Eczema Homeopathic Treatment In Hindi – एक्जिमा का इलाज, कील मुँहासे

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एक्जीमा, कार्न, कील-मुहांसे, झाइयां आदि त्वचा के सामान्य रोग हैं। होमियोपैथिक फिलॉसफी के कारण यह रोग सोरा दोष के कारण होते हैं। यदि मनुष्य की प्रकृति में ‘सोरा’ दोष के तत्त्व नहीं होंगे, तो एक्जीमा होगा ही नहीं। वास्तव में ‘सोरा’ हमारी भौतिकवादी प्रवृत्ति एवं मानसिक और वैचारिक विषाक्तता का ही परिणाम है। वैसे भी ‘सोरा’ शब्द का उदभव ‘सोरेट’ से हुआ है जिसका हिंदी रूपान्तर ‘खुजली’ होता है।

एक्जीमा : इसे हिन्दी में अकौता, छाजन और पासा कहते हैं। यह रोग ज्यादातर पैर के टखनों के पास या पिण्डलियों में, जोड़ों में, कान के पीछे गर्दन पर, हाथों में और जननांग प्रदेश में होता पाया जाता है। वैसे, यह शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इस रोग में तीव्र खुजली होती है। जननांग प्रदेश में इस रोग का होना सबसे ज्यादा कष्टदायक होता है।

एक्जिमा के कारण

यह रोग अनुचित आहार-विहार करने, अजीर्ण बने रहने, मांसाहार करने, डायबिटीज रोग होने और त्वचा को ज्यादा रगड़ लगने आदि कारणों से भी होता है।

• होमियोपैथिक फिलॉसफी के अनुसार ‘सोरा’ दोष का होना आवश्यक है।

• जीवाणुओं, फफूंद एवं परजीवी (जैसे साटकोप्ट्स-स्केबियाई) आदि सूक्षम जीवों द्वारा भी यह रोग होता है।

प्रकार

एक्जीमा मुख्यतः तीन प्रकार का होता है –
• सूखा एक्जीमा
• गीला यानी बहने वाला एक्जीमा
• स्थान विशेष पर होने वाला एक्जीमा

एक्जिमा के लक्षण एवं उपचार

सूखा एक्जीमा – सूखा एक्जीमा होने पर निम्नलिखित औषधियों में से,जिस औषधि के सर्वाधिक लक्षण रोगी में पाए जाएं, उस औषधि का सेवन रोगी को करना चाहिए।

एलुमिना : त्वचा का बेहद खुश्क, रूखा, सूखा और सख्त हो जाना, दरारें पड़ जाना और बेहद तेज खुजली होना और खुजाने पर फुसियां उठ आना विशेष लक्षण है। कब्ज रहना, बिस्तर में पहुंचकर गरमाई मिलने के बाद अत्यधिक खुजलाहट, सुबह उठने पर और गर्मी से परेशानी बढ़ना और खुली हवा में एवं ठंडे पानी से आराम मिलना आदि लक्षणों के आधार पर उक्त दवा 30 एवं 200 शक्ति में अत्यंत कारगर है।

रसवेनेनेटा : किसी भी प्रकार का खुश्क एक्जीमा, जिसमें त्वचा पर दाने की पुंसियां हों और तेज खुजली होती हो ,श्रेष्ठ दवा है। रात में अधिक खुजली, गर्म पानी से धोने पर आराम मिलना, त्वचा में लाली, त्वचा की ऊपरी सतह (एपिडर्मिस) में ‘वेसाइकिल’ बन जाना आदि लक्षणों के आधार पर 200 एवं 1000 शक्ति की दवा की दो-तीन खुराकें ही पर्याप्त होती हैं।

कैल्केरिया सल्फ : यह बच्चों के खुश्क एक्जीमा की उत्तम औषधिहै। सिर पर छोटी-छोटी पुंसियां हो जाएं, जिन्हें खुजाने पर खून निकलने लगे, मुख्य लक्षण हैं। 3 × से 12 x शक्ति की दवा फायदेमंद रहती है।

