Diarrhoea Treatment In Hindi – दस्त लगना

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बार-बार और जल्दी-जल्दी पतला शौच आने को ही दस्त लगना कहते हैं । इसमें पेट-दर्द, गैस बनना, कमजोरी आ जाना आदि लक्षण रहते हैं। अगर यह रोग अधिक समय तक बना रहे तो शरीर में पानी की कमी हो होते जाना आदि लक्षण और उत्पन्न हो जाते हैं । दस्त मुख्यतः मीठे व तले पदार्थ ज्यादा खाने, अशुद्ध पानी पीने, जरूरत से बहुत ज्यादा खाने, मौसम में परिवर्तन होने पर भी अपना खान-पान संयमित न करने, पेट में कीड़े, कब्ज, दस्तावर औषधियाँ ज्यादा प्रयोग करने के कारण हो जाते हैं ।

दस्तों की प्रारम्भिक अवस्था में- एकोनाइट 30- दिन में तीन-चार बार यह दवा देनी चाहिये । बच्चों को इसकी निम्नशक्ति 6 या 12 दें । यदि इससे भी दस्त बन्द न हों तो फिर अन्य दवाओं का निर्वाचन लक्षणों के अनुसार करना चाहिये ।

उल्टी के साथ दस्त होने पर- इपिकाक 200- यदि उल्टी के साथ दस्त हो रहे हों तो इस दवा की छः गोलियाँ एक कप स्वच्छ जल में डाल दें । उस पानी की घोलकर उसकी एक-एक चम्मच रोगी को बार-बार पिलाते रहने से उल्टी व दस्त- दोनों ठीक हो जाते हैं । निम्नशक्ति में देने से प्रायः उल्टी की शिकायत बढ़ सकती है । पाँच वर्ष से नीचे के बच्चों को 30 शक्ति की दवा इसी प्रकार देनी चाहिये ।

बहुत ज्यादा पानी जैसा दस्त- एलो सॉकोट्राइना 30- परिमाण में अधिक तथा पानी जैसे दस्त बार-बार होने पर यह दवा देनी चाहिये । ऐसी स्थिति के दस्तों में एण्टिम क्रूड भी दी जा सकती है ।

बच्चों के दस्तों पर- कैमोमिला 12, 30- ऐसे बच्चे जो दाँत निकलते वक्त चिड़चिड़े हो जाते हैं, उनके दस्तों पर यह दवा देनी चाहिये । यदि दाँतों की वजह से दस्त हो रहे हों तो बायोकैमिक दवा कल्केरिया फॉस 12x और कल्केरिया फ्लोर 12x मिलाकर दो-दो गोलियाँ प्रतिदिन तीन बार देने से भी लाभ होता हैं |

बच्चों के दस्त जिसमें बदबू हो- रियूम 12, 30– बच्चों के ऐसे दस्त जिसमें पतला दस्त हो व दस्तों में खट्टी बदबू आये तो ऐसी स्थिति में यह दवा देनी चाहिये ।

पानी जैसे दस्त जो अपच के कारण हों- चायना 30- पानी जैसा दस्त जो अपच के कारण हो, पित्त भरे दस्त बार-बार हों व बदबूदार हों तो यह दवा देनी चाहिये । रोगी को अत्यधिक कमजोरी महसूस हो तो इसे अवश्य दें क्योंकि शरीर से रस-स्राव अधिक मात्रा में निकल जाने से कमजोरी आ जाती है और ऐसी स्थिति में लाभप्रद है ।

पानी की तरह गड़गड़ाहट के साथ बदबूदार दस्त- पीडोफाइलम 30 – पानी की तरह अत्यधिक दस्तों पर, जो बदबूदार हों व पेट में गड़गड़ाहट हो तो यह दवा देनी चाहिये । प्रायः पानी की तरह के दस्त या अन्य दस्तों में इस दवा की 30 शक्ति से आराम हो जाता है परन्तु जब आराम न हो तो इस दवा की 200 या 1M शक्ति की छः गोलियाँ एक कप पानी में डालकर उस पानी को एक-दो चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार देने से दस्तों में आराम होने लगता है, यह मेरा अनुभव है ।

केवल दिन में दस्त- पेट्रोलियम 30, 200- ऐसे रोगी जिन्हें केवल दिन में दस्त लगते हों तथा दस्तों में पीला पानी जैसा निकले, इसके साथ यदाकदा मलद्वार में खुजली आदि की शिकायत भी हो तो उन्हें यह दवा देनी चाहिये।

सबेरे के वक्त दस्त- सल्फर 30, 200- ऐसे भी कई रोगी होते हैं जिन्हें केवल सुबह ही दस्त लगते हैं या उठते ही पाखाने को भागना पड़ता है तो ऐसे मरीजों को यह दवा देनी चाहिये ।

दस्तों के साथ खून आना-नक्सवोमिका 30- दस्तों के साथ खून आने पर यह दवा लाभ करती है। इसमें रोगी को पेट में मरोड़ का भी अनुभव हो सकता है पर यह मरोड़ शौच हो जाने के बाद कुछ समय के लिये हट जाती है और फिर शुरू हो जाती है। अगर नशा करने के कारण, विशेषकर शराब पीने के कारण, दस्त हुये हों तो यह दवा अचूक लाभ करती है ।

उल्टा-सीधा खाने के कारण दस्त- मर्कसॉल 200, 1M- अगर किसी उत्सव या पार्टी में आयोजित दावत में कुछ उल्टा-सीधा खा लेने अथवा यात्रा चाहिये। इन्हीं लक्षणों के लिये यह दवा प्रतिषेधक दवा के रूप में भी काम करती है, अनेक चिकित्सकों का यही अनुभव है ।

बरसाती मौसम में फल आदि खाने से दस्त-नैट्रम सल्फ 30- यदि बरसाती मौसम में फल आदि अथवा हरी सब्जी खाने के कारण दस्त होने लगे हों तो यह दवा देनी चाहिये। यह दवा प्रायः समस्त बरसाती उद्भेदों की प्रतिषेधक दवा के रूप में भी काम करती है ।

सभी प्रकार के दस्तों में- ओ० आर० एस०- दस्त होने से रोगी के शरीर में पानी की कमी होने लगती है और उसे बेहद कमजोरी हो जाती है । ऐसी स्थिति के लिये भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से ‘ओ० आर० एस०’ नाम का पाउडर निर्मित किया गया है । यह पाउडर पाउच में आता हैं जो सर्वत्र बाजारों में उपलब्ध है । इस पाउडर को पानी में घोलकर चम्मच द्वारा पिलाना चाहिये | इससे रोगी के शरीर में आवश्यक तत्वों की पूर्ति हो जाती है, शक्ति आती है और रोगी को लाभ प्रतीत होता है। अगर यह पाउडर न मिले तो- आधा लीटर पानीं आग पर गरम कर लें । फिर आग से उतारकर ठंडा होने दें । जब पानी ठंडा हो जाये तो इसमें एक चुटकी नमक और एक छोटी चम्मच चीनी (शक्कर) घोलकर रोगी को चम्मच द्वारा धीरे-धीरे पिलायें- आराम मिलेगा |

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