मैग्नीशिया कार्बोनिका – Magnesia Carbonica

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मैग्नीशिया कार्बोनिका लक्षण तथा मुख्य-रोग

( Magnesia Carbonica uses in hindi )

लक्षण तथा मुख्य-रोगलक्षणों में कमी से रोग में वृद्धि
बच्चों के हरे, पतले लेई-के-से दस्त और उनके साथ अपच का दूध निकलनाहरकत से आराम पाना
बच्चे को दस्त आने से पहले पेट में दर्द होता है जिसमें सामने झुकने से आराम मिलता हैघूमने फिरने से आराम
खट्टी बू आनाखुली हवा में अच्छा लगना
स्नायु-शूल; बायें चेहरे का दर्द, दांत का दर्द, दर्द में चलने-फिरने से आराम
मासिक आने से पहले जुकाम हो जाता है
रात को लेटने से रजः स्राव होता है, खड़े होने पर बन्द हो जाता हैलक्षणों में वृद्धि
बच्चे को दूध हज्म नहीं होतारात को रोग का बढ़ना
वंशानुगत क्षय-रोग के बच्चों को लाभ करता हैविश्राम से परेशान होना
इस औषधि के रोगों में खुश्की पायी जाती हैठंड से रोग में वृद्धि
जीवनी-शक्ति के हृास (Lack of Vitality) में लाभदायक हैबच्चे या युवा को दूध पीने की इच्छा का न होना

 

(1) बच्चों के हरे, पतले लेई-के-से दस्त और उनके साथ अपच का दूध निकलना – यह औषधि बच्चों के हरे, पतले दस्तों की और ऐसे हरे पतले दस्तों की जिनके साथ अपच का दूध निकले, बढ़िया दवा है। दस्तों का रंग हरा होता है, साथ उनमें झाग होते हैं, मल में सफेद चिकनी चर्बी के-से टुकड़े तैरते हैं। उनकी ऐसी शक्ल होती है जैसी काई-लगे तालाब के पानी की होती है।

(2) बच्चे को दस्त आने से पहले पेट में दर्द होता है जिसमें सामने झुकने से आराम मिलता है – दस्त आने से पहले बच्चे को इतना पेट-दर्द होता है कि वह आराम पाने के लिये सामने की तरफ झुक पड़ता है। यह लक्षण कोलोसिन्थ में भी है, परन्तु इस लक्षण के साथ मैग्नीशिया कार्ब का अपना लक्षण यह है कि उसके शरीर से तथा मल से बेहद खट्टी बू आती है। यह खट्टी बू रिउम में भी है परन्तु रिउम की खट्टी बू मैग्नीशिया कार्ब से भी अधिक है। दस्त आने से पहले पेट-दर्द, दस्त का हरा रंग कैमोमिला में भी है, परन्तु कैमोमिला का मल पानी की तरह और मैग्नीशिया कार्ब का मल लेई की तरह लसदार होता है। मर्क्यूरियस का मल हरा और लेई की तरह का होता है। परन्तु मर्क्यूरियस में मल-त्याग के समय बच्चा बहुत कांखता है। निम्न प्रकार से इन चारों दवाओं की एक-दूसरे से पृथकता को समझना चाहिये।

बच्चों के दस्तों में मुख्य-मुख्य औषधियां

मैग्नीशिया कार्ब – दस्तों के अन्य लक्षणों के साथ हरापन मुख्य है।

कोलोसिन्थ – दस्तों के अन्य लक्षणों के साथ पेट को दबाने से आराम आना मुख्य है।

रिउम – दस्तों के अन्य लक्षणों के साथ खट्टी बू मुख्य है।

कैमोमिला – दस्तों के अन्य लक्षणों के साथ दस्त का पनीलापन मुख्य है।

मर्क्यूरियस – दस्तों के अन्य लक्षणों के साथ कांखना मुख्य है।

इथूजा – बच्चा दूध नहीं हज़्म कर सकता, दूध पीते ही उल्टी कर देता है, पतला हरा दस्त आता है, अत्यन्त कमजोर हो जाता है परन्तु आर्स की तरह बेचैन नहीं होता। इसमें हरापन मुख्य है। .

(3) खट्टी बू आना – बच्चे को कितना ही नहलाया जाय, उसमें हिपर की तरह की खट्टी बास आती है, बच्चा बहुत मैला लगता है। यह सिर्फ बच्चों की दवा नहीं है, बड़ों को भी दी जाती है। रोगी को गले तक पेट से खट्टा पानी आता है, इस खट्टेपन से जी मिचलाता है। शरीर से और मल से खट्टी बू छूटती है। डॉ० चौधरी का तो कहना यह है कि अगर रोगी में तीव्र खट्टेपन की बू न हो, तो यह औषधि निर्दिष्ट नहीं है।

(4) स्नायु-शूल; बायें चेहरे का दर्द, दांत का दर्द, दर्द में चलने-फिरने से आराम – जितने मैग्नीशिया हैं उनका स्नायु-शूल पर विशेष प्रभाव है। स्नायु के मार्ग में दर्द होना इसका स्वभाव है। दर्द ऐसा भयंकर होता है कि रोगी स्थिर नहीं बैठ सकता। वह चलता-फिरता रहता है, चलने-फिरने से उसे आराम मिलता है। यह तेज दर्द किसी भी अंग में हो सकता है, परन्तु अगर इस दर्द में चलने-फिरने से रोगी को चैन पड़े, तो इस औषधि पर विचार करना होगा।

चेहरे के बायें हिस्से में दर्द इसकी विशेषता है। रात को चहरे के बायीं तरफ इतना दर्द होता है कि रोगी बिस्तर छोड़कर चलता-फिरता है। ज्योंही वह शान्त होकर बैठता है त्योंही उसे दर्द धर पकड़ता है। दांत का दर्द तो रोगी को विशेष सताता है। दांतों की जड़ें इतनी नाजुक हो जाती हैं कि उनमें भयंकर दर्द होता है। मासिक-धर्म से पहले और मासिक होते समय स्त्री को दांत में दर्द होता है। गर्भावस्था में रोगिणी को दांतों में और चेहरे के बायीं तरफ दर्द होता है। रोगी के दांत इतने नाजुक होते हैं कि दन्त-चिकित्सक उन्हें छू तक नहीं सकता। गर्भावस्था में अगर दांत का दर्द हो तो मैग्नीशिया कार्ब तथा चायना उत्तम औषधियां हैं। मैग्नीशिया कार्ब का प्रभाव दांत की जड़ों पर और ऐन्टिम क्रूड का प्रभाव दांत की डेन्टाइन पर अधिक है।

(5) मासिक आने से पहले जुकाम हो जाता है – मासिक-धर्म होने से पहले रोगिणी को जुकाम हो जाता है। मासिक से कुछ दिन पहले उसकी तबीयत गिर जाती है। जुकाम हो जाने के लक्षण को देखकर वह स्वयं कहती है: मैं जानती हूं कि मेरा मासिक-धर्म का समय निकट आ गया है क्योंकि मुझे सिर में ठंड लग रही है, जुकाम होने वाला है। रोगिणी को प्रतिमास रजः स्राव होने से पहले जुकाम हो जाता है।

(6) रात को लेटने से रजः स्राव होता है, खड़े होने पर बन्द हो जाता है – इसका एक विचित्र लक्षण यह है कि रज:स्राव केवल रात को जब वह बिस्तर पर लेटती है तब होता है। चलते-फिरते रहने से रज:स्राव रुक जाता है। ऐमोनिया म्यूर और बोविस्टा में भी मासिक रात को लेटने से होता है, चलने फिरने से बन्द हो जाता है। इसके विपरीत कैक्टस, कॉस्टिकम, लिलियम में ऋतु-स्राव दिन को होता है, लेटने से बन्द हो जाता है। क्रियोजोट में ऋतु-स्राव सिर्फ़ लेटने पर होता है, चलने-फिरने से बन्द हो जाता है-चाहे दिन हो, चाहे रात हो।

(7) बच्चे को दूध हज्म नहीं होता – रोगी दूध हज्म नहीं कर सकता, मैग्नीशिया म्यूर में भी ऐसा ही है।

(8) वंशानुगत क्षय-रोग के बच्चों को लाभ करता है – टी.वी. के रोगी माता-पिता के बच्चों के लिये यह औषधि विशेष उपयोगी है। ये बच्चे खुश्क खांसी के मरीज हुआ करते हैं। टी.वी. के शिकार माता-पिता की यह संतान साल-दर-साल खांसते-खांसते अपना जीवन-यापन किया करती है। खांसी बहुत ज्यादा नहीं बढ़ती परन्तु पीछा भी नहीं छोड़ती, थोड़ी-बहुत बनी ही रहती है। अन्त में कोई ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जब देर तक मुँह छिपाये पड़ा हुआ क्षय-रोग रोग उभर आता है, और रोगी स्पष्ट-रूप में क्षय-ग्रस्त हो जाता है। ठीक समय पर इस दवा के प्रयोग से रोगी क्षय की तरफ बढ़ने से रुक जाता है।

(9) इस औषधि के रोगों में खुश्की पायी जाती है – शरीर के हर भाग में खुश्की इस औषधि का चरित्रगत-लक्षण है। त्वचा में खुश्की, श्लैष्मिक संस्थानों में खुश्की, खुश्क-जुकाम, खुश्की के कारण नाक से मल ही नहीं निकलता। पुराना जख्म सूख जायेगा, उसमें से मवाद नहीं निकलेगा, परन्तु जख्म बना रहेगा। नाक सूख जाती है, आंखें इतनी सूख जाती है कि पलकें आपस में उलझ जाती हैं, उन्हें एक-दूसरे से अलग करना कठिन हो जाता है। त्वचा सूख जाती है, जलन होती है।

(10) जीवनी-शक्ति के हृास (Lack of Vitality) में लाभदायक है – यह औषधि सब आयु के लोगों तथा स्त्री एवं पुरुष दोनों के लिए उपयोगीं है। जीवन की अत्यधिक चिंताओं, जिम्मेवारियों, परेशानियों से जो छिन्न-भिन्न हो गये हैं, मांसपेशियां जिनकी ढीली पड़ गयी हैं, जिनके शरीर में सजगता, टोन नहीं रहा, जीवन की सफलता उत्साह, क्रियाशीलता जो अन्तरतम से फूटा करती हैं, वह जिनकी सूख गई हैं, जिनका जीवन छिछड़े-सा हो गया है, जो चिन्ताकुल जीवन को बर्दाश्त नहीं कर सकते-ऐसे लोग होते हैं जिन्हें मैग्नीशिया कार्ब लाभ पहुँचाता है। उक्त लक्षणों में यह टॉनिक का काम करता है। अगर रोगी बच्चा है, तो वह ठिगना, रोगी-सा होता है जिनके शरीर की पाचन-क्रिया दोषपूर्ण है, वह पनप नहीं पाता। अगर स्त्री है, तो सदा शोकाकुल, निराश तथा दु:खी रहती है। उसके कांपते हुए हाथ, किसी काम में मन न लगना, चक्कर आना सिद्ध करते हैं कि उसकी जीवन-शक्ति का प्रवाह सूखता जा रहा है। रोगी शारीरिक तथा मानसिक दृष्टि से अत्यन्त नाजुक हो जाता है, कुछ सहन नहीं कर सकता। जरा-से शोर से परेशान हो जाता है, जरा-सी ठंडी हवा के झोंके से उसे अत्यंत कष्ट होता है। ऐसों में यह औषधि जीवन-शक्ति फूंक देती है।

(11) शक्ति तथा प्रकृति 3, 6, 30 (औषधि ‘सर्द’-प्रकृति के लिये है।)

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