लैपिस एल्बस [ Lapis Albus 30 Uses In Hindi ]

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[ सिलिको क्लोराइड ऑफ कैल्सियम ] – यह गाँठों की सूजन और गलगण्ड ( goitre ) रोग की महौषधि है। कैंसर की बीमारी में घाव होने के पहले इसका प्रयोग किया जाए तो फायदा होता है। रोगग्रस्त ग्रन्थियों के चारों ओर जो तन्तु रहते हैं, उनपर भी बीमारी का दौरा हो तो – इससे फायदा होता है।

बच्चों के सुखण्डी आदि रोगों में शरीर की चर्बी का क्षय होता है, इस क्षय के साथ यदि ‘आयोडम‘ की तरह जबरदस्त भूख भी हो तो – लैपिस अन्य दवाओं की अपेक्षा जल्दी फायदा करती है।

कण्ठमाला धातुवालों के लिए भी यह लाभदायक है। छाती, पाकस्थली और जरायु में काँटा बिंधने जैसे दर्द के साथ जलन हो तो – इस लक्षण में लैपिस फायदा करती है। जरायु के कैंसर में तथा फाइब्रॉयड ट्यूमर में बहुत जलन और रक्तस्राव में भी इसका उपयोग होता है। स्तन के पास की जगह पर लगातार दर्द होता हो तो लैपिस का प्रयोग करना चाहिए ( रेडियम ब्रोम जरायु के कैंसर में फायदा करती है। )

एक 24-25 वर्ष की स्त्री को जरायु के कैंसर की बीमारी थी, जिसकी 3-4 महीने तक रेडियम की चिकित्सा करवाने पर भी बीमारी में आराम न हुई। मैंने उसको एक दिन रेडियम 30 और दुसरे दिन लैपिस 30 इस तरह पर्यायक्रम से 10-12 दिन तक दवा देकर इलाज किया, पर कोई फायदा नहीं हुआ। सिर्फ दर्द कुछ घट गया। अंत में रोगिणी की मृत्यु हो गई ( कैंसर में अक्सर आराम नहीं होता ; यह घातक रोग है )

कण्ठमाला की बीमारी में, फोड़ा, घाव, गांठों में कड़ापन और सूजन, गले की गांठों में सूजन, गर्दन और गले में छोटी-छोटी गाँठें, उसमे दर्द वगैरह तथा मांसार्बुद ( sarcoma ), lipoma, कैंसर ( carcinoma ) इत्यादि बीमारी में इसका प्रयोग कर जरूर देखना चाहिए।

क्रम – 1 से 6 शक्ति।

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