How To Get Rid Of Dark Circles Fast

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आंखों के नीचे का कालापन कैसे दूर हो?

खूबसूरत आंखें आकर्षण का केन्द्र होती हैं। इसीलिए चेहरे का सौन्दर्य बढ़ाने में आंखों का बड़ा महत्त्व होता है। चित्रों में भी आंखों को अत्यधिक सुन्दर बनाकर दर्शाया जाता है। इसमें सन्देह नहीं कि आंखों के नीचे आया कालापन बदसूरती पैदा कर आपके व्यक्तित्व को दबा देता है। आजकल के तनाव और भाग-दौड़ के जमाने में युवक-युवतियों के लिए आंखों के नीचे काले गड़े पड़ जाना बहुत बड़ी समस्या बन गया है। कइयों की आंखें दिन पर दिन गड्रों में धंसती जा रही हैं और उनकी त्वचा काली पड़ती जा रही है। झुर्रियां पड़ जाना अब आम बात हो गयी है।

आंखें हमारे शरीर के सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण अंगों में से एक हैं। इस नाजुक अंग का मस्तिष्क और केन्द्रीय स्नायुजाल से सीधा सम्बन्ध होता है। सिनेमा के परदे पर चल रहे चलचित्र के समान हमारी बीमारियां, चिन्ताएं और परेशानियां हमारी आंखों में साफ दिखाई देती हैं। आखों के चारों ओर कालिमा छा जाना आंखों की अस्वस्थता का प्रतीक होता है।

यह एक विडम्बना ही है कि इस गम्भीर समस्या के निवारण के लिए हम कोई उपाय नहीं करते और इस ओर उदासीन ही बने रहते हैं। अकसर धीरे-धीरे बढ़ती कालिमा और झुर्रियां आंखों के चारों ओर ऐसा गाढ़ा निर्माण कर लेती हैं कि व्यक्ति कुछ समय में, कम उम्र में ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है। अत: इनके शुरू होते ही इन्हें दूर करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए।

यूं तो आंखें खूबसूरत और आकर्षक न भी हो, तो मेकअप से उन्हें खूबसूरत बनाकर आंखों की कमियों को भी छिपाया जा सकता है, लेकिन इससे समस्या दूर नहीं हाती। कब तक आप मेकअप का रंग-रोगन पोतते रहेंगे? यदि आप समय रहते सावधानी बरतें, उचित आहार-विहार अपनायें, तो इस समस्या से छुटकारा पाना कठिन नहीं है। सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि वे कौन-कौन-से कारण हैं, जिनसे इस समस्या का जन्म होता है।

कालापन आने के कारण

जिन मुख्य कारणों से आंखों के चारों ओर कालापन आना व आंखों का गड्डों में धंसना शुरू होता है, उनमें अत्यधिक चिन्ता करना, अत्यधिक ईष्र्यालु होना, मानसिक तनाव व आशंकाओं से घिरे रहना, अधिकतर रोते रहने की प्रवृत्ति, नींद न आना, रोजाना देर रात तक जागना, पाचन क्रिया का बिगड़ना, कब्जियत, श्रम न करना, शरीर में विटामिन ‘सी’ और ‘बी’ की कमी होना, जिगर (लीवर) की खराबी, नींद आने पर भी जबरन जागना, अत्यधिक मैथुन में रुचि रखना, अनेक प्रकार के नशों में लिप्त रहना प्रमुख माने जाते हैं।

पहले यह समझ लेना जरूरी है कि इस समस्या की प्रक्रिया क्या है। प्रकृति ने आंखों के चारों ओर की त्वचा बाकी शरीर की त्वचा की अपेक्षा अधिक नाजुक बनाई है। आंखों के आसपास ही हमें किसी भी मानसिक या शारीरिक तकलीफों का संकेत देखने को मिलता है। यहां तक कि अांखों के आसपास ज्यादा मलने से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने की सम्भावना बढ़ जाती है, जिससे समय से पूर्व झुर्रियां पड़ सकती हैं।

आंखों के चारों ओर चबी के सूक्ष्म कणों की बनी हुई परत-सी होती है, जो उसमें खून के भ्रमण को सरल बनाकर आंखों को संभालने वाली पेशियों को शक्ति प्रदान करती है। यह परत स्वस्थ रहेगी, तो आंखों के आसपास कालिमा व झुर्रियां नहीं पड़ेगी। उपर्युक्त कारण आंखों की इस परत को प्रभावित करते हैं। इसकी त्वचा में पोषण के अभाव से पहले तो कालिमा आती है, बाद में झुर्रियां पड़ना शुरू हो जाता है।

