homeopathic medicine for Dementia In Hindi [ मतिभ्रम का होम्योपैथिक दवा ]

1,529

मन मस्तिष्क तथा अन्य कारणों से सम्बन्धित विविध रोग तथा उनकी चिकित्सा के विषय का इस प्रकरण में उल्लेख किया जा रहा है ।

बुद्धि के कछ कम अथवा एकदम नष्ट हो जाने को ‘बुद्धि-वैकल्य’ कहा जाता है । इसे ‘मति-भ्रम’ के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है । यह रोग निम्नलिखित पाँच प्रकार का होता है :-

(1) मद्यपान के कारण – इसमें स्मरण-शक्ति एवं इच्छा-शक्ति की कमी, जरा-जरा-सी बात पर क्रोध करना, अपने शरीर तथा वेष-भूषा का तनिक भी ध्यान न रखना, शरीर के स्वाभाविक तापमान में कमी तथा पाकाशय-प्रदाह आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।

(2) हस्तुमैथुन के कारण – इसमें स्मरण-शक्ति की कमी, मानसिक-दुर्बलता, उदासीनता, हाथ-पाँवों का ठण्डा तथा तर रहना, किसी ओर टकटकी लगाकर देखते रहना तथा सिर झुकाये बैठे रहना आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।

(3) वृद्धावस्था के कारण – लगभग साठ वर्ष की आयु के बाद यह रोग होता है तो इसमें स्मरण शक्ति की कमी, क्रोध आना, चित्त विभ्रम, अत्यधिक आत्मगरिमा का भाव, भ्रान्त-विश्वास, अवास्तविक-परिकल्पनायें एवं बेचैनी आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

(4) यान्त्रिक कारणों से – शरीर के अवयवों में खराबी आ जाने पर जब यह रोग होता है, तब भय का भाव, देखने-सुनने में भ्रम, खींचन, पक्षाघात, सन्देहशीलता आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।

(5) गौण कारणों से – इसमें स्मरण-शक्ति की कमी, अत्यधिक कमजोरी, इच्छा-शक्ति की कमी तथा मानसिक वृत्तियों का अचानक ही ह्रास हो जाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं ।

गन्दे रहने, चुप रहने, मशीन के पुर्जे की भाँति रहन-सहन, किसी प्रकार का अचानक आक्रमण, मानसिक-शक्ति का एकदम कमजोर हो जाना, मानसिक चिन्ता अथवा एक ही दिशा में चिन्तन, एक ही प्रकार का काम करते रहना – इन कारणों से भी यह बीमारी हो जाती है। इस रोग में लक्षणानुसार निम्नलिखित औषधियाँ लाभ करती हैं :-

ऐनाकार्डियम 6 – स्मरण-शक्ति की कमी, भ्रान्त विश्वास के साथ बुद्धि-वैकल्य एवं सदैव शपथ खाते रहना इन लक्षणों में प्रयोग करें ।

एसिड-फॉस 2x, 6 – समीपवर्ती लोगों अथवा वस्तुओं के प्रति उदासीनता, स्मरण-शक्ति की कमी, शारीरिक-दुर्बलता, मानसिक-चिन्ता, एक ही प्रकार का चिन्तन, जरा-सी बात पर रो देना तथा हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न रोग में अत्यधिक परिमाण में पेशाब होना – इन लक्षणों में प्रयोग करें ।

हेलिबोरस 3x – उन्माद अथवा विषाद-वायु रोग के बाद बुद्धि-विभ्रम में इसका प्रयोग करें ।

जिंकम 6 – हेलिबोरस से लाभ न होने पर इसका प्रयोग करें ।

लिलियम-टिग 6 – गहरी मानसिक-सुस्ती, परन्तु हर काम में जल्दबाजी, निरन्तर रोते रहने की इच्छा, शाप देने, मारने अथवा अश्लील बातों को सोचने की तीव्र इच्छा, लक्ष्य-हीनता, निरन्तर यह सोचते रहना कि उसे कोई यान्त्रिक-रोग हो गया है, जो अब अच्छा नहीं होगा, किसी प्रकार छुटकारा न पाने की चिन्ता एवं समझाने-बुझाने से रोग के उपसर्गों में वृद्धि होना – इन सब लक्षणों में इसका प्रयोग करें ।

ऐगारिकस 6 – सामान्य अथवा छिपे हुए बुद्धि-वैकल्य की उत्तम औषध है।

कोनियम 6 – हस्तमैथुन के कारण उत्पन्न बीमारी, लेटने पर सिर में चक्कर आना, घर अथवा कामकाज के सम्बन्ध में उदासीनता तथा स्मरण-शक्ति की
कमजोरी – इन लक्षणों में हितकर है।

कैल्के-कार्ब 6, 200 – बुद्धि वैकल्य की अधिकता के कारण किसी विषय में कोई धारणा न बना पाना, सिर में चक्कर आना तथा भारीपन आदि लक्षणों में हितकर है।

क्रोटेलस 3 – इन्द्रिय ज्ञान तथा स्मरण शक्ति में अत्यधिक कमी, सहन-शक्ति का अभाव, कहीं भागने का प्रयत्न करते रहना, खिन्नता, बकवास करना तथा मुखाकृति का बिगड़ जाना आदि लक्षणों में प्रयोग करें।

कैल्के-फॉस 6x वि० – चिड़चिड़ा स्वभाव, समीपवर्ती लोगों को भी न पहचान पाना, घटनाओं को समझ न पाना तथा घर में रहे हुए भी घर जाने की बात कहना – इन लक्षणों में लाभकर है । दुबले-पतले शिशुओं अथवा कम आयु वाले लोगों के लिए यह औषध विशेष लाभकर सिद्ध होती है ।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें