बवासीर ( Piles ) का कारण, लक्षण और घरेलू उपचार

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बवासीर का कारण – बवासीर मलाशय की फूली हुई स्फित शिरायें हैं और ये प्राय: कब्जियत के कारण होते हैं, ये गुदा (Anus) की श्लेष्मिक झिल्ली के उत्तेजन और उस स्थान की रक्तवाहिकाओं के दबने से बनते हैं जो अक्सर बैठे रहते हैं। जिन्हें पुराना व भयंकर कब्ज हो और जो मदिरा पान करते हैं, बूढ़ों में प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ जाने और मूत्राशय में पथरी बन जाने आदि कारणों से भी बवासीर हो जाती है।

बवासीर का लक्षण – गुदा द्वार के अन्दर या बाहर छोटी अर्श के रूप में सूजन (Piles) बन जाती है। अर्श (गठान) में जलन, टपक, अकड़न और काट फेंकने जैसा दर्द होता है। इसके रोगी को बैठने में बड़ी तकलीफ होती है। मलत्याग के समय पीड़ा तथा मल के साथ रक्त आना। खूनी बवासीर में खून गिरता है। गुदा में जलन, दर्द, खुजली होती है। बादी बवासीर में गंदी हवा निकलती है। भूख कम लगती है। जोड़ों में टूटने जैसी पीड़ा, जाँघों में दर्द व निरन्तर दुर्बलता आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

पढ़ें बवासीर के होम्योपैथिक इलाज के बारे में

बवासीर का इलाज घरेलू/आयुर्वेदिक/जड़ी-बूटियों द्वारा
( bawaseer ka gharelu upay in hindi )

(1) लगातार एक मास तक प्रात: पाँच अंजीर खाने से हर तरह का बवासीर (अर्श) दूर होता है।

(2) हल्दी चूर्ण को सेहुँड (थूहर) के दूध में घोलकर बवासीर के मस्सों पर, प्रतिदिन प्रात: शौच के बाद मल दें।

(3) चौलाई की जड़ का आधा कप रस निकालकर काढ़ा बना लें और चौथाई कप रस में पाँच ग्राम रसौंत और एक ग्राम नागकेशर पीस लें। इसकी लुगदी को गोली बनाकर काढ़े से गटक लें। ऊपर से देशी घी का हलवा खा लें। यह क्रिया तब तक करें जब तक खूनी बवासीर पीछा न छोड़े और तब तक मिर्च, मसाले, चाय, काफी, माँस, शराब आदि न खायें तो 8-10 दिन में लाभ होगा।

(4) बादी बवासीर में ग्वार की फली के पत्ते, जितने नग पत्ते उतने नग काली मिर्च पीसकर आधा कप पानी मिलायें और छानकर पी जायें।

(5) बादी की या खूनी बवासीर में आम की गुठली की गिरी का चूर्ण बनाकर शीशी में भर लें। सौ ग्राम मट्ठे या पानी के साथ ढाई ग्राम चूर्ण की फंकी ले लें। दिन में तीन बार सेवन करें। मस्से सूख जायेंगे।

(6) ढाई ग्राम आँवले के चूर्ण की फंकी मट्ठे या दही के साथ दिन में तीन बार लें। खूनी बवासीर में लाभ होगा।

(7) मीठे अनार के छिलके का चूर्ण दो-दो ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार ताजे पानी से लेते रहें। दस दिन में खूनी बवसीर से छुटकारा मिल जायेगा। दस दिन तक गर्म चीज से परहेज रखें। कब्ज न होने दें।

पढ़ें अनार के फायदे के बारे में

(8) बीस अंजीर लायें। दो सुबह दो शाम पानी में भिगोकर खायें। पाँच दिन में ही खूनी बवासीर में अन्तर नजर आयेगा। सुबह की भिगोई शाम को खायें और शाम की भिगोई सुबह खायें। आश्चर्यजनक लाभ होगा।