इस समस्या के प्रमुख कारणों की चर्चा यहां हम एक-एक कर संक्षिप्त रूप से करेंगे। फिर उनके निवारण के उपयुक्त उपायों को सुझायेंगे। आजकल अधिकांश व्यक्ति मानसिक श्रम, तनाव, चिन्ता और आशंका के दौर से निरन्तर गुज़रते हैं, जिससे कालिमा आंखों के निचले भाग से प्रकट होने लगती है। सामथ्र्य से अति रूप में किया गया शारीरिक और मानसिक श्रम आांखों के धब्बों के रूप में देखने को मिलता है।

किन्हीं कारणों से ईष्र्या की आग में झुलसते रहना और हमेशा आशंकाओं से घिरे रहना आंखों के स्वास्थ्य के लिए कतई ठीक नहीं है। अनेक लोगों को हमेशा बात-बात में आंसू बहाकर रोने की आदत पड़ जाती है। कुछ लोग जान-बूझकर रोजाना देर रात तक जागते रहते हैं। ये सब बुरी आदतें आंखों के नीचे कालापन लाने में सहायक होती हैं।

श्रम न करने से पाचन क्रिया प्रभावित होती है। कब्जियत की शिकायत पैदा हो जाती है। अकसर कब्ज से पीड़ित लोगों की आंखों के चारों ओर कालापन दिखाई देता है। विटामिन ‘सी’ का सम्बन्ध त्वचा के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है, जबकि विटामिन ‘बी’ की कमी से न केवल आंखों का कालापन बढ़ता है, वरन आंखें लाल भी रहने लगती हैं। आखों से पानी जाना, उसमें व आसपास की त्वचा में जलन होना, ये सब तकलीफें विटामिन ‘बी’ की कमी से पैदा होती हैं।

कई लोग सैक्स सम्बन्ध के मामले में इतने उग्र होते हैं कि वे इसे नित्य प्रतिदिन दिनचर्या की तरह अनिवार्य रूप से करते हैं। वे भूल जाते हैं कि इससे उनकी शक्ति का ह्यस कितनी तेजी से होता है। कुछ लोगों को नशा करने की आदत पड़ जाती है। वे बिना किसी कारण जवानी में ही अनेक प्रकार की नशे की चीजें खाना या पीना शुरू कर देते हैं, इससे उनकी आंखों का सौन्दर्य नष्ट होने लगता है और उनके नीचे कालापन, सूजन जैसी विकृतियां दिखाई देने लगती हैं।

कालापन दूर करने के उपाय

सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय तो यह है कि व्यक्ति को हमेशा प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए। मन अशान्त न हो, इसके लिए दु:ख को भुलाकर अन्य रुचिकर कामों में जी लगायें। ईष्र्या की आग में न जलें। सन्तोष रखकर हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करते रहें। मानसिक तनाव से दूर रहने का प्रयास करें।

बात-बात में रोते रहना ठीक नहीं है। इस दुष्प्रवृत्ति को छोड़ दें। साहस और समझदारी से जीना सीखें। शंकाओं के घेरे में अपने को जकड़े न रखें। उनको दूर कर निश्चिन्त रहने का प्रयास करें। पर्याप्त नींद अवश्य लें। नींद पूरी न लेने से आखों में जलन, आंखों के आसपास कालापन छाना शुरू हो जाता है। यदि किसी कारणवश आपरात्रि में पूरी नींद नहीं ले पाते हो, तो रात का खाना खाने से पहले आधा घण्टे की नींद लेने का प्रयास शुरू कर दें। इससे बहुत लाभ होगा। ठीक समय पर आहार लेना, नियमित उचित व्यायाम करना और निशिचन्त मन से बिस्तर पर लेटना अच्छी नींद आने के सर्वोत्तम उपाय हैं।

पूरी नींद लेने के बाद भी यदि आंखों में थकान, सिरदर्द, भारीपन लगे, तो अपने चिकित्सक से अांखों की जांच अवश्य करा लें। दैनिक कामकाज में जब आंखें थक जायें, तो थोड़ी देर के लिए आंखें बन्द करके काम करना रोक दें, ताकि उस समय तक हुआ आंखों का तनाव कम हो जाये। सुबह हरी-हरी दूब पर नंगे पैर टहलना आंखों के स्वास्थ्य के लिए एक श्रेष्ठ उपाय हैं।

विटामिन ‘बी’ की प्राप्ति के लिए दूध, फलों, हरी सब्जियों, हरे और सूखे मेवे, गेहूं, चावल, जौ, चने, मटर, दालों आदि का सेवन करें। विटामिन ‘सी’ की प्राप्ति के लिए नीबू, टमाटर, सन्तरे, प्याज, अंगूर, चने, पालक, सेब, सलाद आदि का अधिक-से-अधिक मात्रा में प्रयोग करना चाहिए। खाना अच्छी तरह से हजम हो और पाचन के बाद उसका पूरी तरह शोषण हो, इसके लिए जरूरी है कि उचित मात्रा में पानी पिया जाये।

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