मोटापा कम करने के तरीके – Motapa Kaise Ghataye

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मोटापा एक खतरनाक समस्या है। इससे अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि हर वर्ष मोटापे से मरने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक होती है। यह रोग अधिक तेल एवं घी का सेवन करने, मदिरापान, अधिक औषधियों का उपयोग, बार-बार भोजन करने और शारीरिक परिश्रम के अभाव में हो जाता है।

मोटापे से उत्पन्न रोग

मोटापे के कारण हृदय की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न होती है, क्योंकि रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। इससे पेट, जांघों, गर्दन तथा अन्य अंगों का मांस अधिक होकर लटक जाता है। पाचन क्रिया बिगड़ने से कब्ज या दस्त आदि शुरू हो जाते हैं।

मोटे लोगों को नियमित रूप से शौच की समस्या प्राय: बनी रहती है। मोटापा अधिक होने से शरीर के प्रत्येक अंग को अधिक कार्य करना पड़ता है। गुर्दों में भी अनावश्यक मेद (मांस) जमा हो जाता है, जिससे पेशाब की मात्रा कम हो जाती है। शरीर का विष पेशाब के जरिये नहीं निकल पाता। गुर्दे में विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने की प्रक्रिया मंद पड़ जाती है। इससे गुर्दे के बारीक रेशे प्रभावित होते हैं और उनकी कार्यक्षमता न्यून हो जाती है।

मोटे आदमी का पसीना बदबूदार होता है। उसे अजीर्ण की शिकायत प्राय: रहती है, जिससे पेट में वायु, दर्द, खट्टी तथा तेजाबी डकारें, अन्ननली में जलन आदि के लक्षण प्रकट होते हैं। ऐसे में श्वास संबंधी रोग भी हो सकते हैं। जरा-सा शारीरिक श्रम करने से सांस फूलने लगता है तथा थकान अनुभव होती है। ऐसे लोगों में शारीरिक श्रम के प्रति अरुचि, मांसपेशियों और अंगों में कड़ापन होता है। भार सहने की क्षमता का अभाव हो जाता है। जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, हाथ-पांवों में दर्द तथा सूजन के लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। वात, गठिया, जोड़ों में कैल्शियम का जमाव, यूरिक एसिड की वृद्धि, जोड़ों की गति में सहायक तैलीय द्रव्यों का अभाव या चलने-फिरने में असमर्थता आदि होती है। मोटापा मौत को जल्दी बुला लेता है। इस बात की तुलना नीचे दी गई तालिका में की गई है। मृत्युदर की प्रस्तुत संख्या प्रत्येक एक लाख पर आधारित है –

शारीरिक रोग कम वजन वाले व्यक्ति सामान्य वजन वाले व्यक्तिअधिक वजन वाले व्यक्ति
दिल के रोग 5080120
गुर्दे के रोग 5080140
मिरगी 5070110
कैंसर626070
मधुमेह 101535
आत्मघात 252030
दुर्घटना 556065
श्वास रोग 959092
क्षय रोग 1206530

ऊपर दिए गए आंकड़े यह स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि केवल श्वास और आत्मघात रोगों में मोटे व्यक्तियों की मौत कम होती है या फिर मोटे लोगों को ये रोग अपेक्षाकृत कम होते हैं, परंतु अनुपात की मात्रा बहुत ही कम है। इसलिए यह नहीं समझना चाहिए कि ये रोग मोटे लोगों को नहीं हो सकतें। उनको भी इनका उतना ही खतरा रहता है, जितना कि अन्य लोगों को।

मोटापे से कैसे बचें

निम्नलिखित बातों पर ध्यान देकर आप मोटापे से बच सकते हैं-

(i) पत्तेदार साग-सब्जी, जिनमें रेशे हों, अधिक मात्रा में लें।

(ii) कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों का त्याग करें। ऐसे पदार्थों में बारीक मैदा, सफ़ेद चीनी, गन्ना, और उसका रस, गुड़, शक्कर, आम, अंगूर, खजूर, किशमिश आदि आते हैं।

