पैरा एमिनो बेन्जोइक एसिड ( Para Aminobenzoic Acid In Hindi )

इसे सन् 1941 में विटामिन के वर्ग में रखा गया था। यह विटामिन बी कम्पलैक्स का एक सदस्य है जो शरीर में रिकेटशिया (Rickettsia) की वृद्धि को रोकता है, जूँ द्वारा प्रसारित 'टाइफस फीवर'…

विटामिन बी 3 ( निकोटिनिक एसिड, नियासिन ) के स्रोत और लाभ

इस विटामिन को बी-3 के अतिरिक्त निकोटिनिक एसिड (Nicotinic Acid), नियासिन (Niacin), निकोटिना माइड इत्यादि नामों से भी जाना जाता है । यह सभी पदार्थ एक ही है। इसको P.P. Factor…

विटामिन बी 6 ( Vitamin B6 ) के स्रोत और लाभ

इस विटामिन को पायरीडोक्सीन के अतिरिक्त 'एडार्मिन' के नाम से भी जाना जाता है । यह तत्त्व (विटामिन) खमीर, यकृत, अनाजों के बाहरी आवरण और दालों में मिलता है । उगने पर अनाजों में इसकी…

विटामिन बी 5 ( पैंटोथेनिक एसिड ) के स्रोत और फायदे

पैंटोथेनिक एसिड (Pantothenic Acid) - यह विटामिन भी 'बी' समूह का आवश्यक तत्त्व है। यह वनस्पति और प्राणिज आहार में खूब उपलब्ध होता है। खमीर, यकृत, गुर्दे, चोकर तथा मटर इसकी उपलब्धि…

विटामिन बी2 ( राइबोफ्लेविन ) के स्रोत और फायदे

इस विटामिन को 'राइबोफ्लोबिन' के नाम से भी जाना जाता है । इस तत्त्व को 1932-33 में विटामिन B2 और विटामिन 'जी' के नाम से वर्णित किया गया परन्तु 1937 में इसे राइबोफ्लोबिन नाम दिया गया…

विटामिन B1 के स्रोत और फायदे

इस विटामिन को एन्यूरिन या थायामिन नाम से भी जाना जाता है। इसकी खोज का इतिहास - 'बेरी-बेरी' रोग के प्रति है। इस तत्त्व की खोज के बहुत वर्ष पूर्व से ही 'बेरी-बेरी' रोग का ज्ञान हो…

विटामिन ए किसमें पाया जाता है – विटामिन ए के स्रोत

प्रत्येक खाद्य के 100 ग्राम में जितने हजार अन्तर्राष्ट्रीय इकाई विटामिन 'ए' होती है, उसे हम कोष्टक में लिख रहे हैं -खाद्य अन्तर्राष्ट्रीय इकाईचौलाई का साग ढाई से आठ…

विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग

आंखों के रोग विटामिन 'ए' शरीर में कम हो जाने पर मनुष्य को शाम को, रात को और कम प्रकाश होने पर कम दिखाई देने लगता है । यह विटामिन अधिक या कम हो जाने पर रतौन्धी नामक रोग हो जाता है,…

विटामिन ए के फायदे इन हिंदी

इस विटामिन का आविष्कार सबसे पहले हुआ था । यह एक अल्कोहल वर्गीय पदार्थ है। यह रंगहीन और वसा में घुलनशील है। इसका प्राथमिक उदगम स्थल वनस्पति जगत् है। इस विटामिन की कमी से होने वाले…

प्रोस्टेट ग्रंथि क्या है और इसके कार्य

यह अखरोट के आकार की हल्के पीले रंग की ग्रन्थि है जो मूत्राशय ग्रीवा के नीचे मूत्र मार्ग के शुरू के भाग में मूत्र-प्रणाली (Urethra) को चारों ओर से घेरे रहती है । यह बाहर से एक दृढ़…
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