी गुड़ श्वास रोग की उत्तम औषधि है, धमासे के क्वाथ में गुड़ मिलाकर पीने से श्वास की हर तरह की पीड़ा और बेचैनी दूर होती है।
  • मनःशिला को मौलसिरी के पत्तों के रस की 7 भावना देकर 50-200 मि.ग्रा. की मात्रा में दो बार रोज 21 दिन तक दें।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें