गठिया (Arthritis) का घरेलू इलाज, कारण, लक्षण

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गठिया का कारण – रक्त में यूरिक एसिड नामक पदार्थ पैदा होकर गांठों में जमा हो जाता है और फिर यही दर्द का मूल कारण बन जाता है।

लक्षण – प्राय: यह रोग अधिक उम्र वालों को होता है। शरीर के जोड़ों में दर्द का होना, सूजन आ जाना तथा बुखार व बेचैनी बने रहना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं।

गठिया का घरेलू उपचार निम्न हैं –

Home Remedies for Arthritis in Hindi

– सरसों के तेल में सेंधा नमक मिलाकर गठिया के दर्द वाले स्थान पर मालिश करने से लाभ होता है।

– पीपल के छाल के काढ़े में शहद मिलाकर पीने से गठिया रोग में आराम मिलता है।

– बरगद के मोटे पत्तों को चिकनी तरफ गरम किया हुआ तिल का तेल चुपड़कर गरम-गरम ही गठिया वाले स्थान पर बांध दें। दो चार माह नियमित करने से गठिया रोग जाता रहेगा।

– कपूर 100 ग्राम, तिल का तेल 400 ग्राम – दोनों को शीशी में भरकर दृढ़ कार्क लगाकर धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएं मिल जायें तो गठिया दर्द के स्थान पर मालिश करें।

– गर्म पानी में दस ग्राम शहद घोल लें। इसमें पांच बूंदें कागजी नींबू की मिलाकर पी लें। गठिया वाले रोगी को शहद का भरपूर सेवन करना चाहिए।

– आधा किलो बथुए का रस 20 ग्राम की मात्रा में रोगी को पिलाते रहें। थोड़ी देर बाद दो बड़े-बड़े लाल टमाटर काटकर सेंधा नमक और कालीमिर्च बुरककर खिलायें। बथुए का रस निकालने के बाद बथुए को आटे में गूंध कर रोटी बनाकर रोगी को खिलाएं।

– सोंठ और गिलोय को बराबर भाग लेकर मोटा-मोटा सा कूट लें और दो कप पानी में डालकर उबाल लें, जब आधा कप पानी बचे तब उतारकर ठण्डा कर लें और इस पानी की छानकर पी लें। यह प्रयोग लाभ न होने तक प्रतिदिन भोजन के घण्टे भर बाद सेवन करें। यह आमवात नामक व्याधि दूर करने के लिये सर्वोत्तम है।

– हाँग को घी में मिलाकर मालिश करें तो दर्द दूर होता है। हाथ, पैर और जोड़ों के दर्द में इसकी मालिश से आराम मिलता है। यह तेल स्नायुओं को मजबूत एवं शक्तिशाली बनाता है।

– लहसुन का रस आधी चम्मच और एक चम्मच शुद्ध घी मिलाकर कुछ दिन तक लगातार प्रात:काल पीना चाहिए इससे आमवात नष्ट होता है।

– गिलोय को सोंठ चूर्ण के साथ लेने से आमवात मिटता है।

– वायु रोगों पर आमवात, कटिशूल, पार्श्वशूल में हरी मिर्च का स्थानीय लेप करने से आराम मिलता है।

– अश्वगंधा चूर्ण दो भाग, सोंठ एक भाग तथा मिश्री तीन भाग अनुपात में मिलाकर सुबह-सायं भोजनोपरांत गर्म जल से सेवन करें। यह अनुप्रयोग आमवात, संधिवात, विवन्ध, गैस तथा उदर के अन्यान्य विकारों में लाभप्रद पाया गया है।

– गूलर के पत्तों का रस पीने से वातविकार, हृदयविकार, यकृत दोष आदि नष्ट होते हैं।

– पत्तागोभी, चुकन्दर और फूलगोभी के सेवन से जोड़ों का दर्द दूर होता है।

– वात तथा कफ मिश्रित गठिया में 25-25 ग्राम सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, लहसुन सफेद, जीरा व तीनों नमक, पाँच ग्राम हींग, घी में भूनकर पिसे चूर्ण का तीन चार ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार अदरक रस और शहद के साथ चाटने से लाभ हागा।