सल्फर : रोगी मैला और गंदा हो, शरीर से दुर्गध आती हो, फिर भी अपने को राजा महसूस करें, रोगी शरीर में गर्मी का अनुभव करता हो, पैरों में जलन होती हो, मीठा खाने की प्रबल इच्छा, अत्यधिक खुजली, किन्तु खुजाने पर आराम मिलता है और अधिक खुजाने पर खून निकलने लगे, बिस्तर की गर्मी से परेशानी बढ़ना, खड़े रहना दुष्कर, सुबह के वक्त अधिक परेशानी, किन्तु सूखे एवं गर्म मौसम में बेहतर महसूस करें। इन लक्षणों के आधार पर ‘सल्फर’ की 30 एवं 200 शक्ति की दवा की एक-दो खुराक ही चमत्कारिक असर दिखाती हैं। इस दवा के रोगी की एक अन्य विशेषता यह है कि शरीर के सारे छिद्र-यथा नाक, कान, गुदा अत्यधिक लाल रहते हैं, अत्यधिक खुजली एवं जलन रहती है। साथ ही पहले कभी एक्जीमा वगैरह होने पर अंग्रेजी दवाओं के लेप से उन्हें ठीक कर लेना और उसके बाद कोई अंदरूनी परेशानी लगातार महसूस करते रहना इसका मुख्य लक्षण है।

गीला एक्जीमा (वीपिंग एक्जीमा) –

ग्रेफाइटिस : गीले एक्जीमा को ठीक करने के लिए यह दवा बहुत कारगर रही है। अस्वस्थ त्वचा, जरा-से घाव से मवाद का स्राव, गाढ़ा, शहद जैसा मवाद, गर्मी में तथा रात के समय कष्ट बढ़ना, रगड़ने से दर्द होना, ग्रंथियों की सूजन, त्वचा अत्यंत खुश्क, खुश्की की वजह से स्तनों पर, हाथ-पैरों पर, गर्दन की त्वचा में दरारें पड़ जाना आदि लक्षणों के मिलने पर 30 शक्ति में एवं रोग अधिक पुराना हो, तो 200 शक्ति में अत्यंत लाभप्रद है।

स्थान विशेष का एक्जीमा –

पेट्रोलियम : स्थान विशेष पर बार-बार एक्जीमा हो, गीला, जलन, रात में अधिक खुजली, जरा-सी खरोंच लगने के बाद मवाद पड़ जाना, लाली, माथे पर, कानों के पीछे, अण्डकोषों की त्वचा पर, गुदा पर, हाथ-पैरों पर इस प्रकार का एक्जीमा होना एवं मुख्य बात यह है कि एक्जीमा के लक्षण जाड़े के मौसम में ही प्रकट होते हैं। सिर्फ इसी लक्षण के आधार पर ‘पेट्रोलियम’ 200 शक्ति में दी जाए, तो मरीज दो-तीन खुराक खाने के बाद ही ठीक हो जाता है।

मेजेरियम : यह सिर के एक्जीमा की खास औषधि है। सिर पर, हाथों पर, पैरों पर पपड़ी जमे एवं उसके नीचे से बदबूदार मवाद निकले, जिसमें कृमि हों, सिर पर बालों के गुच्छे बन जाएं, ‘वेसाइकिल’ बन जाएं, हड्डियां भी प्रभावित हों, छूने से एवं रात्रि में अधिक दर्द एवं खुजली, जलन, खुली हवा में आराम मिलने पर उक्त दवा की 5-6 खुराक 30 अथवा 200 शक्ति में फायदेमंद रहती है।

गोखरू या गट्टा (कार्न)

गोखरू की दवा

एण्टिमकूड : इस दवा का विशेष प्रभाव पैर के तलुओं पर होने वाले गोखरू या गट्टों पर पड़ता है। ज्यादातर गोखरू पैर के तलुओं में ही होते भी हैं। एण्टिमक्रूड इसकी श्रेष्ठ दवा है। साथ ही ‘रेन नकुलसबल्व’ उसे 30 शक्ति में लेनी चाहिए।

कील- मुहांसे : किशोरावस्था के अंत में और नवयुवावस्था के प्रारम्भ में शरीर में हारमोनल चेंज होता है, यौनांगों का विकास होता है, मन में यौन संबंधी भावना या उतेजना का अनुभव शुरू होता है। साथ ही पेट साफ न रहना, कब्ज रहना, शरीर की प्रकृति उष्ण होना, तले एवं खट्टे पदार्थों का अधिक सेवन आदि कारणों से चेहरे पर कील-मुहांसे निकलने लगते हैं। उचित दवा के चुनाव हेतु लक्षणों की समानता आवश्यक है।

कील मुँहासे का होमियोपैथिक उपचार

• जो मुहांसे छूने से दुखते हों और सारे चेहरे पर निकलते हों, जिनमें कील रहती हो, उनके लिए ‘हिपर सल्फ’ 200 शक्ति की दवा सप्ताह में एक बार तीन खुराक एवं अगले दिन में ‘गन पाउडर’ दवा 3 × से 12 x तक शक्ति में लेनी चाहिए।

