अमोनिकम डोरेमा, गम अमोनिकम ( Dorema Ammoniacum, Gum Ammoniacum In Hindi )

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यह औषधि बूढ़े तथा दुर्बल व्यक्तियों के लिये उत्तम है। इसका रोगी बदमिजाज और ठण्ड के प्रति सम्वेदनशील होता है, वह अपनी गर्दन और ग्रासनली में जलन और खुरचन सी महसूस करता है। पुरानी खांसी (chronic bronchitis) में यह विशेष उपयोगी है।

फेफड़ों में बहुत ज्यादा मात्रा में पीब जैसा बलगम इकट्ठा होना, किन्तु खांसने पर थोड़ी ही बलगम निकलना। रोगी सो नहीं सकता। दमा में खांसी कभी ढीली, कभी गाढ़ी गोंद जैसी बलगम बार-बार बहार निकालने की चेष्टा, किन्तु सहज में न निकलना।

श्वास संस्थान – रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, इसका रोग ठन्डे मौसम में अधिक बढ़ता है। श्वासनलियों का पुराना प्रतिश्याय (chronic bronchitis catarrh) इसका बलगम गाढ़ा, चिपचिपा और कठोर होता है। हृदय की धड़कन तेज हो जाती है, जो उदरगर्त तक फैल जाती है, बूढ़े लोगों के वक्ष में खुरदरी घड़घड़ाहट होती है।

सिर – नजले में नाक के अगले विवर (frontal sinuses) बन्द हो जाते हैं, जिसके कारण रोगी के सिर में दर्द होता है।

आँख – रोगी को धुंधला नजर आता है। आंखों के आगे तारे और चिनगारियां तैरती नजर आती हैं। रोगी को पढ़ते-पढ़ते थकान होने लगती है।

कण्ठ – रोगी का गला सूखा रहता है, सांस के साथ ताजी हवा के अन्दर आने से रोग को वृद्धि होती है। रोगी को ऐसा लगता है जैसे उसका गला पूर्णतया भरा हुआ है और उसमें जलन तथा छिल जाने जैसी अनूभूति होती है। खाना खाने के बाद रोगी को लगता है जैसे कोई चीज गले में अटकी हुई है, जिसे निगलने की वह लगातार कोशिश करता है।

सम्बन्ध – ब्रायो, आर्निका।

सेनेगा, टाटार-इमेंटि, बालसम पेरु से तुलना कीजिए।

मात्रा – तीसरी शक्ति का विचूर्ण (third trituration)

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