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Labour Pains Treatment In Homeopathy – प्रसव वेदना

यदि किसी गर्भवती स्त्री को प्रसव-वेदना (दर्द) शुरू होने के पश्चात् 4-5 घंटे तक प्रसव नहीं हो तो इसे रोग मानकर इसकी चिकित्सा की व्यवस्था करनी चाहिये । पल्सेटिला 30- प्रसव के एक-दो दिन पहले झूठी प्रसव वेदना होने पर यह दवा देनी चाहिये ।…

Abortion Treatment In Homeopathy – गर्भपात

जब कोई स्त्री गर्भवती हो और यदि उसका गर्भ-काल पूरा होने से पहले केवल दो माह के पश्चात् गर्भ नष्ट हो जाये तो उसे गर्भस्राव कहते हैं । यदि इससे अधिक समय के पश्चात् गर्भ नष्ट हो जाये तो उसे गर्भपात कहते हैं । यह स्थिति चोट लग जाने, अधिक…

Uterin Tumours Treatment In Homeopathy – गर्भाशय का अर्बुद

कभी-कभी स्त्रियों के गर्भाशय के मुँह पर एक प्रकार की पुंसियाँ-सी हो जाती हैं जिन्हें अर्बुद कहते हैं । रोग के बढ़ जाने पर ऑपरेशन ही इसका एकमात्र इलाज रह जाता है ।कल्केरिया आयोड 3x- यह इस रोग की सर्वोत्तम दवा है । प्रायः प्रत्येक प्रकार…

Prolapsus Of Uterus Treatment – गर्भाशय की स्थान च्युति

गर्भाशय को जरायु भी कहते हैं । भारी सामान उठाना, अधिक शारीरिक श्रम करना, कपड़े सदैव बहुत कसकर बांधना, पुराना कब्ज़, अधिक भोग, चोट लगना आदि कारणों से गर्भाशय अपने स्थान से हट जाता है । सीपिया 30– यह इस रोग की अत्युत्तम औषधि है । भीतरी अंगों…

Vaginitis Treatment In Homeopathy – योनि प्रदाह

इस रोग में योनि का लाल पड़ जाना, सूजन, दर्द, पीव जैसा स्राव आना, मूत्र-त्याग में जलन होना, ज्वर आ जाना, कमर व निचले हिस्से में दर्द, योनि में कभी-कभी दाने हो जाना, योनि शिथिल पड़ जाना आदि लक्षण प्रकटते हैं । यह रोग मुख्यतया अधिक भोग, चोट…

Pruritus Treatment Homeopathy – योनि में खुजली

योनि की ढंग से सफाई न करने से वहाँ पर खुजली मचने लगती है। रोग बढ़ जाने पर त्वचा लाल पड़ जाना, छोटे-छोटे दाने निकल आना, जलन होना, कभी-कभी रक्त भी निकल आना आदि लक्षण प्रकट होते हैं । दवा लेने के साथ-साथ योनि की सफाई करना भी जरूरी है ।…

Gonorrhoea Treatment In Homeopathy – सूजाक

इस रोग में रोगी के लिंग के अन्दर मूत्र-नली में से मवाद आता है । मूत्र-नली में जलन, सुरसुराहट, खुजली, मूत्र-त्याग के समय जलन एवं दर्द होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं । एकोनाइट 1x, 30- रोग की प्रथमावस्था में लाभकर है । मूत्र-मार्ग में लाली,…

Syphilis Treatment In Homeopathy – उपदंश

इस रोग में रोगी के लिंग पर फुसी हो जाती है जो धीरे-धीरे बढ़कर घाव का रूप ले लेती है । इस घाव में से मवाद आती है, खुजली मचती है और जलन होती है । यह घाव ठीक नहीं हो पाता, जिससे लिंग नष्ट होने लगता है । इस रोग में सविराम ज्वर आना, गले में घाव,…

Orchitis Treatment In Homeopathy – अंडकोष प्रदाह

चोट लग जाने, सूजाक आदि के कारण अण्डकोष की थैली की त्वचा फूल जाती है और उनमें दर्द, जलन, सूजन आदि लक्षण रहते हैं । इसी स्थिति को अण्डकोष-प्रदाह कहते हैं । यहाँ पर हाइड्रोसिल का भ्रम नहीं होना चाहिये । एपिस मेल 30- दर्द, जलन, सूजन, लालिमा,…

Hydrocele Treatment In Homeopathy – अंडकोष वृद्धि

 कभी-कभी एक या दोनों अण्डकोषों में पानी उतर आता है जिससे वे फूल जाते हैं और आकार में भी बड़े हो जाते हैं । उनमें लाली, सूजन, जलन आदि लक्षण भी प्रकटते हैं । इसी स्थिति को हाइड्रॉसिल यानि पानी के कारण अण्डकोष बढ़ जाना कहते हैं । यों तो चोट,…

