आज के इस भाग-दौड़ और आपाधापी वाले युग में थोड़ी-बहुत चोट-ख़रोंच लगना एक आम बात है। अपनी व्यस्तता की वजह से हम इस ओर ध्यान भी नहीं दे पाते, किंतु कभी-कभी ये छोटी-मोटी चोट ही घातक रूप अख्तियार कर लेती है। अत: इन्हें मामूली चोट समझकर यों ही छोड़ देना स्वास्थ्यप्रद नहीं है।
चोट का होमियोपैथिक दवा
कोई भी चोट-खरोंच लगने पर उसे साफ पानी से ढंग से अवश्य धोएं। इसके साथ ही एण्टिसेप्टिक (जैसे कैलेण्डुला, डेटॉल,सैवलोन आदि) से सफाई से धो ले। यदि घाव गहरा हो, तो आवश्यकता पड़ने पर टांके भी लगवाने पड़ सकते हैं। लोहे आदि से चोट-खरोंच लगने पर टिटनेस टॉक्साइड का इंजेक्शन भी लगवाना हितकर रहता है। होमियोपैथिक औषधियों में ‘स्ट्राइचनीन’ दवा उच्वशक्ति में दी जा सकती है।
घाव की हर तीसरे दिन सफाई से पट्टी होनी आवश्यक है। विभिन्न चोटों में निम्न होमियोपैथिक औषधियां प्रयोग की जा सकती हैं
• खरोंच आ जाने पर, किसी ठोस वस्तु से चोट लगने पर – ‘आर्निका मोंट’ 200 शक्ति की तीन खुराक तीन दिन खाएं (यदि चोट आंख पर हो, तो ‘सिम्फाइटम’ 30)।
• यदि रक्त का थक्का बन गया हो (चोट के कारण) या सिर पर गुम चोट लगे, तो – ‘आर्निका मोंटाना’ 200 ।
• यदि कटा-फटा घाव हो – ‘कैलेण्डुला आइंटमेंट’ लगाने हेतु एवं ‘हायपेरिकम’ 30 शक्ति में खाएं ।
• ऐसी जगह पर घाव हो, जहां नसें ज्यादा होती हैं, जैसे उंगलियों के पोर, तो ‘हायपेरिकम’ 30 शक्ति में, दिन में तीन बार, 7 दिन खाएं।
• यदि किसी धारदार वस्तु से कटा हो (घाव हो), तो ‘स्टेफिसेग्रिया’ 30 एवं लगाने के लिए ‘कैलेण्डुला आइंटमेंट’ ।
• यदि किसी नुकीली वस्तु से छेद बन गया हो, तो ‘लीडमपाल’ 30 (चूहा काटने पर भी ‘लीडमपाल’ ही खानी चाहिए)।
• यदि हलकी खरोंच हो, तो – ‘एलियम सीपा’ 30 ।
• यदि मोच आ गई हो, तो – ‘रसटॉक्स’ 200, ‘बेलिसपेरेनिस’ 30 ।
• यदि हड्डी टूट गई हो, तो ‘कैल्केरिया कार्ब’, ‘कैल्केरिया फॉस’, ‘सिम्फाइटम’, ‘रुटा’ (‘कैल्केरिया कार्ब’ 200 में अन्य औषधियां 30 शक्ति में 15 दिन लेनी चाहिए)।
• यदि हड्डी अपनी जगह से विस्थापित हो गई हो, तो ‘रुटा’ 30, ‘सिम्फाइटम’ मूल अर्क में।
• यदि ततैया वगैरह काट ले और सूजन के साथ जलन भी हो, तो ‘एपिस मेल’ 1000 की तीन खुराक तथा ‘लीडमपाल’ 200 में लें।
• गुम चोट लगने, मोच आने पर – ‘आर्निका’ ( ‘रसटॉक्स आइंटमेंट’ भी लगाना चाहिए) ।
• यदि कोई फोड़ा बन गया हो तथा दुखन भी हो, तो ‘हिपर सल्फ’ 200 की तीन खुराक दो दिन खाएं।
• यदि फोड़े से मवाद आ रहा हो, तो साथ में ‘साइलेशिया’ 6 x में खाएं।
• यदि मवाद बहुत दिनों से आ रहा हो, तो ‘कैल्केरिया सल्फ’, ‘फ्लोरिक एसिड’ 30 में एवं ‘साइलेशिया’ 6 x तथा ‘गन पाउडर’ 3 × शक्ति में खाएं।
• यदि घाव पर पपड़ी जम चुकी हो व उसके नीचे मवाद भरा हो, तो ‘मेजेरियम’30 शक्ति में 7-10 दिन खाएं।
• यदि घाव से गाढ़ा मवाद आए, तो ‘ग्रेफाइटिस’ 30 शक्ति में खाएं।
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