कमर दर्द का होम्योपैथिक इलाज || Kamar Dard Ka Homeopathic Ilaj

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कमर दर्द का होम्योपैथिक इलाज

वास्तव में कमर दर्द का मुख्य कारण गलत ढंग से बैठना, गलत ढंग से खड़े होना, गलत ढंग से सोना, गलत ढंग से झुककर सामान उठाना, बढ़ता हुआ मोटापा या गलत ढंग से आसन व्यायाम करना है, जिससे कमर की गुरियों में निकटता या दूरी हो जाती है अथवा वहां की निकलने वाली मांसपेशियों की नाड़ियों में सूजन आ जाती है।

बहुत-से लोग बहुत ही नरम बिस्तर पर सोने के कारण इस दर्द के चंगुल में फंस जाते हैं, क्योंकि जब रात में नरम बिस्तर के कारण मांसपेशियां आराम करने लगती हैं, तब हड्डियों का सहारा न मिल पाने के कारण दर्द की शुरुआत हो जाती है। इसी प्रकार नरम बिस्तर के विपरीत कठोर बिस्तर या फर्श पर सोने से भी यही हाल हो सकता है।

कमर दर्द अन्य रोगों का लक्षण भी हो सकता है। जैसे-रीढ़ की हड्डी में विषमता, स्लिप डिस्क, हड्डियों में उम्र के साथ-साथ कैल्शियम, फॉस्फोरस आदि खनिजों की कमी के कारण कमजोरी आ जाना, बच्चों में कैल्शियम की कमी एवं वृद्धों में गठिया (संधिवात या जोड़ों की सूजन) आदि होने पर यह दर्द प्रारम्भ हो सकता है। एंकिलोसिस स्पोंडिलाइटिस (एक प्रकार की गठिया), हड्डी का टूटना या घिसना, हड्डी का कैंसर या टी.बी.रोग का विकसित होना आदि भी कमर दर्द के अन्य कारण हैं। इसके अतिरिक्त यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि शक्ति से अधिक, आगे-पीछे, दाएं-बाएं होने वाले आसन एवं व्यायाम के अभ्यास से भी कमर दर्द हो सकता है अथवा झटके के साथ आसन अथवा व्यायाम करने पर भी कमर दर्द हो सकता है।

मानसिक तनाव और भावनात्मक एवं संवेगात्मक दबावों के कारण पीठ की मांसपेशियां एकाएक कठोर हो जाती हैं और दर्द होने लगता है। इसलिए हमें हमेशा हताशा, उदासी व असहाय होने की या असंतुष्टि की भावना से बचने का प्रयास करना चाहिए।

सिर या पीठ पर बोझ ढोने से, अधिक ऊंची एड़ी के जूते-चप्पल, सैंडिल आदि पहनने, उठते-बैठते-चलते समय शरीर को ढीला छोड़ने की स्थिति में पीठ दर्द हो, तो या आपके दर्द का कारण सपाट तलवे हैं, तो जूते बदलना, चलने, उठने, बैठने का ढंग ढीला हो, तो कमर में पेटी बांधना, यदि पहले से पेटी बांधते हैं, तो उसकी चौड़ाई को बढ़ा देना, कुछ सरल आसन तथा कसरत आदि करने से भी इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है।

स्त्रियों में गर्भाशय का अपनी जगह से हट जाने पर या मासिक स्राव संबंधी गड़बड़ी होने पर कमर दर्द हो सकता है। स्त्रियों में पीठ दर्द होने पर रसोई के काम से कुछ मुक्ति प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।

सायटिका (गृधसी) अर्थात सायटिक नाड़ी में सूजन व संक्रमण की स्थिति में कमर से लेकर घुटने एवं एड़ी तक दर्द उठता है, जिसकी तीव्रता बड़ी भयानक होती है। ऐसी स्थिति में घुटने मोड़कर बिस्तर पर तुरन्त पीठ के बल लेट जाना चाहिए और चिकित्सक से तत्काल परामर्श लेना चाहिए। इस स्थिति में हलकी भाप या कुनकुने पानी से सिंकाई करने पर लाभ होता है।