(9) पाँच ग्राम फिटकरी, भुनी हुई बीस ग्राम सुरजान और एक कीकर गोंद मिलाकर कूट लें। सुरजान मीठा प्रयोग में लें। इनकी मटर के बराबर गोलियाँ बना लें, दिन में तीन बार ताजा पानी से सेवन करें।

(10) मस्से ज्यादा परेशान कर रहे हों तो पन्द्रह-बीस ग्राम मक्खन, दूध-दही की मलाई में 8-10 ग्राम फिटकरी मिलाकर मस्सों पर लेप कर दें।

(11) खूनी बवासीर में फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से तत्काल राहत मिलेगी। इसके अलावा, बवासीर के रोगी को दही में हल्की मात्रा में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर सवेरे-शाम सेवन करना चाहिए।

(12) आंवले का चूर्ण लगभग 10 से 20 ग्राम फांक कर ताजा मट्ठा पीने से बवासीर कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा।

(13) ताजे आँवलों की चटनी अथवा कच्चे आंवलों को भूनकर नियमित खाने से बवासीर में लाभ होता हैं।

(14) आँवले के चूर्ण को दही की मलाई के साथ सेवन करने से बवासीर के मस्सों से रक्त-जाना बन्द हो जाता है।

(15) आँवला हरड़, बहेड़ा और मिश्री चारों बराबर की मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें गुलाब जल घोलकर 5-5 ग्राम की गोलियाँ बना लें। एक-एक गोली प्रात: सायं ताजा पानी के साथ लें तो बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।

(16) गर्मी का बवासीर हो तो त्रिफला का चूर्ण 3 ग्राम लेकर मट्ठे के साथ निगल लें।

(17) ताजे आँवलों के रस में घी-शहद और दूध मिलाकर सेवन करें।

(18) आँवला, सत्तू और गोबर की पोटली बनाकर सेंकने से कुछ दिन में बवासीर के मस्से सूख जाते हैं।

(19) आंवला 100 ग्राम, बड़ी हरड़ 100 ग्राम, रसवत 50 ग्राम, तीनों को कूट पीसकर-छानकर जल के संयोग से 3-3 ग्राम के गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। प्रात: सायं 6-6 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से कुछ दिन में दोनों प्रकार का बवासीर ठीक हो जाता है।

पढ़ें आंवला के फायदे के बारे में

(20) हल्दी के चूर्ण को ठंडा थूहर के दूध में मिलाकर लेप करने से बवासीर के मस्से जाते रहते हैं।

(21) पीपल चूर्ण चार रत्ती, भुना हुआ जीरा एक ग्राम तथा थोड़ा सेंधा नमक मट्ठे में मिलाकर सेवन करने से बवासीर ठीक हो जाती है। इस योग का सेवन रोगी को रोज भोजन के बाद करना चाहिये।

(22) मूली का रस एक कप, गर्म किया हुआ घी 6 ग्राम को मिलाकर सुबह-शाम 1- 1 चम्मच पीना चाहिये।

(23) रात्रि में सोते समय साफ सुथरी मूली लेकर चार टुकड़े करें, फिर उसमें सेंधा नमक डालकर रात में ओस में रखें। फिर सुबह निराहार खा लें। इसके बाद अपनी गुदा को भी मूली स्वररास या मूली के पानी से धो डालें।

(24) सुबह के भोजन में मसूर की दाल खाकर खट्टी छाछ पीने से बवासीर में लाभ करता है।

(25) एक करेला, पीपल दो पत्ती, एक पाव पानी में पीसकर सुबह खाली पेट 15-20 दिन तक पीवें। इससे बवासीर एवं मधुमेह दोनों ठीक हो जाते हैं।

(26) गेंदे के फूल या हरी पत्तियाँ 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 दाने, कूंजा मिश्री 10 ग्राम, 60 ग्राम पानी से रगड़ छान कर 4 दिन तक एक बार पीए।

