माइरिका सेरिफेरा [ Myrica Cerifera Homeopathy In Hindi ]

1,985

[ अटलांटिक महासागर के उपकूल पैदा होने वाले 7-8 फुट ऊँचे एक तरह के गुल्म की जड़ या सोर की छाल से टिंचर तैयार होता है ] – होमियोपैथी में यह दवा सिर्फ दो-तीन बीमारियों में ही काम में आती है, जैसे :-

(1) सब तरह का श्लेष्मा या सर्दी का स्राव ( catarrhal discharge ), जब कि बीमारी बहुत दिनों की पुरानी हो चुकी हो।

(2) कामला या पीलिया और उसके साथ सवेरे सिर दर्द।

डॉ फैरिंगटन का कहना है कि इसमें – यकृत की विकृति के कारण ठीक-ठीक पित्त पैदा न होने से बीमारी होती है, पित्त आबद्ध होकर बीमारी नहीं होती, अर्थात functional रोग होता है, organic नहीं।

आँखें पीली, जीभ पर पीला मैल, हाथ-पैरों में ऐंठन, गंदला पेशाब, हरवक्त औंघाई आना – ये ‘माइरिका‘ के लक्षण हैं। ‘डिजिटेलिस‘ के लक्षण – यहाँ बहुत कुछ ‘माइरिका‘ समान हैं, किन्तु इतना याद रखना चाहिए कि डिजिटेलिस में जो कामला होता है वह – organic रोग होता है।

क्रम – Q से 3 शक्ति।

Ask A Doctor

किसी भी रोग को ठीक करने के लिए आप हमारे सुयोग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। डॉक्टर का consultancy fee 200 रूपए है। Fee के भुगतान करने के बाद आपसे रोग और उसके लक्षण के बारे में पुछा जायेगा और उसके आधार पर आपको दवा का नाम और दवा लेने की विधि बताई जाएगी। पेमेंट आप Paytm या डेबिट कार्ड से कर सकते हैं। इसके लिए आप इस व्हाट्सएप्प नंबर पे सम्पर्क करें - +919006242658 सम्पूर्ण जानकारी के लिए लिंक पे क्लिक करें।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.

पुराने रोग के इलाज के लिए संपर्क करें