– 25 ग्राम सोंठ, सौ ग्राम हरड़ और 15 ग्राम अजमोद, 10 ग्राम सेंधा नमक के साथ चूर्ण के रूप में तीन ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।

– गठिया या वात रोगों में अड़ूसा के पत्तों को गर्म करके सेंकना सूजन और दर्द में गुणकारी होता है।

– लहसुन के रस में कपूर मिलाकर मालिश करने से गठिया तथा वात रोग ठीक हो जाता है।

गठिया का होम्योपैथिक इलाज

फेरम-फॉस 12x – ज्वर, शोथ व जोड़ों में दर्द होने की प्रथमावस्था में विशेष लाभ करता हैं।

काली-मयूर 3x – पुरानी बीमारी में विशेष उपयोगी जब जोड़ों में सुन्नता अधिक हो।

काली-सल्फ 3x – दर्द रात में बढ़े तथा शरीर के प्रत्येक अंग में टीस हो तो इसे दें।

मैग्नेशिया-फॉस 3x – दर्द अधिक हो, छटपटाहट हो तो देना चाहिए।

काली-फॉस 3x – दर्द चलने से कम हो तथा जोड़ों में अकड़न हो।

अर्टिका यूरेन्स मूल अर्क : औषधि जोड़ों में अन्दर बैठे यूरिक एसिड पर विशेष प्रभाव डालती है। उससे परिणामस्वरूप औषधि के प्रयोग से दर्द जाता रहता हैं।

लीडम – 3, 30 : रोग रात के समय बढ़ता है, वात-रोग नीचे से ऊपर की दिशा में फैलता है। रोगी को ठण्डक से राहत मिलती हैं-ऐसे में यह औषधि उत्तम है।

कैलमिया मूल अर्क : गठिया यदि ऊपर से नीचे की दिशा में आता है तब यह उपयोगी है।

कोलो फाइलम मूल अर्क : मुख्यत: स्त्रियों की उंगलियों में जोड़ों का दर्द। यह दर्द शाम को बढ़ता है।

फार्मिक एसिड 6x : जोंड़ों के दर्द के लिये यह सर्वोत्तम औषधि है। इसके प्रयोग से पहले जोड़ों का कड़ापन मिटता है। फिर सूजन जाती है और फिर दर्द भी जाता रहता है। रोगी छह माह में बिल्कुल ठीक हो जाता है।

एकोनाइट 30 : जोड़ सूज गए हों, जोड़ों में दर्द के साथ बुखार भी हो, तो इस औषधि की चार-पांच गोलियां पानी में घोलकर दो-घण्टे के अन्तर से देने से लाभ होता है।

पल्सेटिला 30 : यदि सभी जोड़ों में वात रोग के लक्षण हैं, दर्द-स्थान बदलता है, रोग का आक्रमण रात में होता है, रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाता, घूमना पसन्द करता है-ऐसे में यह औषधि अत्यंत प्रभावशाली हैं।

नक्स वोमिका 30 : रोगी का स्वभाव जोड़ों के दर्द के कारण चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे में यह औषधि देनी चाहिए।

रस-टाक्स 30, 200 : यदि आराम के समय दर्द महसूस हो, चलने फिरने से राहत मिले, रात को दर्द बढ़े, तो रोगी के लिये यह औषधि उपयुक्त है। इस रोग की शिकायत बरसात में अधिक होती है।

कोलचिकम 3, 30 : रोगी के जोड़ गर्म एवं लाल होकर सूज जाते हैं। बेहद दर्द होता है। शाम को एवं रात को रोग बढ़ता है। रोगी को अन्दर-ही-अन्दर सर्दी महसूस होती है, जी मितलाता हैं – ऐसे में यह प्रसिद्ध औषधि है।

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