नसों की कमजोरी दूर करने के उपाय – स्नायविक दुर्बलता

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नसों की कमजोरी का कारण – अजीर्ण, शुक्र-क्षय, चिंतन, पौष्टिक पदार्थों की कमी, अत्यधिक शारीरिक क्षम आदि इस रोग के मुख्य कारण हैं।

नसों की कमजोरी का लक्षण – स्मरण-शक्ति का घट जाना, सिर में चक्कर आना, आंखों के आगे उठने-बैठने में अंधेरा छा जाये, अपच, अनिन्द्रा, हदय-स्पंदन, खून की कमी आदि लक्षण दिखलाई पडते हैं।

नसों की कमजोरी का घरेलू उपाय ( naso ki kamzori ka ilaj )

– बेर की गुठलियों की पांच ग्राम मगज को समान भाग गुड़ के साथ मिलाकर खाने से शुक्र-पुष्टि होकर शरीर बलवान बनता है। कुछ दिनों तक नियमित यह प्रयोग करें तो नसों की कमजोरी दूर हो जाएगी।

– 3 से 8 वर्ष तक के बच्चों को नियमित गाय का दूध पिलाएँ। साथ में मक्खन व मिश्री मिलाकर खिलायें।

– अश्वगन्धा 100 ग्राम, सतावर 100 ग्राम, बाहीपत्र 100 ग्राम, इसबगोल की भूसी 100 ग्राम, तालमिश्री 400 ग्राम – इन सबको कपड़छन चूर्ण बनाकर एक काँच की शीशी में भरकर रख लें। सुबह-शाम दूध या पानी के साथ 10 ग्राम मात्रा लें। 21 दिन तक लेने के बाद ही मस्तिष्क एवं शरीर रक्त में संचार का अनुभव होगा।

– 8 से 16 वर्ष तक के किशोरों को घी और मिश्री मिलाकर दूध पिलाना चाहिए। गाय के थनों से निकला हुआ गर्म-गर्म दूध पीने से खूब ताकत मिलती है। इस उम्र में हल्का व्यायाम भी करना चाहिए।

– रोज सुबह एक सेब दांत से काटकर खायें। तीन हिस्सा मक्खन और एक हिस्सा शहद मिलाकर लें और शाम के दूध में पाँच मुनक्के उबालकर पियें। सवा महीने में दुबलापन दूर हो जायेगा और नसों की कमजोरी चली जाएगी।

नसों की कमजोरी का होमियोपैथिक इलाज  

काली-फास 3x – काली-फास नसों की कमजोरी का प्रमुख औषध है। मानसिक कार्य अधिक करने के पश्चात् मस्तिष्क का दुर्बल होना, उत्साहहीनता आदि लक्षणों में उपयोगी रहती है।

कल्केरिया-फास 12x – यदि रोग लम्बी अवधि तक किसी अन्य रोग से पीड़ित होने के और पौष्टिक पदार्थ के अभाव में उत्पन्न हुआ हो तो यह औषधि अवश्य नीरोग कर देगी। अधिक दिनों तक किसी रोग के बने रहने के कारण मेरुदण्ड की रक्ताल्पता में इसके प्रयोग से बहुत लाभ होता है।

नैट्रम-फास 3x – अजीर्ण और अम्लयुक्त रक्ताल्पता में यह दवा विशेष लाभदायक है। चलने, फिरने से थक जाना आदि लक्षणों में नैट्रम-फास से विशेष फायदा होते देखा गया है।

नैट्रम-म्यूर  3x – मलेरिया ज्वर के पश्चात अथवा किनाइन के अधिक प्रयोग के उपरान्त यह रोग होने पर इसकी विशेष उपयोगिता है। बहुत अधिक शुक्र-क्षय के कारण रक्ताल्पता में कल्केरिया फास 6 के पर्याय क्रम से इसे देना चाहिए।

नैट्रम-सल्फ 3x – रत में जलीय अंश का बढ़ना तथा शोथ में विशेष लाभप्रद है।

साइलीशिया 12 – पर्यात पौष्टिक भोजन न मिलने पर बालकों की रक्ताल्पता, विशेषकर गण्डमाला से पीडित बच्चों के लिये साइलीशिया बहुत लाभ करती है।

एनाकार्डियम 30 नसों की कमजोरी का एक प्रमुख औषधि है।

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