• जिनके मुहांसे पुराने हों, उनके लिए ‘कालीब्रोम’ 30 शक्ति में युवक एवं युवतियों – दोनों के लिए उपयोगी है। साथ ही ‘पिकरिक एसिड’ 30 शक्ति में एवं ‘कैल्केरिया फॉस’ 30 शक्ति में कारगर है।

• जो मुहांसे कड़े व गांठदार होते हैं, उनके लिए ‘कार्बो एनीमेलिस’ दवा 30 शक्ति में अधिक कारगर है।

• युवतियों के चेहरे पर लाल रंग के मुहांसे हो जाते हैं। इसके लिए ‘कैल्केरियाफॉस’ 30 शक्ति में एक दिन छोड़कर तीन-तीन खुराक लेने पर फायदा मिलता है।

• जिन युवतियों को मासिक ऋतु स्राव कम होता हो, उनके लिए ‘पल्सेटिला’ दवा 30 शक्ति में उत्तम असरकारक है।

• साथ ही ‘बरबेरिस एक्विफोलियम’ दवा का मूल अर्क 5-5 बूंद दो चम्मच पानी में घोलकर सुबह-शाम पीने एवं इसे ही मुहांसों पर लगाने से (रूई से भिगोकर), मुहांसे ठीक होते हैं, त्वचा का रंग गोरा होता है और चेहरा सुन्दर रहता है।

• लाल दाने कड़े हो गये हों तो रेडियम ब्रोमाइड-30 लेनी चाहिए।

• पुराने, क्रमबद्ध मुंहासों को हटाने के लिए अर्निका 200 लें।

• यदि मुंहासों के दाग पड़ गए हों, तो उष्ण प्रकृति के बच्चों के लिए ‘एसिड फ्लोर’ 200 शक्ति में एवं शीतल प्रकृति वालों के लिए ‘साइलेशिया’ 200 शक्ति में कुछ खुराक लेना ही असरकारक है।

झाइयां का होमियोपैथिक इलाज

कुछ स्त्री-पुरुषों की नाक की नोक पर व आंखों के नीचे झाइयों पड़ जाती हैं। ऐसा प्राय: रक्ताल्पता, पेट व लिवर में खराबी और गर्भाशय में दोष होने के कारण होता है। इसके लिए ‘सीपिया’ दवा 200 शक्ति में दो-तीन खुराक हर तीसरे दिन लेनी चाहिए। गर्भाशय में दोष हो, तो ‘एक्टिया रेसीमोसा’ 200 शक्ति में हर तीसरे दिन लेनी चाहिए। ‘फेरमफॉस’ 6 x एवं ‘काली सल्फ’ 6 x की 6-6 गोलियां सुबह-शाम खाएं एवं इन्हें ही पीसकर चेहरे पर लगाएं व थोड़ी देर बाद धोएं पाचन-क्रिया को ठीक रखें खान-पान का विशेष खयाल रखें।

• गर्मियों में बच्चों के फोड़े-पुंसियां बहुत निकलते हों, तो गर्मियां प्रारम्भ होने से कुछ पूर्व ही ‘साइलेशिया’ औषधि 200 शक्ति में सप्ताह में एक बार तीन खुराक खिलाना पर्याप्त रहता है। साथ ही ‘कालीबाई’ औषधि 30 शक्ति में खिलानी चाहिए। पंद्रह दिन से एक माह तक औषधि सेवन करने से आशातीत लाभ मिलता है।

लाभदायक होमियोपैथिक टिप्स

• पलकों का प्रदाह, सूजन, पलक पर अंजनी एवं उसमें मवाद हो तो – हिपर सल्फ

• नाक की हड्डी का घाव, मुंह के घाव के लिए उपयोगी – हाइड्रेस्टिस

• नाक में घाव, घाव हड्डी तक चला जाना, हड्डी में छेद हो जाना – ओरम मेट

•. युस्टेकियन ट्यूब में पुराना मवाद, मध्य कान में गांठे, सर-सर जैसी आवाज सुनना एवं किसी कारण से बहरा हो जाने की स्थिति में – आयोडियम

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4 Comments
  1. Shailendra Upadhyay says

    Ghutne ki dard ka koi dawa bataye

    1. Dr G.P.Singh says

      You have not written about yourself ie. your ht. your colour. you please write special character of your disease (ie. how pain starts, what about ascending stairs, What about descending from stair) etc. You may start your treatment with Sulpher 1M 7 days interval and Calcaria Carb 30 daily . Either You may write in details about your disease or try to meet with doctor at Patna.

  2. Ajay Sisodia says

    Can homeopathy cure the disease cancer ?
    Please answer by mail or call –
    Regards- Ajay Sisodia.
    Mo- 8474938562

    1. Dr G.P.Singh says

      Yes if treated systematically.

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