(iii) जिन पदार्थों में वसा अर्थात् चिकनाई हो, उन्हें बहुत कम मात्रा में लें। घी, मक्खन, दूध (मलाईयुक्त), मलाई, तेल या उससे बनी वस्तुएं, मांस, वनस्पतियों द्वारा जमाया हुआ घी, शुद्ध देशी घी आदि का प्रयोग न करें। यदि जरूरी हो, तो परिश्रुत तेलों (सूर्यमुखी, कॉर्न आदि के तेल) का प्रयोग करें। याद रखें, मोटापा बढ़ाने में वसा का बहुत बड़ा हाथ है। इसे पचाने में पाचन अंगों को बहुत परिश्रम करना पड़ता है। दूसरे, शरीर वसा को पचाने में समर्थ नहीं होता।

(iv) गेहूं और चावल का चोकर वजन घटाने में बड़ा उपयोगी है। अत: सम्पूर्ण गेहूं का आटा और ब्राउन चावल का प्रयोग बहुत कम करें।

(v) नीबू, लहसुन तथा प्याज का दैनिक प्रयोग करें। भोजन में किसी न किसी रूप में इन्हें अवश्य लें। यदि नीबू का रस और थोड़ा-सा शहद गरम पानी में मिलाकर खाली पेट सेवन करें, तो उत्तम रहेगा।

(vi) पानी का भरपूर प्रयोग करें। भोजन करने से एक घंटा पहले और तीन घंटे बाद तक पानी का प्रयोग न करें। क्योंकि ऐसा करने से पाचक रसों के भोजन में मिलने की प्रक्रिया बाधित होती है और खाना देर से पचता है।

(vii) खट्टे फलों का रस (जिसमें चीनी का तत्व कम और कुछ खटास हो) पिएं। इससे शरीर में शक्ति तो आएगी ही, पाचन क्रिया भी सुधरेगी।

(viii) सेब के आसव से तैयार की गई शराब, सिरका या आसव का दो-दो चम्मच पदार्थ एक गिलास पानी में मिलाकर दिन में तीन बार लें। यह पेय शरीर को विजातीय एवं विषैले तत्वों से रहित कर देता है। पाचन क्रिया में सहायता करता है तथा शरीर को शक्ति प्रदान करता है।

(ix) दूध और केले का सेवन एक संतुलित भोजन माना गया है, जिसका प्रयोग सुबह नाश्ते में अवश्य करें।

(x) भोजन कम वसा, कम नमक और कम चीनी वाला होना चाहिए।

(xi) सदा भूख लगने के बाद ही खाएं। भोजन कम मात्रा में और भली प्रकार चबा-चबाकर करें।

(xii) भोजन में खीरा, ककड़ी, चुकन्दर, मूली, गाजर आदि का सलाद, नीबू मिलाकर लें। ऐसा करने से भोजन कम कर पाएंगे और कब्ज की शिकायत भी नहीं होने पाएगी।

(xiii) भोजन करने के बाद लेटें नहीं, अपितु थोड़ा-सा टहलें (विशेष रूप से रात का भोजन करने के बाद) या भोजन करने के 40-45 मिनट बाद वज्रासन करें। भोजन के बाद बाई करवट लेटने से भी खाना पचने में सहायता मिलती है।

उपयोगी सुझाव

सब्जी आप उबालकर परंतु बिना तले लें। फलों को काटकर या उसका रस लें। दूध, चाय या कॉफी में नीबू नहीं मिलाना चाहिए। परंतु जिस कॉफी या चाय में आप दूध नहीं डालते, उसमें नीबू का रस मिला सकते हैं। चीनी के स्थान पर केवल शहद का ही प्रयोग करें अथवा जरा-सा काला नमक उसमें मिला लें। चाहें तो दूध में भी शहद मिला लें। इस बात का ध्यान रखें कि जब चाय या कॉफी में दूध मिलाकर पिया हो, तो उसके बाद नीबू का प्रयोग कदापि न करें। नीबू लेने के कम से कम 45 मिनट बाद दूध का सेवन करें।

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