कमर दर्द से बचने के लिए हमेशा सीधे खड़े हों, सीधी-सपाट चारपाई या फर्श पर सोएं, कमर को आगे-पीछे न मोड़ें, कुर्सी या सोफा पर सीधे बैठें। सुबह-शाम कमर को लय के साथ कुछ देर अवश्य घुमाएं।

आप चाहे ऑफिस में बैठे हों या घर में पढ़ाई कर रहे हों अथवा अपने वाहन को चला रहे हों, चाहे आप टाइप कर रहे हों अथवा टी.वी.देख रहे हों, लेकिन बैठिए हमेशा सीधे, जिससे रीढ़ या कमर में कहीं से झुकाव न हो। बहुत आवश्यकता हो, तो कमर के निचले हिस्से में तकिए का सहारा ले सकते हैं, ताकि कमर झुकने न पाए। महिलाओं को झाड़-पोंछा लगाते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए कि वे झुककर ऐसा न करें। ऐसे ही बर्तन धोते समय भी सावधानी बरतें। मासिक स्राव की अनियमितता, प्रदर अथवा कोई अन्य रोग होने पर चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। विद्यार्थियों को भी सदा ध्यान रखना चाहिए कि गलत मुद्रा में बैठकर या लेटकर न पढ़े और न टी.वी. आदि देखें। पलंग या फर्श पर दो-तीन इंच ऊंचा गद्दा बिछाकर सोएं।