Eretomania Treatment In Homeopathy

सदैव भोग के विषय में ही सोचते रहने को कामोन्माद कहा जाता है। इस रोग के लगातार बने रहने पर व्यक्ति कामुक, बेशर्म, मानसिक रूप से विकृत, चिड़चिड़ा, क्रोधी और शारीरिक श्रम से जी चुराने वाला बन जाता है । यह रोग मुख्यतः अश्लील पुस्तकों के अध्ययन…

Urinary Calculus Treatment In Homeopathy – मूत्र पथरी

परिपोषण-क्रिया की गड़बड़ी के कारण मूत्र-ग्रन्थि में एक प्रकार का पत्थरसा बनने लगता है जिसे पथरी कहा जाता है । जब यह मूत्र-नली में पहुँच जाती है तो यहाँ फैसकर असह्य दर्द उत्पन्न करती है। साथ ही, मूत्र-रोध, मूत्र-त्याग में जलन, प्रदाह,…

Cystitis Treatment In Homeopathy – मूत्राशय प्रदाह

मूत्राशय में चोट लगने, मूत्र-नली सिकुड़ जाने, सूजाक आदि कारणों से मूत्राशय में प्रदाह उत्पन्न हो जाता है । इस रोग में मूत्राशय में सूजन, दर्द, अकड़न, भार-सा अनुभव होना, मूत्र-त्याग में जलन, कॅपकॅपी आदि लक्षण प्रकट होते हैं । कैन्थरिस 30-…

Enuresis Treatment In Homeopathy – मूत्र स्वयं निकल आना

यों तो मूत्र स्वयं निकल जाने की बीमारी केवल छोटी आयु के ही बच्चों में ही होती है लेकिन कुछ कारणों से बड़ी आयु के पुरुषों और वृद्धों में भी हो सकती हैं । बेलाडोना 30- संकोचक पेशी की कमजोरी के कारण इच्छा न होने पर भी मूत्र निकल जाये तो…

Haematuria Treatment In Homeopathy – मूत्र में रक्त आना

टेरिबिन्थिना 6- मूत्र में रक्त आने की उत्तम दवा है । मूत्र बूंद-बूंद करके आये, मूत्र की मात्रा कम और रक्त की मात्रा अधिक हो तब लाभप्रद है। बेलाडोना 30- मूत्र में रक्त आने पर उत्तम दवा है । एकोनाइट 3x- ठण्ड लग जाने के कारण रक्तमिश्रित…

Albuminuria Treatment In Homeopathy

इस रोग में रोगी के मूत्र में एल्बुमेन आने लगता है । इस प्रकार की स्थिति अधिक समय तक बने रहने से शरीर का आंतरिक रूप से क्षय होने लगता है । मर्ककॉर 6, 30- मूत्र में एल्बुमेन आने पर लाभप्रद है, खासकर मूत्र में ऐंठन व जलन, गठिया आदि लक्षण भी…

Dysuria Treatment In Homeopathy

इस रोग में रोगी को मूत्र रुक-रुककर, बूंद-बूंद के रूप में बहुत ही कष्ट के साथ होता है। चूंकि मूत्र एक बार में ही खुलकर नहीं होता। अतः उसे बार-बार मूत्र-त्याग हेतु जाना पड़ता है । स्पिरिट कैम्फर Q- जलन तथा कष्ट के साथ मूत्र-त्याग होने पर यह…

Retention Of Urine Treatment – मूत्र रुक जाना

जबकि मूत्र-ग्रन्थियों से चला हुआ मूत्र मूत्राशय में तो पहुँच जाये पर मूत्राशय से बाहर न निकल पाये तो उसे मूत्र-रोध कहा जाता है । पेशाब रुकने पर- सॉलिडेगो वर्ज Q- यदि पेशाब रुक गई हो या कैथेटर के बिना न होती हो तो ऐसी स्थिति में इस दवा की…

Suppression Of Urine Treatment – मूत्र नाश

मूत्र नाश (Suppression of Urine) मनुष्य में मूत्र-ग्रन्थियों में से चलकर मूत्र मूत्राशय में जमा हो जाता है और वेग लगने पर इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है । परन्तु जबकि मूत्र-ग्रन्थियों से चला हुआ मूत्र मूत्राशय में पहुँचे ही नहीं तो…

Hysteria Treatment In Homeopathy – हिस्टीरिया

यह स्त्रियों में पाया जाने वाला एक ऐसा मानसिक रोग है जिसके प्रमुख कारण स्त्रियों की यौन इच्छाओं की पूर्ति न होना, पति द्वारा अपनी स्त्री का परित्याग कर देना, युवा अवस्था में ही स्त्री का विधवा हो जाना या लम्बी उम्र तक शादी न होना आदि हैं ।…

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