इस रोग में नाक की शलैष्मिक कला में जख्म पैदा होकर उसमें से मवाद निकलता है | कभी-कभी मवाद में रक्त का अंश भी रहता है । इस रोग से नाक की हड्डी गलने लगती है और घ्राण-शक्ति धीरे-धीरे कम होती जाती है । यह रोग मुख्यतः उपदंश, पारे का अधिक प्रयोग, चोट लगना, शरीर में कोई बाहरी वस्तु रह जाना आदि कारणों से होता है ।
कैडमियम 3x – रोग के प्रारंभ होते ही और उसके विषय में पता चलते ही सर्वप्रथम इसी औषधि को देना चाहिये ।
एसिड नाइट्रिकम 3, 30 – उपदंश-रोग के कारण या पारे के प्रयोग से पीनस हो जाये जिसमें सूजन और प्रदाह भी रहे तो अति उपकारी है।
ऑरम मेट 30 – नाक लाल रहे, सूजन, दर्द रहे, आधा सूखा- आधा तर मवाद निकले तो बेहद लाभप्रद है ।
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मर्कसॉल 3x – उपदंश रोग के कारण पीनस होने पर देनी चाहिये ।