Kamar Dard Ka Homeopathic Ilaj

कमर दर्द का इलाज करते हुए, 4 बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है – (1) क्या चलने-फिरने से दर्द घटता है, (2) क्या चलने-फिरने से दर्द बढ़ता है, (3) कमर दर्द कमर के किस हिस्से में है, (4) क्या सर्दी से, नमी से कमर दर्द बढ़ता है।
इन सभी दृष्टि पर विचार करना आवश्यक है। इस वीडियो में हम उस होम्योपैथिक दवा पर चर्चा करेंगे जिसमे कमर दर्द चलने-फिरने से घटता है।
(1) Rhus Tox – यह कमर दर्द की यह सबसे बढ़िया दवा है। इसका कमर की मांस-पेशियों पर विशेष प्रभाव है । Rhus Tox का सर्व-प्रधान लक्षण यह है कि पड़े रहने से दर्द बढ़ता है, हरकत से घटता है – ब्रायोनिया से ठीक उल्टा। बैठी हुई हालत से जब पहले-पहल कोई उठता है तब दर्द होता है, परन्तु उठकर कुछ देर जब चल लेता है, जिस्म में गर्मी आ जाती है, तब दर्द नहीं रहता। परन्तु कमर दर्द में चाहे हरकत से दर्द में कमी हो या न हो, इस दर्द में यह काम करता ही है, इसलिये कमर-दर्द की यह सर्वोत्तम औषधि है । कमर की ‘मांस-पेशियों’ (Mulcles) की गहराई तक इस दवा का असर जाता है। Rhus Tox में बैठने या उठने दोनों हालात में रोगी को कमर दर्द महसूस होता है – पहली हरकत में दर्द और लगातार की हरकत से दर्द चले जाना इसका लक्षण है ।
(2) Calcarea Flour 6x – कमर दर्द के पुराने रोगियों को 6x में Rhus Tox के साथ जरूर दें, अच्छा काम करती है। इसकी भी ‘प्रकृति’ (Modality) रस टॉक्स जैसी ही है। रोगी जितना चलता- फिरता है उतना दर्द कम हो जाता है ।
(3) Argentum nitricum – जब कोई व्यक्ति बैठा हुआ हो, तब पहले-पहल बैठी हुई हालत से उठने में बड़ा दर्द होता है – When rising from a sitting posture – और चलने-फिरने से ठीक हो जाता है। रोगी की टांगे काँपती हैं, उनमें कमजोरी महसूस होती है, और टांगों की पिंडलियों में दर्द होता है, ऐसा लगता है मानो कितना लम्बा सफर किया है, कमर दर्द होता ही है । Argentum गर्म और Rhus Tox शीत प्रकृति का दवा है।
(4) Zincum met – इसका दर्द प्रायः रीढ़ के निचले भाग में होता है। अगर बैठी हुई हालत से उठने पर कमर दर्द में अर्जेन्ट नाइट्रिकम उपयोगी है, तो खड़ी हुई हालत से बैठने पर कमर दर्द हो तो जिंकम उपयोगी है। वैसे चलते-फिरते रहने से आराम रहता है। जैसे मैंने बताया कि चलते-फिरते रहने से आराम रस टॉक्स में भी है, परन्तु रस टॉक्स में तो चलने- फिरने से शरीर के सब दर्दों को आराम पहुँचता है, जिंकम में सिर्फ कमर-दर्द में। जिंकम में रोगी की सारी रीढ़ की हड्डी में जलन होती है, और वह पैर चलाया करता है, पिंडलियों में कीड़ियाँ-सी रेंगती है।
(5) Pulsatilla – चलने-फिरने से आराम में Pulsatilla भी उपयोगी है, परन्तु Pulsatilla के कमर-दर्द में चलने-फिरने से आराम प्राय: स्त्रियों में मासिक-सम्बन्धी गड़बड़ी के समय होता है। इसमें भी बैठने में कमर-दर्द होता है- खासकर पीछे की तरफ झुकने में।
(6) Cobaltum – खड़ी हालत से बैठने में कमर दर्द होना जिंकम में है, कोबाल्ट में भी है, और दोनों में चलने-फिरने से कमर दर्द को आराम हो जाता है। जिंकम में वीर्य निकल जाने से रोगी को कमर दर्द में कुछ राहत मिलती है, कोबाल्ट में नहीं। कोबाल्ट भी कमर दर्द के लिये बहुत उपयोगी औषधि है ।
(7) Sulphur – इसमें कमर का दर्द रात को बढ़ जाता है, आराम करते समय दर्द आ जाता है, चलने-फिरने से चला जाता है; झुकने से दर्द बढ़ता है, तेज दर्द होता है, रीढ़ के सबसे नीचे की हड्डी Coccyx में दर्द होता है, रोगी कमर सीधी करके नहीं चल सकता ।
(8) Aesculus – रीढ़ की हड्डी के नीचे के हिस्से में जब चिनका पड़ जाता है, चला नहीं जाता, झुका नहीं जाता, तब इस औषधि को लेने से दर्द एकदम चला जाता है। कई चिकित्सकों का अनुभव है कि इस औषधि से उन्होंने बवासीर के रोगी इतने ठीक नहीं किये जितने कमर दर्द के ।
(9) Berberis Vulgaris Q – पहले कमर में दर्द हो और वह दर्द समूचे शरीर में फैल जाये, कमर से नीचे उतरे और उसके साथ पेशाब का रंग लाल हो और उसमें श्लेष्मा की तली जमे, तो बर्बेरिस एक महौषध है। हाथ की उँगलियों के नख के नीचे की गाँठों में दर्द, तकलीफ और सूजन हो तो उसमें – बर्बेरिस से विशेष फायदा होता है।

Video On Back pain 

Kamar Dard Ka Homeopathic Ilaj

सिमिलिमम के आधार पर कमर दर्द की मुख्य होमियोपैथिक औषधियां निम्न हैं –

चेलीडोनियम: गर्दन में दर्द, कठोरता, घुमाने पर दर्द, दाएं कंधे की हड्डी (हंसुली स्केपुला) पर अन्दर एवं नीचे की तरफ लगातार दर्द रहने पर निम्नशक्ति में औषधि लेनी चाहिए।