(27) सुबह खाली पेट 1 चम्मच मक्खन, 1चम्मच मिश्री, 2 छोटी इलायची मिलाकर चाटने से खूनी बवासीर में फायदा करता है।

(28) नीम की निबौलियों की गुठलियों को पीसकर उसमें बराबर मात्रा में तुलसी की जड़ की चूर्ण मिलाकर छाछ के साथ पीने से पुरानी से पुरानी बवासीर  ठीक हो जाती हैं।

(29) बवासीर होने पर दही में काले तिल पीसकर दिन में तीन बार सेवन करें।

(30) अनार के छिलकों को पानी में उबालकर पीने से बवासीर से छुटकारा मिलता है।

(31) गाय के दूध से बनी छाछ में काली मिर्च, सोंठ पीपरि और सेंधा नमक का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ होता है।

(32) 10 ग्राम काले तिल को पीसकर 150 मि.ली. बकरी के दूध में मिलाकर, उसमें 5 ग्राम शक्कर डालकर पीने से बवासीर में होने वाला रक्तस्राव तुरंत बंद हो जाता है।

(33) हल्दी की गांठ को सेंककर उसका चूर्ण बनाएं। फिर उसे एलोवेरा के गूदे में मिलाकर सात दिन तक खाने से लाभ होता है।

(34) एलोवेरा के गूदे में हल्दी मिलाकर उसे पीसकर हल्का गर्म करके लेप करने से आराम मिलता है।

(35) इमली के फूलों में दही व अनार कां रस मिलाकर साग बनाकर उसमें धनिया व सोंठ मिलाकर दोपहर के भोजन में खाने से बवासीर के दर्द में आराम मिलता है।

(36) मट्ठे के साथ गिलोय पीसकर पीने से बवासीर में लाभ होता है।

(37) सूरन के टुकड़ों को पहले उबाल लें और फिर सुखाकर उनका चूर्ण बना लें। यह चूर्ण बनाने के लिए चाहिए चित्रक 160 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, काली मिर्च 20 ग्राम एवं गुड़ 1 किलो ग्राम – इन सबको मिलाकर बेर-जैसी छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इसे सूरनमोदक या सूरनवटी कहते हैं। प्रतिदिन प्रात: सायं 3-3 गोलियां खाने से बवासीर में लाभ होता है।

(38) सूरन के टुकड़ों को भाप में पकाकर तथा तिल के तेल में बनायी गई सब्जी का सेवन करने से एवं ऊपर से छाछ पीने से सभी प्रकार के बवासीर में लाभ होता हैं।

(39) करेले का रस खूनी बवासीर में लाभदायक है।

(40) प्याज के रस में घी और चीनी मिलाकर खाएं।

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(41) गाय के मक्खन में काले तिल और मिश्री मिलाकर खाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

(42) मट्ठे में सेंधा नमक और अजवायन का चूर्ण मिलाकर यथेच्छ पीना चाहिए।

(43) कुकरोंधे का एक किलो रस निचोड़कर इतना पकायें कि वह काफी गाढ़ा हो जाये। तब उसकी काली मिर्च के बराबर गोली बनाकर प्रात: सायं खाएं। इससे बवासीर दूर हो जायेगी।

(44) 15 ग्राम भांगरे का रस, एक ग्राम फिटकरी पीसकर पानी में मिलाकर पीने से फौरन बवासीर का खून बंद हो जाता है। केले की आधी फली में 4 ग्राम हींग मिलाकर खाली पेट खाएं। इससे आराम मिलेगा।

(45) जिसे बड़ी भयानक बवासीर हो, मलोत्सर्जन (टट्टी) करते समय भयंकर पीड़ा हो। खून आता हो, वह कच्चे पपीते का रस मस्सों पर 15 दिन तक लगातार लगायें और प्रतिदिन दोपहर के समय 500 ग्राम पका पपीता-फल खाएं। उसके मस्से दूर हो जायेंगे और बवासीर मिट जाएगी।

पढ़ें पपीता के फायदे के बारे में

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5 Comments
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