जिंकम मेट: कमर दर्द, छूना भी पीड़ादायक, कंधों में तनाव, रीढ़ की हड्डी में चिड़चिड़ाहट, आखिरी डारसल अथवा प्रथम लम्बर हड्डी (रीढ़) में दर्द, गुम चोट जैसा दर्द, लगातार लिखने पर (एक जगह बैठे-बैठे) गर्दन में दर्द, अकड़ाव, कंधों में टूटन-ऐंठन आदि लक्षण मिलने पर एवं लक्षणों में शरीर के स्राव सवित होने पर (जैसे पेशाब-पाखाना, वीर्य आदि में) आराम मिलने पर उक्त औषधि 30 शक्ति में देनी चाहिए। स्त्रियों को मासिक स्राव के समय भयंकर कमर दर्द रहता है। (स्त्रियों के लिए ‘सीपिया’, ‘बोविस्टा’, ‘एल्युमिना’ भी उपयुक्त औषधियां हैं।) इनके अलावा ‘प्लम्बम’, ‘पल्सेटिला’, ‘बेलिसपेरेनिस’, ‘वेरियोलाइनम’, ‘अर्जेण्टम’, ‘इग्नेशिया’, ‘कैल्केरिया‘, ‘नक्स’, ‘नेट्रमम्यूर’, ‘सल्फर’ आदि औषधियां भी लक्षणों की समानता मिलने पर दी जा सकती हैं।

अत्यधिक मैथुन के बाद कमर दर्द रहने पर ‘एग्नसकैस्टस’ एवं ‘एसिडफॉस’ औषधियां 30 शक्ति में लेना हितकर रहता है।

यदि चलने-फिरने पर दर्द बढ़ने लगे एवं दबाने तथा ददं वाली सतह पर लेटने से आराम मिले, तो ‘ब्रायोनिया’ 30 शक्ति में, दिन में तीन बार एक हफ्ते तक लेनी चाहिए। फिर 200 शक्ति की दो-तीन खुराक लेकर दवा बंद कर दें।

‘कालीकार्ब’ औषधि के रोगी में ब्रायोनिया से विपरीत लक्षण मिलते हैं अर्थात् रोगी को चलने-फिरने से आराम मिलता है एवं बाई तरफ अथवा दर्द वाली सतह पर लेटने से परेशानी बढ़ती है, तो ‘कालीकार्ब’ औषधि 30 शक्ति में लेनी चाहिए। बाद में दो-तीन खुराक 200 शक्ति में लेनी चाहिए।

यदि चलना प्रारम्भ करते समय या बैठकर उठते समय दर्द असहनीय हो, किंतु लगातार चलते रहने पर दर्द से राहत मिल जाए, तो ‘रसटॉक्स’ औषधि लाभ मिलने तक 30 शक्ति में लेनी चाहिए। ‘कास्टिकम’ 30 भी लाभप्रद रहती है।

मांसपेशियों में दर्द, खास तौर से कठिन परिश्रम करने वालों में, माली का काम करने वालों में, ‘बेलिस पेरेनेस’ औषधि 3 × शक्ति में लेने पर लाभ मिलता है।

युवा स्त्रियों में दर्द का स्थान परिवर्तित होते रहने पर ‘पल्सेटिला’ 30 शक्ति में एवं प्रौढ़ स्त्रियों में यौनांग की शिथिलता रहने पर ‘सीपिया’ 30 शक्ति में देना उचित रहता है।

लाभदायक है फलों और सब्जियों का सेवन

अगर आपने अपने भोजन में सब्जियों और फलों को शामिल नहीं कर रखा है तो फिर आप स्वयं को शक्ति के स्रोत समझे जाने वाले फाइटो रसायनों से वंचित कर रहे हैं। ये ऊर्जा को बढ़ाते हैं और रोगों को दबाते हैं। मसलन, फूलगोभी में ऐसे पोषक तत्त्वों का एक पूरा जखीरा होता है जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और यह खासतौर से हृदयरोग से हमारी रक्षा करता है। इसी प्रकार पत्ता गोभी न सिर्फ फाइबर प्रदान करता है, वरन्, दांतों व मसूढ़ों की सफाई भी करता है। इसके मध्य हिस्से में विटामिन ‘ए’ पर्याप्त मात्रा में होता है जो आंखों के लिए बहुत उपयोगी है। इसे ठीक प्रकार से धोकर सलाद के रूप में खाएं।

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